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देहरादूनः जांच के एक साल बाद भी आरोपियों पर कार्रवाई नहीं, अपर सचिव ने कही ये बात

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विधानसभा डोइवाला में फ्लाईओवर बनाने में अनियमितता करने वालों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है.

भोपालपानी
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Published : Aug 8, 2019, 10:44 PM IST

देहरादूनः जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली त्रिवेंद्र सरकार पूरी तरह से जीरो टॉलरेंस लागू करने का हरसंभव प्रयास कर रही है. बावजूद कुछ अधिकारी और ठेकेदार राज्य सरकार को चूना लगाने से पीछे नहीं हट रहे हैं. यहां तक कि अधिकारियों की ढिलाई के चलते जांच में दोषी पाए गए लोगों पर कार्रवाई भी नहीं हो पा रही है, जो कहीं न कहीं अधिकारियों के बेपरवाह रवैये को बयां कर रहा है.

फ्लाईओवर में अनियमितता करने वालों पर कार्रवाई नहीं हो रही.

दरअसल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विधानसभा डोइवाला में पिछले साल बने फ्लाईओवर में भारी अनियमितताएं पाई गईं थी. इसमें दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच बिठाई गई थी. उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई संभव होता दिखाई नहीं दे रहा है.

क्योंकि शासन में बैठे अपर सचिव ओमप्रकाश ने साफ कर दिया है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लोक सेवा आयोग से सहमति लेनी होगी, लेकिन अभी तक शासन स्तर से सहमति लेने की सिफारिश नहीं भेजी गई है.

आपको बता दें कि पिछले साल 8 करोड़ 85 लाख की लागत से थानो-रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भोपालपानी में पुल का निर्माण कराया गया था. जिसकी प्रारंभिक जांच में ही लापरवाही सामने आई थी. जिसके बाद सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद निरीक्षण करने पहुंचे थे और फिर लोक निर्माण विभाग को विस्तृत जांच के आदेश दिए थे.

इसके साथ ही थर्ड पार्टी से भी इस पुल की जांच कराई गई थी. जांच को 1 साल बीतने को है, लेकिन अभी तक पुल बनाने में लापरवाही बरतने वाले दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो पाई है.

दूसरी ओर अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने इस संबंध में बताया कि थानो-रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भोपालपानी में बने पुल के गुणवत्ता की जांच श्रीराम कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड से कराई गई थी और उस जांच में पाया गया कि पुल की जितनी क्षमता होनी चाहिए, उस पुल की क्षमता, उसके आधे से भी कम है.

यह भी पढ़ेंः कार ने महिला को कुचला, घटना CCTV में कैद, हालत गंभीर

साथ ही पुल को घटिया क्वालिटी का बताया. बाद में इस संबंध में दोषियों पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया, लेकिन उसके लिए लोक सेवा आयोग से सहमति लेनी होगी. हालांकि लोक सेवा आयोग से सहमति लेने के संबंध में संबंधित कार्रवाई की जा रही है.

देहरादूनः जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली त्रिवेंद्र सरकार पूरी तरह से जीरो टॉलरेंस लागू करने का हरसंभव प्रयास कर रही है. बावजूद कुछ अधिकारी और ठेकेदार राज्य सरकार को चूना लगाने से पीछे नहीं हट रहे हैं. यहां तक कि अधिकारियों की ढिलाई के चलते जांच में दोषी पाए गए लोगों पर कार्रवाई भी नहीं हो पा रही है, जो कहीं न कहीं अधिकारियों के बेपरवाह रवैये को बयां कर रहा है.

फ्लाईओवर में अनियमितता करने वालों पर कार्रवाई नहीं हो रही.

दरअसल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विधानसभा डोइवाला में पिछले साल बने फ्लाईओवर में भारी अनियमितताएं पाई गईं थी. इसमें दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच बिठाई गई थी. उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई संभव होता दिखाई नहीं दे रहा है.

क्योंकि शासन में बैठे अपर सचिव ओमप्रकाश ने साफ कर दिया है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लोक सेवा आयोग से सहमति लेनी होगी, लेकिन अभी तक शासन स्तर से सहमति लेने की सिफारिश नहीं भेजी गई है.

