देहरादून: उत्तराखंड कैबिनेट ने शराब पर हेल्थ केयर टैक्स लगाने का फैसला लिया है. लेकिन शराब की दुकानों के बाहर लोगों की कम होती भीड़ यह जाहिर करती है कि शायद सरकार ने यह फैसला लेने में देरी कर दी है. देखिये स्पेशल रिपोर्ट...
देहरादून में तीन दिन पहले जिन शराब की दुकानों के बाहर लोगों की लंबी कतारें लगी थीं वहां अब गिने-चुने खरीदार ही दिखाई दे रहे हैं. जिला प्रशासन ने जब शराब की दुकानों को खोलने का आदेश दिया था तब न केवल ट्रैफिक व्यवस्था बल्कि शराब प्रेमियों ने सोशल डिस्टेंसिंग की भी धज्जियां उड़ा दी थीं. सरकार भी ये सोचने पर मजबूर हो गयी थी कि कहीं शराब की दुकानों को खोलने का फैसला गलत तो नहीं था. लेकिन अब हालात बिल्कुल बदल गए हैं.
देहरादून में शराब प्रमियों की लंबी कतारें गिने-चुने लोगों की संख्या तक सिमट गई है. शराब कारोबारी इसके पीछे की वजह लोगों द्वारा पर्याप्त स्टॉक खरीदना मान रहे हैं. शराब दुकान के सेल्समैन ने बताया कि पहले दिन लोगों ने पूरी पेटियां खरीदीं और लाइनें भी बेहद लंबी थीं. अब सीमित संख्या में ही लोग आ रहे हैं.
शराब की दुकानों के बाहर कम होती भीड़ एक तरफ सरकार के लिए राहत देने वाली खबर है, तो दूसरी तरफ यह तस्वीरें सरकार की चिंताएं भी बढ़ा सकती है. दरअसल, त्रिवेंद्र सरकार ने गुरुवार को कैबिनेट में शराब पर हेल्थ केयर टैक्स लगाने का निर्णय लिया है. लेकिन माना जा रहा है कि लोगों ने 3 दिन में ही शराब का पर्याप्त स्टॉक अपने घरों में रख लिया है. इस कारण शराब की दुकानों के बाहर संख्या कम हुई है.
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शराब की दुकानें खुलने के पहले दिन देहरादून में ही 1 करोड़ से ज्यादा की शराब बिकी थी. यानी सरकार ने टैक्स लगाने में थोड़ी देर कर दी. उधर, जिला आबकारी अधिकारी रमेश बंगवाल ने बताया कि इससे सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर बढ़ा खतरा कम हो गया है. आबकारी नीति के तहत एक व्यक्ति को एक पेटी शराब यानी 12 बोतल खरीदने और रखने की ही अनुमति होती है. इसको लेकर शराब की दुकानों के संचालकों को बताया गया है.
वहीं, सरकार का मानना है कि इस कदम से करीब 250 करोड़ का राजस्व राज्य को मिलेगा. हालांकि, शराब को लेकर लगी भीड़ में कमी राहत का भी संकेत है. क्योंकि अब सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर आ रही तमाम दिक्कतें दूर हो सकेंगी.