देहरादून/ पिथौरागढ़: सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से देश ही नहीं दुनिया में अपना डंका बजाया है. आयरन वाल ऑफ एशिया त्रिलोक सिंह बसेड़ा, द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित हंसा मनराल, बॉक्सिंग के भीष्म पितामह हरी सिंह थापा, सहित आधा दर्जन एवरेस्ट विजेता इसी जिले से हैं. उन्हीं में से एक हैं हंसा मनराल, जिनकी बदौलत से चीन में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में भी भारतीय महिला टीम ने तीन स्वर्ण, चार रजत और 14 कांस्य पदक प्राप्त किए हैं.
द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित
गौर हो कि पिथौरागढ़ के भाटकोट में जन्मी हंसा मनराल भारत की पहली महिला भारोत्तोलक कोच रही है. इनके दिशा-निर्देश में पहली बार भारतीय भारत्तोलक महिलाओं ने विश्व भारोत्तोलन प्रतियोगिता में पांच रजत और दो कांस्य पदक जीते थे. वहीं, चीन में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में भी भारतीय महिला टीम ने तीन स्वर्ण, चार रजत और 14 कांस्य पदक प्राप्त किए हैं. यही कारण है कि भारत सरकार की ओर से 29 सितंबर 2001 को हनसा मनराल को द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
खुद लिखा अपना मुकद्दर
बता दें कि, मल्लेश्वरी, रोमा देवी या ज्योत्सना दत्ता सभी वो नाम हैं जो हंसा मनराल के प्रशिक्षणार्थी रही हैं. उनसे प्रशिक्षण प्राप्त कई खिलाड़ी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रदेश और देश का नाम रोशन कर चुके हैं. वहीं देश को कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी देने वाला इस जिले में खेल सुविधाओं का अभाव है. लेकिन सरकार की सुविधाओं को पीछे छोड़कर खिलाड़ियों ने अपना मुकद्दर खुद लिखा है,जो काबिले तारीफ है. इन्हीं में से एक हंसा मनराल भी हैं जिनकी खेल प्रतिभा की चौतरफा तारीफ होती है और उनसे प्रशिक्षण लेने वाले युवा खेल में देश और दुनिया में अपना परचम लहरा रहे हैं.