देहरादून: जोशीमठ शहर में हुए भू धंसाव के चलते करीब 760 मकान प्रभावित हुए हैं. जोशीमठ शहर में भू धंसाव की घटना कोई नई बात नहीं है बल्कि इससे पहले भी भूधासव की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. पिछले साल भू धंसाव का मामला सामने आने के बाद राज्य और केंद्र सरकार ने काफी गंभीरता दिखाई. इसके साथ ही तमाम संस्थानों के वैज्ञानिकों ने इसके वजहों की जांच भी की थी. इसके बाद प्रभावित परिवारों के पुनर्वास का निर्णय लिया गया. साथ ही भारत सरकार ने जोशीमठ शहर के रिकवरी और रिकंस्ट्रक्शन के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन भी किया था.
गुरुवार को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में दिल्ली में उच्च स्तरीय समिति की बैठक की. बैठक के दौरान जोशीमठ के लिए 1658.17 करोड़ रुपये की रिकवरी और रिकंस्ट्रक्शन योजना को मंजूरी दे दी है. इस योजना के तहत, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) की रिकवरी और रिकंस्ट्रक्शन विंडो से 1079.96 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता दी जाएगी. इसके साथ ही राज्य सरकार राहत के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) से 126.41 करोड़ रुपये और राज्य के बजट से 451.80 करोड़ रुपये दिये जाए, जिसमें पुनर्वास के लिए 91.82 करोड़ रुपये भूमि अधिग्रहण लागत भी शामिल हैं.
उत्तराखंड का जोशीमठ भूस्खलन और ज़मीन धंसने से प्रभावित हुआ है. केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को सभी आवश्यक तकनीकी और लॉजिस्टिक सहायता प्रदान की है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और NDMA के मार्गदर्शन में सभी तकनीकी एजेंसियों ने त्वरित कार्रवाई कर जोशीमठ के लिए रिकवरी योजना तैयार करने में राज्य सरकार की मदद की है. जोशीमठ के लिए रिकवरी योजना को बैस्ट प्रैक्टिसिस, Build Back Better (BBB) सिद्धांतों और sustainability initiatives का पालन करते हुए तीन वर्षों में लागू किया जाएगा. इसके बाद जोशीमठ पारिस्थितिक स्थिरता का एक उत्कृष्ट उदाहरण बनकर उभरेगा.