ऋषिकेश: पंतजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण का परमार्थ निकेतन में गुरुकुल के ऋषिकुमारों ने वेदमंत्रों से स्वागत किया. इस मौके पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आचार्य बालकृष्ण से नदी तटों पर औषधीय पौधे रोपित करने के लिए स्थानीय लोगों को प्रेरित करने को कहा.जिससे जल एवं पर्यावरण के क्षेत्र में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त हो सकती है.
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि नदियों के तटों पर पौधों के रोपण से मृदा के अपरदन को रोका जा सकता है. इससे भूजल में वृद्धि होगी, नदियों का सतत जलप्रवाह बना रहेगा एवं प्रदूषण भी कम होगा. साथ ही इकोलाॅजिकल फ्लो को बनायें रखने के लिये भी नदियों के तटों पर वृक्षारोपण जरूरी है. उन्होंने कहा कि पेड़-पौधे कुदरत का वरदान हैं, वैसे तो पौधे मानवीय जीवन चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
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उन्होंने आगे कहा कि नदियों के तटों पर औषधीय पौधे और जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिये, जिससे मनुष्य और प्रकृति दोनों ही स्वस्थ रह सकते हैं. वर्तमान समय मे भूजल के स्तर में जबरदस्त गिरावट आयी है. अगर हम नदियों के तटों पर पौधों का रोपण करते है तो पौधे के मााध्यम से नदियां जल से भरी रहेगी, जिससे उन्हें पुनर्जीवन प्राप्त होगा. उन्होंने कहा कि हमारे देश में जल स्रोतों और नदियों को केवल जल प्रदान करने वाला नहीं मानते बल्कि पूजते हैं. इसी प्रकार वृक्षों का भी है, वृक्ष हमें प्राणवायु ऑक्सीजन प्रदान करते है जिससे हमें जीवन प्राप्त होता है.
वहीं आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि औषधीय पौधे की खोज महर्षि पंतजलि, धन्वंतरि, चरक और सुश्रुत की खोज और अथक प्रयासों का परिणाम है. उन्होंने कहा कि हमारी प्रकृति और पर्यावरण में अनेक औषधीय पौधे हैं उनका रोपण नदियों के तटों पर कर जल को शुद्ध और औषधीय गुणों से युक्त बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जड़ी-बूटियों का संरक्षण करना सभी का कर्तव्य है.