देहरादून: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Former CM Harish Rawat) ने अंकिता भंडारी हत्याकांड (Ankita Bhandari murder case) को लेकर देहरादून में 24 घंटे का धरना दिया. हरीश रावत कड़कड़ाती ठंड में दिन और रात गांधी पार्क के बाहर धरना देते रहे. यह बात अलग है कि अंकिता भंडारी हत्याकांड में आरोपी जेल में हैं और मामला कोर्ट में चल रहा है, लेकिन हरीश रावत मामले में वीआईपी के नाम के खुलासे को लेकर धरने पर बैठे थे. जिसका जिक्र लगातार इस मामले में हो रहा है. अब सवाल यह भी खड़े हो रहे हैं, क्या हरीश रावत या फिर कांग्रेस के पास राज्य में कोई और दूसरा मुद्दा नहीं बचा है ? क्या हरीश रावत और कांग्रेस सरकार को अन्य मुद्दों पर घेरने में कामयाब नहीं हो रही है. जानकार तो यह भी मान रहे हैं. यह सिर्फ मीडिया में बने रहने के लिए किया जा रहा है.
कांग्रेस के पास मुद्दों की कमी: अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर राज्य में लगातार कांग्रेस आवाज उठा रही है. एक विपक्षी पार्टी होने के नाते कांग्रेस का यह कर्तव्य भी बनता है कि उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी को इंसाफ के लिए वह लगातार आंदोलन करें, लेकिन सवाल ये भी खड़े हो रहे है कि कांग्रेस सरकार को दूसरे मुद्दों पर क्यों घेरने में कामयाब नहीं हो रही है या ये कहें कोई दुसरा मुद्दा विपक्ष को दिख नहीं रहा है. अब हरीश रावत ने अंकिता के मामले में जिस तरह से धरना दिया तोे और भी सवाल पैदा होने लगे कि जब मामला कोर्ट में है तो, क्या हरीश रावत को कोर्ट के निर्णय का इंतजार नहीं करना चाहिए था ? जहां, हरीश रावत और कांग्रेसी जिस तरह से इस मामले को उठा रहे हैं, वहीं, विधानसभा भर्ती, बेरोजगारी और दूसरे बड़े मुद्दे को लेकर क्यों खामोशी धारण किए हुए हैं ?
कई अहम मुद्दों पर कांग्रेस का मौन: उत्तराखंड में इस वक्त सबसे बड़े मुद्दे बेरोजगारी, उत्तराखंड विधानसभा भर्ती मामला (uttarakhand assembly recruitment case) और यूकेएसएसएससी पेपर लीक (uksssc paper leak) के साथ साथ राज्य में लगातार घट रही धर्मांतरण की घटनायें हैं, लेकिन कांग्रेस की इन सब मुद्दों पर खामोशी कई सवाल खड़े कर रही है. हरीश रावत के धरने को लेकर जानकार भी मान रहे है की उनका का ये धरना किसी कार्रवाई के लिए नहीं, बल्कि खुद का अस्तित्व बचाने को लेकर है.
हरीश रावत की राजनीति पर सवाल: वरिष्ठ पत्रकार सुनील दत्त पांडेय कहते है की अंकिता मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. मामले में चार्जशीट भी दायर है. इसके बावजूद कोर्ट पर सवाल खड़े करना ठीक नहीं है. हरीश रावत को राज्य के दूसरे मुद्दे क्यों नहीं दिख रहे हैं, ये हैरानी की बात है. सुनील कहते हैं कि इसमें मामले में हरीश रावत ही क्यों पूरी कांग्रेस इतनी ही सुस्त है, जबकि विपक्ष के पास मुद्दों की भरमार है.
हरदा पर सरकार और बीजेपी हमलावर: उधर बीजेपी भी हरीश रावत को कोई मौका नहीं देना चाहती है. यही कारण है कि हरीश रावत के धरने के बाद बीजेपी ने तमाम मंत्री और प्रवक्ताओं की फौज को उनके के खिलाफ बयान देने के लिए मैदान में उतार दिया. हरीश रावत पर जुबानी हमला करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट से लेकर रेखा आर्य, सुबोध उनियाल और मंत्री चंदन राम दास से लेकर दूसरे मंत्रियों को बयान जारी करने के लिए कहा गया है. रेखा आर्य कहती हैं कि हरीश रावत के पास करने के लिए कुछ बचा नहीं है. इस लिए वो ये सब कर रहे हैं. उधर सुबोध उनियाल भी उन्हें खाली आदमी बता रहे हैं. वही महेंद्र भट्ट और मंत्री चंदन राम दास तो हरीश रावत को सलाह देते नजर आ रहे हैं. दोनों का कहना है कि हरीश रावत को कोर्ट के मामले में इस तरह से राजनीति नहीं करनी चाहिए, जो वो लगातार कर रहे हैं. ये बिल्कुल भी ठीक नहीं और उनके आचरण के विपरीत है.
कांग्रेस ने सरकार पर उठाए सवाल: हरीश रावत के ऊपर मंत्रियों और बीजेपी नेताओं के जुबानी हमले को लेकर कांग्रेस ने भी करारा जवाब दिया. कांग्रेस प्रवक्ता सुजाता पॉल ने बीजेपी और सरकार के मंत्रियों को खूब खरी खोटी सुनाई. सुजाता पॉल ने कहा कि सुबोध उनियाल और रेखा आर्य जब तक हरीश रावत के आसपास थे, तब तक सब ठीक था, लेकिन अब बेतुके बयान हरीश रावत के लिए दिए जा रहे हैं. जबकि हरीश रावत ठंड में एक बेटी के लिए आवाज उठा रहे हैं, जो की राज्य हित में है. सुजाता ने सरकार और सीएम धामी पर भी जमकर हमला किया.
उन्होंने कहा सीएम धामी को उनके धरने पर जाकर अपने सीएम होने का कर्तव्य निभाना चाहिए था. जबकि यहां ऐसा नहीं हो रहा है, बल्कि अंग्रेजों की तरह विपक्ष से बर्ताव किया जा रहा है. वैसे हरीश रावत की राजनीति वही जाने. एक तरफ तो वो सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे थे तो, दूसरी तरफ मीडिया के सामने सीएम के लिए अपना सॉफ्ट कॉर्नर दिखा रहे थे. अब हरीश रावत को ऐसा करके कौन सा राजनीति फायदा हो रहा है, ये तो वही बता सकते हैं.