देहरादून: साल 2015 में पुलिस दारोगा भर्ती (Uttarakhand Inspector Recruitment Scam) गड़बड़ी मामले में आज शनिवार को मुकदमा दर्ज हो सकता है. इस मामले में शासन से विजिलेंस को कार्रवाई की अनुमति मिल गई है. इससे पहले एसटीएफ द्वारा विजिलेंस को पुख्ता सबूत दिए गए थे. जिसके बाद विजिलेंस ने अपनी प्राथमिक जांच पूरी कर शासन से आरोपित दारोगाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी थी, जो शुक्रवार विजिलेंस को मिल गई है. ऐसे में विजिलेंस इस मामले में मुकदमा दर्ज कर जल्द गिरफ्तारी कर सकती है.
अहम जानकारियां लगी हाथ: बता दें कि पेपर लीक मामले में गिरफ्तार हुए नकल माफियाओं द्वारा अहम सबूत एसटीएफ के हाथ लगने के बाद पुलिस मुख्यालय ने शासन को 2015 पुलिस दारोगा भर्ती गड़बड़ी मामले में विजिलेंस से जांच (Uttarakhand Vigilance Action) करने की अपील की थी. जिसके बाद शासन से अनुमति मिलने के बाद यह कार्रवाई शुरू हुई. जानकारी के मुताबिक एसटीएफ को यूकेएसएसएससी स्नातक स्तर पेपर लीक (UKSSSC Paper Leak) मामले में जांच-पड़ताल के दौरान ही पुलिस दारोगा भर्ती से जुड़े भी साक्ष्य-सबूत हाथ लग गए थे. जिन सबूतों को एसटीएफ ने जांच एजेंसी विजिलेंस को सौंप दिया था. बताया जा रहा है कि 15 से अधिक पुलिस दारोगा के खिलाफ ऐसे सबूत सामने आए हैं, जिनमें पैसे देकर दारोगा भर्ती परीक्षा परिणाम की ओएमआर शीट में नंबर बढ़वा कर नियुक्ति पायी गई. ऐसे में पेपर आयोजित करने वाले संस्थान यूकेएसएसएससी और पंतनगर यूनिवर्सिटी (Pantnagar University) के लोग भी इस केस में फंस सकते हैं.
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मिलीभगत का आरोप: बता दें कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तरफ से साल 2015 में 339 पुलिस दारोगा पदों की भर्ती के लिए पंतनगर यूनिवर्सिटी के माध्यम परीक्षा कराई थी. इस परीक्षा के प्रश्नपत्र भी यूनिवर्सिटी ने ही छपवाए थे.आरोप हैं कि इस परीक्षा में अभ्यर्थियों से लाखों रुपये लेकर उनकी ओएमआर (परीक्षा) शीट में छेड़छाड़ कर उसमें मनचाहे नंबर बढ़ा दिए गए. इसका पूरा लाभ उन नियुक्ति पाने लोगों को मिला जिन्होंने आयोग और पंतनगर विवि से सेटिंग गेटिंग की थी. ऐसे में यह भी साफ हो जाता है कि परीक्षा ओएमआर शीटों से छेड़छाड़ कर कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने का यह कारनामा बिना Uksssc आयोग कर्मियों और पंतनगर विवि परीक्षा आयोजकों के मिलीभगत कैसे हो सकता है. ऐसे में विजिलेंस इस केस में आरोपी पुलिसकर्मियों सहित आयोग और विवि कर्मचारियों और अधिकारियों को अभियुक्त बनाकर मामले का खुलासा जल्द कर सकती है.
गौरतलब है कि 2015 में 339 पदों पर दारोगा की भर्ती हुई थी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर इस भर्ती की गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद इसकी जांच शासन द्वारा विजिलेंस को सौंपी गई थी, जिसकी शुरुआती जांच अब कुमाऊं विजिलेंस टीम ने शुरू कर दी है. लिहाजा जल्द 2015 में गड़बड़ी कर भर्ती हुए दारोगाओं की गिरफ्तारी हो सकती है.