देहरादून: उत्तराखंड में बीजेपी सरकार के चार साल पूरे हो गए हैं. इन चार सालों में सरकार और संगठन के दावे कितने जमीन पर उतरे, इसकी हकीकत साल 2017 में चुनावी दृष्टि पत्र को देखकर समझा जा सकता है. दृष्टि पत्र में मौजूद बिंदुवार वादों पर नजर दौड़ाएं तो अधिकतर घोषणाओं में राज्य सरकार द्वारा कुछ खास नहीं पहल नहीं की गई है.
उत्तराखंड में साल 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों ने अपनी घोषणाओं को लेकर मैनिफेस्टो जारी किया था. बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र को दृष्टि पत्र का नाम दिया था. फौरी तौर पर देखें तो इस दृष्टि पत्र में भाजपा ने करीब 12 पन्नों में प्रदेश की 5 साल की योजनाओं और विकास परक सोच को बयां किया था.
पार्टी ने अलग-अलग सेक्टर को विभिन्न बिंदुओं के आधार पर अपनी प्राथमिकताओं को इस दृष्टि पत्र में शामिल किया था. दृष्टि पत्र में गांवों से लेकर शहरों के विकास को लेकर अलग-अलग रोडमैप भी शामिल किए गए थे. लोगों की जरूरतों और मांग को ध्यान में रखकर दृष्टि पत्र में मुद्दों को जगह दी गई थी. लेकिन आपको शायद जानकर हैरानी होगी कि अधिकतर बिंदुवार मुद्दों पर पिछले 4 साल में बहुत कुछ नहीं हो पाया. अधिकतर मुद्दे सरकार ने विचार के लिए जरूर रखें, लेकिन पूरा काम 90% से ज्यादा पर नहीं हो पाया है.
बीजेपी के दृष्टि पत्र में शामिल सेक्टर
बीजेपी की दृष्टि पत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, युवा, पर्यटन, कृषि आधारभूत विकास, महिला, एससी एसटी अल्पसंख्यक, उद्योग व्यापार, भ्रष्टाचार, संकल्प और राजधानी जैसे विषयों को शामिल किया गया था. राजधानी के मामले को छोड़ दिया जाए तो हर सेक्टर में कई बिंदुओं के जरिए अपनी प्राथमिकताओं और वादों को दर्ज कराया गया था.
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कितने सेक्टर में वादे हुए पूरे
बीजेपी के दृष्टि पत्र पर नजर दौड़ाएं तो यह साफ दिखता है कि इन 4 सालों में अलग-अलग सेक्टर्स, जिनको लेकर वादे किए गए थे. उनमें बिंदुवार होने वाले शत-प्रतिशत कामों की संख्या बेहद कम थी.
- शिक्षा क्षेत्र में 11 बिंदुओं में दो पर ही सरकार ने काम किया.
- स्वास्थ्य के क्षेत्र में 14 बिंदुओं पर दृष्टि पत्र में वादा किया गया था, जिसमें से एक को पूरा किया गया.
- पर्यटन में 13 वादे किए गए थे, जिसमें एक पूरा हुआ.
- कृषि में 19 वादे किए गए थे और एक को पूरी तरह से अमलीजामा पहनाया गया.
- प्रदेश में आधारभूत सुविधाओं को लेकर कुल 15 वादे किए गए थे, जिसमें एक ही पूरा हुआ.
- बीजेपी जिन युवाओं के बलबूते पर सत्ता में आई, उनके लिए कुल 14 वादे किए गए थे. जिसमें से एक को भी अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका.
- महिलाओं के लिए 9 वादे किए गए थे, जिसमें एक को भी पूरा नहीं किया गया.
- एससी एसटी और अल्पसंख्यकों के लिए 10 बिंदुओं में विभिन्न वादे किए गए थे. जिसमें एक को भी प्रदेश स्तर पर पूरा नहीं किया गया.
- उद्योग और व्यापार सेक्टर के लिए कुल 7 बिंदुओं में वादे किए गए थे. जिसमें एक भी वादा पूरा नहीं किया गया.
- भ्रष्टाचार को लेकर 17 बिंदुओं के जरिए 17 वादे किए गए थे, जिनमें 3 वादे ही पूरे हो पाए.
- दृष्टि पत्र के जरिए भाजपा ने 21 संकल्प भी लिए थे. इन संकल्पों में सिर्फ एक पूरा किया गया.
- उत्तराखंड में दृष्टि पत्र में भाजपा ने कुल 149 बिंदु शामिल किए थे, जिसमें सिर्फ 11 पर ही काम हुआ.
इन आंकड़ों पर मुहर लगाते हुए कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के 4 साल को पूरी तरह से विफल करार दिया है. कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी एक स्थिर सरकार नहीं दे पाई है.
वहीं, बीजेपी ने इन आंकड़ों को नकारते हुए अपनी सरकार में दृष्टि पत्र में दिए गए सभी वादों को पूरा करने की बात कह रही है. बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष देवेंद्र भसीन कहते हैं कि दृष्टि पत्र में भाजपा ने 2017 में चुनाव से पहले जो वादे किए थे, वह पूरे किए जा रहे हैं. साथ ही प्रदेश में अब तक 85% वादे पूरे किए जा चुके हैं. बीजेपी ने अगले एक साल में बाकी बचे हुए 15% वादों को पूरा करने की बात कही है. बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष देवेंद्र भसीन दावा करते हैं कि इन्हीं वादों को पूरा करने की वजह से भाजपा विधानसभा चुनाव 2022 में 60 सीटें लाएगी.
बीजेपी के घोषणा पत्र-2017 की खास बातें
- बीजेपी की सरकार में रिक्त पदों पर 6 माह में भर्तियां हो जाएंगी.
- भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए 100 दिन में खंडूडी का लोकायुक्त एक्ट लागू होगा.
- साल 2019 तक उत्तराखंड के हर गांव में सड़क होगी.
- मेधावी छात्रों को लैपटॉप और स्मार्टफोन दिए जाएंगे.
- सेवारत अतिथि, संविदा शिक्षकों और कर्मचारियों को भी उचित वेतन और पेंशन.
- 24 घंटे बिजली-पानी की सप्लाई होगी
- गढ़वाल और कुमाऊं दोनों ही रीजन में अस्पताल और हेल्थ सेंटर खोले जाएंगे.
- गरीबी रेखा से नीचे जी रहे लोगों के विशेष हेल्थ कार्ड मुहैया कराए जाएंगे.
- किसानों को ऑर्गेनिक खेती के लिए खास तौर पर लोन दिए जाएंगे.