देहरादून: उत्तराखंड सरकार और स्वास्थ्य विभाग भले ही यात्रा की तैयारियों के लाख दावे कर रहा हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर नजर आ रही है. क्योंकि यात्रा मार्ग पर 8 दिन में 22 श्रद्धालुओं की मौत ये बताने के लिए काफी है. केंद्र सरकार में भी चारधाम में हुई इन मौतों को गंभीरता से लिया है. यही कारण है कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से इस पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी है. मंगलवार शाम स्वास्थ्य सचिव ने पीएमओ को जवाब भेजा है. वैसे इन मौतों के पीछे जहां सरकार की खामियां सामने आ रही हैं तो वहीं श्रद्धालुओं की लापरवाही भी उनकी जान पर भारी पड़ रही है. आज हम आपको बता रहे हैं कि चारधाम यात्रा में इतनी मौतें क्यों हो रही हैं?
चारधाम यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की जो मौतें हुई हैं, उसमें से अधिकाश हार्ट अटैक से हुई हैं. हालांकि, कुछ अन्य बीमारियों के चलते भी यात्रियों की मौत हुई हैं. वहीं, केदारनाथ पैदल मार्ग पर एक श्रद्धालु की मौत पैर फिसलकर खाई में गिरने से हुई है. केदारनाथ धाम में तैनात डॉक्टर प्रदीप भारद्वाज के मुताबिक, यदि श्रद्धालु कुछ बातों का ध्यान रखते हैं तो वे इस तरह के खतरों से बच सकते हैं और आसानी से अपनी यात्रा पूरी कर सकते हैं.
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डॉक्टर प्रदीप भारद्वाज के अनुसार चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु कुछ गलतियां कर रहे हैं, जो उनके जीवन पर भारी पड़ रही है. उसमें सबसे बड़ी गलती यह है कि लोग कम समय में केदारनाथ धाम जैसी जगह से दर्शन करके वापस जाना चाहते हैं. इसमें हेलीकॉप्टर से आने वाले लोगों की संख्या भी अधिक है. जब आप हेलीकॉप्टर में नीचे यानी गुप्तकाशी या फाटा से बैठते हैं तो वहां का मौसम गर्म होता है और जब आप ऊपर यानी 12 हजार फीट की ऊंचाई पर केदारनाथ धाम में पहुंचते हैं तो बहुंत ज्यादा ठंड होती है. ऐसे में व्यक्ति की बॉडी उस टेंपरेचर को एडोप्ट नहीं कर पाती है और उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. यही गलती पैदल मार्ग से आने वाले श्रद्धालु भी करते हैं, वो भी समय बचाने के लिए जल्दी जल्दी चलते हैं, जिसके कारण उन्हें सांस की दिक्कत होने लगती है.
तबीयत बिगड़ने के प्रमुख कारण: केदारनाथ धाम में तबीयत अगर बिगड़ रही है तो इसका एक कारण पर्याप्त गर्म कपड़ों का उपयोग नहीं करना, बिना डाक्टरी सलाह के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ट्रेकिंग, दिल की धड़कन तेज होने के बावजूद चलते रहना, पैदल मार्ग पर जंक फूड का सेवन करना भी है. इसके अलावा अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों, खासकर केदारनाथ और यमुनोत्री में ऑक्सीजन की कमी और लगातार चढ़ाई में रक्तचाप अनियमित होने के कारण लोग को सांस लेने में दिक्कत होती है. ऐसे में हृदय रोगियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं, यमुनोत्री और केदारनाथ के लिए काफी पैदल चलना पड़ता है. साथ ही रास्ता काफी चढ़ाई वाला भी है, जिसमें ब्लड प्रेशर और शुगर के मरीजों को परेशानी होती है.
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धाम में मात्र 57 फीसदी ऑक्सीजन: बता दें कि एक स्वस्थ्य व्यक्ति को सांस लेने के लिए 70 प्रतिशत ऑक्सीजन की जरूरत होती है. जबकि, आठ हजार फीट की ऊंचाई के बाद से ऑक्सीजन की जरूरत बढ़ने लगती है. इसके बाद केदारनाथ धाम में सांस लेने के लिए 87 फीसदी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है, लेकिन यहां पर मात्र 57 फीसदी ऑक्सीजन है, जिसकी वजह से बेचैनी, बेहोश होना व हार्ट अटैक जैसी घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है.