आपको बता दें कि पिछले साल 8 करोड़ 85 लाख की लागत से थानो-रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भोपालपानी में पुल का निर्माण कराया गया था. जिसकी प्रारंभिक जांच में ही लापरवाही सामने आई थी. जिसके बाद सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद निरीक्षण करने पहुंचे थे और फिर लोक निर्माण विभाग को विस्तृत जांच के आदेश दिए थे.

इसके साथ ही थर्ड पार्टी से भी इस पुल की जांच कराई गई थी. जांच को 1 साल बीतने को है, लेकिन अभी तक पुल बनाने में लापरवाही बरतने वाले दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो पाई है.

दूसरी ओर अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने इस संबंध में बताया कि थानो-रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भोपालपानी में बने पुल के गुणवत्ता की जांच श्रीराम कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड से कराई गई थी और उस जांच में पाया गया कि पुल की जितनी क्षमता होनी चाहिए, उस पुल की क्षमता, उसके आधे से भी कम है.

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साथ ही पुल को घटिया क्वालिटी का बताया. बाद में इस संबंध में दोषियों पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया, लेकिन उसके लिए लोक सेवा आयोग से सहमति लेनी होगी. हालांकि लोक सेवा आयोग से सहमति लेने के संबंध में संबंधित कार्रवाई की जा रही है.

Intro:उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की विधानसभा डोईवाला में पिछले साल बने फ्लाईओवर में पाई गई अनियमितताओं को लेकर जिन अधिकारियों के खिलाफ जांच बिठाई गई थी, उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई संभव होता दिखाई नहीं दे रहा है। क्योंकि शासन में बैठे अपर सचिव ओमप्रकाश ने साफ कर दिया है कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए लोक सेवा आयोग से सहमति लेनी होगी। लेकिन अभी तक शासन स्तर से सहमति लेने की सिफारिश नही भेजी गई है।


Body:जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली त्रिवेंद्र सरकार पूर्ण रूप से जीरो टॉलरेंस लागू करने का हरसंभव प्रयास कर रही है बावजूद इसके कुछ अधिकारी और ठेकेदार राज्य सरकार को चुना लगाने से पीछे नही हट रहे हैं, यहाँ तक कि अधिकारियों की ढिलाई के चलते जांच में दोषी पाए गए लोगों पर करवाई भी नहीं हो पा रही है। जो कहीं ना कहीं अधिकारियों के बेपरवाह रवैयो को बयां कर रहा है।

आपको बता दें कि पिछले साल 8 करोड़ 85 लाख की लागत से थानों-रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भोपाल पानी में पुल का निर्माण कराया गया था, जिसके प्रारंभिक जांच में ही लापरवाही सामने आ गई थी। जिसके बाद सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद एक निरीक्षक करने पहुंचे थे और फिर लोक निर्माण विभाग विस्तृत जांच के आदेश दिए थे, इसके साथ ही थर्ड पार्टी से भी इस पुल का जांच कराया गया था। जांच हुए 1 साल बीतने को है लेकिन अभी तक पुल बनाने में लापरवाही बरतने वाले दोषियों पर कार्यवाही नहीं हो पाई है।

अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बताया कि थाना-रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर भोपालपानी में बने पुल के गुणवत्ता की जांच भी श्रीराम कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड से कराया गया था, और उस जांच में पाया गया कि पुल की जितनी क्षमता होनी चाहिए, उस पुल की क्षमता, उसके आधे से भी कम है। साथ ही बताया कि पुल को घटिया क्वालिटी में बनाने वाले दोषियों पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है। लेकिन उसके लिए लोक सेवा आयोग से सहमति लेनी होगी। और लोक सेवा आयोग से सहमति लेने के पूर्व की कार्यवाही की जा रहा है। और प्रदेश के भीतर करीब 1500 फुल है। और हर एक पुल का सर्वे इस वित्तीय वर्ष तक कर लिया जाएगा। 

बाइट - ओम प्रकाश, अपर मुख्य सचिव


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