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जौनसार में हिरण और हाथी नृत्य के साथ हुआ बूढ़ी दीपावली का समापन - उत्तराखंड न्यूज

प्राचीन काल से मनाई जा रही बूढ़ी दीपावली को क्षेत्र की जनता ने बड़े हर्षोंल्लास के साथ मनाया. ऐसे में चकराता ब्लॉक के गांवों में बूढ़ी दीपावली की एक अलग ही रंगत देखने को मिलती है. यहां इस दीपावली को सालों से चली आ रही परंपराओं के साथ मनाया जाता है.

Budhi Diwali
बूढ़ी दीपावली का समापन
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Published : Nov 29, 2019, 6:51 PM IST

विकासनगर: जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में दीवाली के एक महीने बाद मनाई जाने वाली 'बूढ़ी दीपावली' शुक्रवार को समाप्त हो गई. ऐसे में ग्रामीणों ने अपने ईष्ट देव महासू देवता के नाम पर किसी गांव में हाथी नृत्य तो किसी गांव में हिरण नृत्य का आयोजन किया. जिसमें सामूहिक रूप से पंचायती आंगन में महिला और पुरुषों ने इस हारूल नृत्य का आंनद लिया.

बूढ़ी दीपावली का समापन

इस मौके पर जौनसार बावर के ग्रामीणों ने महासू देवता की स्तुतिकर कोरवा गांव में हिरण नृत्य का आयोजन किया गया था. जिसमें गांव खत के मुखिया सुरेश तोमर विराजमान हुए. राजस्थानी गांव निवासी रविता तोमर ने बताया कि बूढ़ी दीपावली हर साल निरंतर भवन में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है. इस मौके पर स्थानीय व्यंजनों को पुरस्कार आवभगत किया जाता है. जिससे लोगों में आपसी भाईचारा और प्रेम बना रहता है. तोमर ने बताया कि ये हमारी पारंपरिक जनजाति दीपावली है, जिसे सभी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.

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ग्रामीणों का कहना है कि बूढ़ी दीपावली मनाने की क्षेत्रवासियों की अलग ही परंपरा है. क्योंकि देश में मनाई जाने वाली दीपावली के समय क्षेत्र में काम ज्यादा होता है. जबकि, एक माह बाद मनाई जाने वाली बूढ़ी दिवाली तक सारा काम निपट जाता है. साथ ही यह पर्व क्षेत्र के ईष्ट देव महासू देवता के नाम से भी मनाया जाता है.

कोरवा गांव के निवासी राजेश तोमर ने बताया कि आदिवासी जनजाति क्षेत्र में दीपावली का यह त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. माना जाता है कि जनजाति क्षेत्र में कई सौ साल पहले भारी क्षेत्र से एक राजा का आगमन हुआ था. जिसे जनजातीय राजा ने धनुष से तीर छोड़कर बेहोश कर दिया गया था. उसके बाद स्थानीय लोगों महासू देवता की स्तुति की और राजा को होश आ गया.

पढ़ें- देवभूमि के 'मिनी स्विट्जरलैंड' में हिमपात से मौसम हुआ सर्द, देखें दिलकश नजारे

वहीं, राजा के होश में आने के बाद दोनों राजाओं में समझौता हुआ. इसके बाद से ही जनजाति राजा की जीत की खुशी में महासू देवता के नाम से प्रत्येक वर्ष दीपावली में हिरण नृत्य किया जाता है. जिसमें महासू देवता की स्तुति की जाती है. कुछ स्थानों पर हाथी नृत्य भी किया जाता है.

विकासनगर: जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में दीवाली के एक महीने बाद मनाई जाने वाली 'बूढ़ी दीपावली' शुक्रवार को समाप्त हो गई. ऐसे में ग्रामीणों ने अपने ईष्ट देव महासू देवता के नाम पर किसी गांव में हाथी नृत्य तो किसी गांव में हिरण नृत्य का आयोजन किया. जिसमें सामूहिक रूप से पंचायती आंगन में महिला और पुरुषों ने इस हारूल नृत्य का आंनद लिया.

बूढ़ी दीपावली का समापन

इस मौके पर जौनसार बावर के ग्रामीणों ने महासू देवता की स्तुतिकर कोरवा गांव में हिरण नृत्य का आयोजन किया गया था. जिसमें गांव खत के मुखिया सुरेश तोमर विराजमान हुए. राजस्थानी गांव निवासी रविता तोमर ने बताया कि बूढ़ी दीपावली हर साल निरंतर भवन में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है. इस मौके पर स्थानीय व्यंजनों को पुरस्कार आवभगत किया जाता है. जिससे लोगों में आपसी भाईचारा और प्रेम बना रहता है. तोमर ने बताया कि ये हमारी पारंपरिक जनजाति दीपावली है, जिसे सभी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.