डॉक्टर के सुझाव: डॉक्टर प्रदीप भारद्वाज का कहना है कि 12000 फीट की चढ़ाई पर चढ़ना कोई मामूली बात नहीं है. श्रद्धालु की चाहिए की वो पहले 6 हजार फीट पर आकर आराम करें और अपने शरीर को आराम दे. इसके बाद जब श्रद्धालु आठ, दस और बारह हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचे पर जगह-जगह आराम करें. इस तरह आपकी आपकी बॉडी उस मौसम और माहौल के मुताबिक हो जाती है. यात्रा के पड़ाव पर पहुंचने के लिए किसी तरह से जल्दबाजी न करें. शरीर को मौसम के हिसाब से ढलने का समय दें.
डॉक्टर प्रदीप भारद्वाज ने चढ़ाई चढ़ने के दौरान श्रद्धालु को सलाह दी है कि वे 5 से 10 मिनट का आराम करने बजाय लंबा आराम करें. अक्सर श्रद्धालु ऐसी ही करते हैं कि वे 5 से 10 मिनट ही आराम करते हैं और फिर चलने लगते हैं. श्रद्धालुओं को ऐसा नहीं करना चाहिए. यह किसी भी हालत में सही नहीं है. इसके अलावा गर्म कपड़े अपने साथ रखें. अपने साथ ड्राइफ्रूट्स भी कैरी कर सकते हैं. इसके साथ ही रुकने की व्यवस्था कहां होगी कैसे होगी, इसको लेकर भी आप पहले से ही तैयारी करके रखें. 1 दिन में केदारनाथ की यात्रा का प्लान बिल्कुल ना करें.
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सरकार भी आई हरकत में: चारधाम में 8 दिनों 20 तीर्थयात्रियों की मौत के बाद सरकार की हरकत में आ गई है. पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर का कहना कि चारधाम यात्रा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं. सरकार लगातार लोगों के रहने, खाने और स्वास्थ्य की व्यवस्था को बढ़ा रही है. साथ ही बिना पंजीकरण आने वाले यात्रियों को किसी भी धाम में नहीं जाने दिया जा रहा है. सरकार श्रद्धालुओं की संख्या सीमित करने जा रही है. ताकि व्यवस्थाए खराब न हो.
वहीं, उत्तराखंड की स्वास्थ्य सचिव राधिका झा ने चारधाम यात्रा को लेकर मंगलवार शाम को एक बैठक की. बैठक में उन्होंने चारधाम यात्रा को लेकर महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किए. स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ शैलजा भट्ट ने बताया कि यात्रा पर आने वाले लोगों को इतिहास के तौर पर अपनी रिपोर्ट के साथ ही स्वास्थ्य परीक्षण भी कराना होगा.
शासन की तरफ से जारी किए गए दिशा-निर्देश:
- स्वास्थ्य परीक्षण के उपरांत ही यात्रा के लिए प्रस्थान करें.
- पूर्व से बीमार व्यक्ति अपने चिकित्सक का परामर्श पर्चा एवं चिकित्सक का संपर्क नम्बर अवश्य साथ रखें.
- अति वृद्ध एवं बीमार व्यक्तियों एवं पूर्व में कोविड से ग्रसित व्यक्तियों के लिए यात्रा पर न जाना या कुछ समय के लिए स्थगित करना उचित होगा.
- गर्म एवं ऊनी वस्त्र साथ में अवश्य रखें.
- हृदय रोग, श्वसन रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप से ग्रस्त रोगी ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जाते समय विशेष सावधानी बरते.
- उपरोक्त बीमारियों से ग्रस्त व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में दवाईयां साथ रखे एवं चिकित्सक द्वारा लिखी गयी दवाइयों एवं परामर्श पर्ची यात्रा के दौरान अपने साथ रखें.
- लक्षण जैसे- सिर दर्द होना, चक्कर आना, घबराहट का होना, दिल की धड़कन तेज होना, उल्टी आना, हाथ-पांव व होठों का नीला पड़ना, थकान होना, सांस फूलना,
- खांसी होना अथवा अन्य लक्षण होने पर तत्काल निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे एवं 104 हेल्पलाइन नम्बर पर सम्पर्क करें.
- धूम्रपान व अन्य मादक पदार्थों के सेवन से परहेज करें.
- सनस्क्रीन एसपीएफ 50 का उपयोग अपनी त्वचा को तेज धूप से बचाने के लिए करें.