देहरादून: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने देश के शैक्षणिक संस्थानों में हो रही आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर अपनी गहरी चिंता जताई है. एबीवीपी ने सरकार से मांग की है कि आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को रोका जाए. इसके लिये महत्वपूर्ण व प्रभावी कदम उठाए जाएं. परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल का कहना है कि एबीवीपी शिक्षा के क्षेत्र के सभी हित धारकों से आग्रह करती है कि इस समस्या के समाधान के लिए सभी एक साथ मिलकर देश के शैक्षणिक परिसरों को सार्थक छात्र जीवन का केंद्र बनाने का प्रयास करें. जहां पर रचनात्मक व तनाव मुक्त वातावरण तैयार हो सके.
इतिहास के पाठ्यक्रम में बदलाव की मांग: महामंत्री ने कहा कि परिषद ने लंबे समय से शिक्षा के क्षेत्र में भारत के मूल्यों के समुचित समावेश, इतिहास आदि विषयों में भारतीय दृष्टि के साथ तार्किकता के समावेश व पक्षपाती पाठ्यक्रमों में बदलाव करने की मांगें उठाई हैं. शुक्ल का कहना है कि देश के इतिहास को तोड़ मरोड़ कर दिल्ली सल्तनत को भारत का इतिहास बताने का प्रयास कई वर्षों से चल रहा है. जिसके आधार पर नौजवानों और युवाओं को भारत के गौरव और स्वाभिमान की अनुभूति नहीं हो पा रही है. इसलिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आशान्वित है कि एनसीईआरटी के तथा विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में हो रहे बदलावों से देश का शिक्षा क्षेत्र सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेगा.
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परीक्षाओं में पारदर्शिता जरूरी: उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि भारत के पाठ्यक्रमों में देश के गौरवशाली अतीत की गाथाएं शामिल होनी चाहिए. भारत का वास्तविक इतिहास पाठ्यक्रमों में शामिल होने से भारत के आत्म स्वाभिमान और आत्म गौरव का जागरण होगा. वहीं एबीवीपी ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के संदर्भ में भी यह मांग उठाई है कि एनटीए द्वारा आयोजित की जा रही परीक्षाओं में पारदर्शिता बढ़ाई जाए. साथ ही विश्वसनीय व सरकारी कंप्यूटर लैब को ही परीक्षा केंद्र बनाया जाए.