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ग्रामीणों का कहना है कि बूढ़ी दीपावली मनाने की क्षेत्रवासियों की अलग ही परंपरा है. क्योंकि देश में मनाई जाने वाली दीपावली के समय क्षेत्र में काम ज्यादा होता है. जबकि, एक माह बाद मनाई जाने वाली बूढ़ी दिवाली तक सारा काम निपट जाता है. साथ ही यह पर्व क्षेत्र के ईष्ट देव महासू देवता के नाम से भी मनाया जाता है.

कोरवा गांव के निवासी राजेश तोमर ने बताया कि आदिवासी जनजाति क्षेत्र में दीपावली का यह त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. माना जाता है कि जनजाति क्षेत्र में कई सौ साल पहले भारी क्षेत्र से एक राजा का आगमन हुआ था. जिसे जनजातीय राजा ने धनुष से तीर छोड़कर बेहोश कर दिया गया था. उसके बाद स्थानीय लोगों महासू देवता की स्तुति की और राजा को होश आ गया.

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वहीं, राजा के होश में आने के बाद दोनों राजाओं में समझौता हुआ. इसके बाद से ही जनजाति राजा की जीत की खुशी में महासू देवता के नाम से प्रत्येक वर्ष दीपावली में हिरण नृत्य किया जाता है. जिसमें महासू देवता की स्तुति की जाती है. कुछ स्थानों पर हाथी नृत्य भी किया जाता है.

Intro:विकासनगर जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में मनाई जाने वाली बूढ़ी दीपावली 4 से 5 दिनों तक मनाई जाती है जो आज शुक्रवार को अपने इष्ट देव महासू देवता के नाम किसी गांव में हाथी नृत्य व किसी गांव में हिरण नृत्य कर समाप्त हो गई है लोगों ने पंचायती आंगन में सामूहिक नृत्य कर दीपावली की खुशी जताई


Body:जौनसार बावर जनजाति क्षेत्र में देश-दुनिया से 1 माह बाद मनाए जाने वाली दीपावली शुक्रवार को समाप्त हो गई है किसी गांव में हाथी नृत्य तो किसी गांव में हिरण नृत्य किया गया वह सामूहिक रूप से पंचायती आंगन में महिला एवं पुरुषों ने हारूल नृत्य कर समा बांधा जौनसार बावर के कोरवा गांव में हिरण नृत्य किया गया जिस पर गांव खत मुखिया सुरेश तोमर विराजमान हुए वह महासू देवता की स्तुति कर सभी ने नृत्य देख खुशी जाहिर की
राजस्थानी निवासी रविता तोमर ने बताया कि बूढ़ी दीपावली निरंतर भवन में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है इससे पूर्व हमारे क्षेत्र में कृषि कार्य होने के कारण 1 नवंबर मनाई जाती है दीपावली महिला एवं पुरुष से मनाते हैं गांव में महिलाएं एक दूसरे के घर में बुलाती है एवं स्थानीय व्यंजनों को पुरस्कार आवभगत किया जाता है जिससे कि आपसी भाईचारा और प्रेम बना रहता है यह हमारी पारंपरिक जनजाति दीपावली है जिसे हम हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं


Conclusion:वही कोरवा गांव के निवासी राजेश तोमर ने बताया कि आदिवासी जनजाति क्षेत्र में दिवाली का यह त्यौहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है माना जाता है कि जनजाति क्षेत्र में क्राइम शो वर्ष पूर्व भारी क्षेत्र से एक राजा का आगमन हुआ था जिसे जनजातीय राजा ने धनुष से तीर छोड़ कर बेहोश कर दिया गया था उसके बाद स्थानीय लोगों महासू देवता की स्तुति की और राजा राजा को होश आ गया स्थानीय लोगों द्वारा आपसी समझौता किया गया और राजा खुशी-खुशी अपने देश लौट गया और जनजाति राजा की जीत होने के साथ ही महासू देवता के नाम से प्रत्येक वर्ष दीपावली में हिरण नृत्य किया जाता है और महासू देवता की स्तुति की जाती है कहीं काट के हाथी नृत्य तो कहीं हिरण नृत्य किया जाता है और दीपावली का समापन हो जाता है
बाइट_ राजेश तोमर_ स्थानीय ग्रामीण
बाइट_ रविता तोमर _स्थानीय ग्रामीण
पीटीसी
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