देहरादून: विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने राज्य के प्रमुख जन संगठनों के साथ सरकार से मलिन बस्ती वासियों को बेघर न करने का आग्रह किया है. तमाम विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने कहा कि राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों की वजह से हजारों परिवारों पर बेघर होने की संभावनाएं बन गई है. ऐसे में उत्तराखंड में लगातार आवाज उठ रही है कि लोगों को बेघर (Slum Areas People Homeless) किया जा रहा है. उनका कहना है कि जितनी भी सरकारें आई हैं, उन्होंने मलिन बस्ती पर सरकारी खजाना लुटाया है. अब उन्हें अवैध करार दिया जा रहा है.
दरअसल, आज देहरादून में कांग्रेस के पदाधिकारी के अलावा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव सत्यनारायण सचान, कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक वर्मा, बप्पी पल साइंस मूवमेंट के विजय भट्ट, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. विपक्षी दलों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी का आश्वासन था कि 2022 तक सबको घर मिल जाएंगे, लेकिन 8 साल में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत देहरादून के सारे क्षेत्र में कुल मिलाकर मात्र 3880 घरों को बनाने के लिए सीमित सहयोग दिया गया है. ऐसे में सरकार खुद मानती है कि देहरादून के मलिन बस्तियों (Dehradun Slum Area) में 5 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. ऐसे में आखिर वो कहां जाएं. विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार उच्च न्यायालय के आदेशों का बहाना बना रही है.
वहीं, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी (Congress State Spokesperson Garima Dasauni) का कहना है कि मलिन बस्ती वासियों की समस्या का हल निकालना सरकार की जिम्मेदारी है. साल 2018 से लगातार इस मुद्दे पर आवाज उठ रही है कि कुछ जरूरी कदमों से इसका समाधान हो सकता है. उन्होंने कहा कि मलिन बस्तियों में जहां एक तरफ सड़कें, बिजली के खंभे, पुस्ते लगाए गए हैं. यहां सरकारों ने नाले खाले बनाए गए हैं. यहां बिजली और पानी का बिल आता है. बस्ती वासी हाउस टैक्स भी भरते हैं. ऐसे में जब सरकारें आती हैं और इन पर सरकारी धन लुटाती है तो फिर यह बस्तियां कहां से अनधिकृत (Unauthorized Slum Area) हो गई.
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