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तिब्बती पुनर्वास नीति: ACS ने विभागों से मांगी 7 दिन में रिपोर्ट, जानें पूरा मामला

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा उत्तराखंड सरकार को तिब्बती पुनर्वास नीति को प्रख्यापित करने के निर्देश के बाद उत्तराखंड में तिब्बती पुनर्वास नीति के प्रख्यापन को लेकर कसरत शुरू हो गई है. अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने तिब्बती पुनर्वास नीति पर विभागों से रिपोर्ट मांगी है.

RADHA RATURI
राधा रतूड़ी
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 10, 2023, 9:41 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में तिब्बती पुनर्वास नीति के प्रख्यापन को लेकर कसरत शुरू हो गई है. मंगलवार को अपर मुख्य सचिव (एसीएस) राधा रतूड़ी ने गृह विभाग के साथ सचिवालय में बैठक की. बैठक के दौरान एसीएस ने सभी विभागों को निर्देश देते हुए कहा कि अगले एक हफ्ते के भीतर अपनी आख्या या फिर अनापत्ति भेजें. दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को तिब्बती पुनर्वास नीति को प्रख्यापित करने के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद अब शासन पर कार्रवाई शुरू हो गई है.

बता दें कि, साल 2009 के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड में चार तिब्बती बस्तियां हैं, जिसमें करीब 9 हजार लोग रह रहे हैं. हालांकि, तिब्बती शरणार्थियों के लिए भारत सरकार ने तिब्बती पुनर्वास नीति 2014 को तैयार किया था. जिसके तहत तिब्बती समुदाय के लोगों को तमाम लाभ दिए जाने का प्रावधान किया गया है. लेकिन उत्तराखंड में तिब्बती पुनर्वास नीति के तहत वो तमाम लाभ नहीं मिल पा रहे हैं, जिसके चलते तिब्बती समुदाय के लोग सरकार से समय-समय पर अपनी मांगों को उठाते रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः मसूरी में तिब्बती समुदाय का प्रदर्शन, दलाई लामा के वीडियो वायरल करने को बताया चीन की साजिश

दरअसल, केंद्र और राज्य सरकार की सभी जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रदेश में रह रहे सभी तिब्बती समुदाय के नागरिकों को मिल सके, इसके लिए तिब्बती पुनर्वास नीति को प्रख्यापित करने की जरूरत है. बैठक के दौरान, उत्तराखंड में रह रहे तिब्बती समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि उनको जन्म प्रमाण पत्र बनाने, भूमि स्वामित्व विवाद, आवास, सड़क, पेयजल का ना मिलना समेत तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही प्रदेश में तिब्बती संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए शासन से मदद की जरूरत है.

देहरादूनः उत्तराखंड में तिब्बती पुनर्वास नीति के प्रख्यापन को लेकर कसरत शुरू हो गई है. मंगलवार को अपर मुख्य सचिव (एसीएस) राधा रतूड़ी ने गृह विभाग के साथ सचिवालय में बैठक की. बैठक के दौरान एसीएस ने सभी विभागों को निर्देश देते हुए कहा कि अगले एक हफ्ते के भीतर अपनी आख्या या फिर अनापत्ति भेजें. दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को तिब्बती पुनर्वास नीति को प्रख्यापित करने के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद अब शासन पर कार्रवाई शुरू हो गई है.

बता दें कि, साल 2009 के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड में चार तिब्बती बस्तियां हैं, जिसमें करीब 9 हजार लोग रह रहे हैं. हालांकि, तिब्बती शरणार्थियों के लिए भारत सरकार ने तिब्बती पुनर्वास नीति 2014 को तैयार किया था. जिसके तहत तिब्बती समुदाय के लोगों को तमाम लाभ दिए जाने का प्रावधान किया गया है. लेकिन उत्तराखंड में तिब्बती पुनर्वास नीति के तहत वो तमाम लाभ नहीं मिल पा रहे हैं, जिसके चलते तिब्बती समुदाय के लोग सरकार से समय-समय पर अपनी मांगों को उठाते रहे हैं.
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दरअसल, केंद्र और राज्य सरकार की सभी जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्रदेश में रह रहे सभी तिब्बती समुदाय के नागरिकों को मिल सके, इसके लिए तिब्बती पुनर्वास नीति को प्रख्यापित करने की जरूरत है. बैठक के दौरान, उत्तराखंड में रह रहे तिब्बती समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि उनको जन्म प्रमाण पत्र बनाने, भूमि स्वामित्व विवाद, आवास, सड़क, पेयजल का ना मिलना समेत तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही प्रदेश में तिब्बती संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए शासन से मदद की जरूरत है.

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