ETV Bharat / state

वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट की स्टडी: राज्य में बड़े भूकंप का खतरा, 59 फीसदी भवनों पर पड़ेगा असर

author img

By

Published : Jan 12, 2021, 2:35 PM IST

उत्तराखंड के 9 पहाड़ी जिले भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील हैं. अब वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट की स्टडी ने और चिंता बढ़ा दी है. स्टडी के अनुसार राज्य में बड़ा भूकंप आया तो बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा.

uttarakhand state
वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट की स्टडी

देहरादून: वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट की स्टडी के अनुसार उत्तराखंड में यदि बड़ा भूकंप आया तो राज्य में बड़े स्तर पर जनहानि होने के साथ ही सालाना 2,480 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. क्योंकि बड़े भूकंप का असर राज्य के 59 प्रतिशत आवासीय भवनों पर पड़ेगा. जी हां, आपदा प्रबंधन विभाग ने वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट के तहत डिजास्टर रिस्क एसेसमेंट में यह आकलन किया है. लिहाजा जल्द ही यह रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी.

जोन चार और पांच में है उत्तराखंड

उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते, प्रदेश में भूकंप आना एवं आपदा जैसी स्थिति बनना आम बात है. यही वजह है भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड को जोन चार और पांच में रखा गया है. ऐसे में राज्य में भूकंप आने पर होने वाले नुकसान से बचने के लिए आपदा विभाग समय-समय पर अन्य विभागों के एक्सपर्ट्स के साथ मीटिंग करता रहा है ताकि प्रदेश के भीतर भूकंपरोधी भवनों के निर्माण पर जोर दिया जा सके.

सबसे ज्यादा नुकसान आवासीय भवनों को होगा

उत्तराखंड डिजास्टर रिस्क एसेसमेंट नाम की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड राज्य को सबसे बड़ा आर्थिक नुकसान आवासीय भवनों के क्षतिग्रस्त होने की वजह से ही होगा. क्योंकि प्रदेश में मौजूदा समय में 59 प्रतिशत आवासीय भवन ऐसे हैं जिन पर बड़े भूकंप का असर पड़ेगा. इसके साथ ही राज्य के 4 प्रतिशत भवनों को क्रिटिकल श्रेणी में भी रखा गया है. इन 4 प्रतिशत भवनों से जानमाल के नुकसान का खतरा सबसे अधिक है. इससे अलग प्रदेश में पुराने सरकारी भवन, स्कूल और अस्पताल की बिल्डिंग भी मौजूद हैं जिनसे इस रिपोर्ट में नुकसान की आशंका जताई गई है.

ये भी पढ़े: पीपल के इस पेड़ के नीचे स्वामी विवेकानंद ने लगाया था ध्यान, अब हल्द्वानी में है संरक्षित

राज्य को सालाना 2,480 करोड़ का नुकसान की आशंका

भवनों के साथ ही बड़े भूकंप का असर ट्रांसपोर्ट और पावर सप्लाई पर भी पड़ेगा. लिहाजा वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट के तहत किए गए डिजास्टर रिस्क एसेसमेंट की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि राज्य में अगर बड़े भूकंप आते हैं तो ऐसे में राज्य को सालाना 2,480 करोड़ का नुकसान उठाना होगा. उत्तराखंड के हरिद्वार में लालगढ़ के पास दो बड़े भूकंप आ चुके हैं. हालांकि इस बात को सैकड़ों साल हो गए हैं क्योंकि साल 1344 और फिर 1505 में 8 रिक्टर स्केल से अधिक तीव्रता के भूकंप आए थे. जिसके बाद से राज्य में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. यही वजह है कि वैज्ञानिक राज्य में बड़े भूकंप की आशंका जता रहे हैं.

