देहरादून: उत्तराखंड के चर्चित छात्रवृत्ति समाज कल्याण घोटाला मामले में आरोपित अधिकारियों व कर्मियों के जेल जाने और सस्पेंड होने के बावजूद उन पर अभी तक विभागीय कार्रवाई नहीं हो पाई है. जिसके कारण राज्य में मौजूदा भाजपा सरकार के जीरो टॉलरेंस वाली सरकार पर सवालिया निशान लगने लगे हैं. इस मामले में हाईकोर्ट में साफ आदेश देते हुए सरकार से कहा कि छात्रवृत्ति घोटाला मामले में समाज कल्याण विभाग के जिन पांच अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम आये हैं उनके खिलाफ विभागीय स्तर पर कब कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.
500 करोड़ से अधिक के छात्रवृत्ति घोटाला मामले में शासन में बैठे उन अधिकारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं, जिनके द्वारा पूरे मामले पर कोताही बरतने का आरोप लग रहा है. जबकि, लंबे समय से छात्रवृत्ति घोटाले की एसआईटी जांच में करोड़ों का सरकारी धन का गबन करने के सबूत भी मिल चुके हैं. हाईकोर्ट के आदेश पर गठित की गई एसआईटी टीम द्वारा अहम सबूतों के आधार पर सरकारी धन हड़पने वाले कई निजी शिक्षण संस्थानों के संचालक और उनसे मिली भगत करने वाले समाज कल्याण अधिकारी को गिरफ्तार कर जेल तक भेजा गया है.
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छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपी अधिकारियों को मिला प्रमोशन
छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपित समाज कल्याण विभाग के तीन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई होने के उलट उन सभी को विभाग द्वारा प्रमोशन दे दिया गया है. जहां एक आरोपित अधिकारी को संयुक्त निदेशक बनाया गया है, तो वहीं दूसरे को उप निदेशक और तीसरे को जनजाति विभाग का डिप्टी डायरेक्टर पदोन्नत किया है. जबकि, घोटाले जांच के मुताबिक, आरोपित अधिकारियों के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई नियमानुसार होनी चाहिए थी.
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कोर्ट के जवाब तलब के बाद विभागीय कार्रवाई के आदेश
छात्रवृत्ति घोटाला मामले में हाईकोर्ट की फटकार के बाद अब मुख्य सचिव ने संबंधित विभागों को आरोपित अधिकारी, कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में कब तक समाज कल्याण विभाग के आरोपित अधिकारियों पर कार्रवाई होगी इस पर सबकी नजर है.