वहीं इस मामले पर यूएसडीएमए की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि राज्य में बड़े भूकंप की आशंका जताई जा रही है. इसे देखते हुए भूकंप आने की संभावना पर राज्य में नुकसान कम हो इसके निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. यही नहीं सरकारी भवनों को भूकंप रोधी भवन के रूप में विकसित किया जा रहा है. साथ ही आवासीय भवनों के निर्माण में भी नई तकनीकी का इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है.

देहरादून: वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट की स्टडी के अनुसार उत्तराखंड में यदि बड़ा भूकंप आया तो राज्य में बड़े स्तर पर जनहानि होने के साथ ही सालाना 2,480 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. क्योंकि बड़े भूकंप का असर राज्य के 59 प्रतिशत आवासीय भवनों पर पड़ेगा. जी हां, आपदा प्रबंधन विभाग ने वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट के तहत डिजास्टर रिस्क एसेसमेंट में यह आकलन किया है. लिहाजा जल्द ही यह रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी.

जोन चार और पांच में है उत्तराखंड

उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते, प्रदेश में भूकंप आना एवं आपदा जैसी स्थिति बनना आम बात है. यही वजह है भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड को जोन चार और पांच में रखा गया है. ऐसे में राज्य में भूकंप आने पर होने वाले नुकसान से बचने के लिए आपदा विभाग समय-समय पर अन्य विभागों के एक्सपर्ट्स के साथ मीटिंग करता रहा है ताकि प्रदेश के भीतर भूकंपरोधी भवनों के निर्माण पर जोर दिया जा सके.

सबसे ज्यादा नुकसान आवासीय भवनों को होगा

उत्तराखंड डिजास्टर रिस्क एसेसमेंट नाम की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड राज्य को सबसे बड़ा आर्थिक नुकसान आवासीय भवनों के क्षतिग्रस्त होने की वजह से ही होगा. क्योंकि प्रदेश में मौजूदा समय में 59 प्रतिशत आवासीय भवन ऐसे हैं जिन पर बड़े भूकंप का असर पड़ेगा. इसके साथ ही राज्य के 4 प्रतिशत भवनों को क्रिटिकल श्रेणी में भी रखा गया है. इन 4 प्रतिशत भवनों से जानमाल के नुकसान का खतरा सबसे अधिक है. इससे अलग प्रदेश में पुराने सरकारी भवन, स्कूल और अस्पताल की बिल्डिंग भी मौजूद हैं जिनसे इस रिपोर्ट में नुकसान की आशंका जताई गई है.

ये भी पढ़े: पीपल के इस पेड़ के नीचे स्वामी विवेकानंद ने लगाया था ध्यान, अब हल्द्वानी में है संरक्षित

राज्य को सालाना 2,480 करोड़ का नुकसान की आशंका

भवनों के साथ ही बड़े भूकंप का असर ट्रांसपोर्ट और पावर सप्लाई पर भी पड़ेगा. लिहाजा वर्ल्ड बैंक प्रोजेक्ट के तहत किए गए डिजास्टर रिस्क एसेसमेंट की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि राज्य में अगर बड़े भूकंप आते हैं तो ऐसे में राज्य को सालाना 2,480 करोड़ का नुकसान उठाना होगा. उत्तराखंड के हरिद्वार में लालगढ़ के पास दो बड़े भूकंप आ चुके हैं. हालांकि इस बात को सैकड़ों साल हो गए हैं क्योंकि साल 1344 और फिर 1505 में 8 रिक्टर स्केल से अधिक तीव्रता के भूकंप आए थे. जिसके बाद से राज्य में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. यही वजह है कि वैज्ञानिक राज्य में बड़े भूकंप की आशंका जता रहे हैं.

वहीं इस मामले पर यूएसडीएमए की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि राज्य में बड़े भूकंप की आशंका जताई जा रही है. इसे देखते हुए भूकंप आने की संभावना पर राज्य में नुकसान कम हो इसके निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. यही नहीं सरकारी भवनों को भूकंप रोधी भवन के रूप में विकसित किया जा रहा है. साथ ही आवासीय भवनों के निर्माण में भी नई तकनीकी का इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.