चंपावत: आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या से ग्रामीण परेशान हैं. लेकिन प्रशासन को इसकी कोई फिक्र नही. ये कहना है चंपावत जिले के पाटी ब्लॉक की ग्रामीण महिलाओं का. क्षेत्रवासियों का कहना है कि आवारा पशुओं में सबसे ज्यादा संख्या गायों की हैं. उनका कहना है कि गाय जब दूध देना बंद कर देती है, तो लोग उन्हें जंगल या ग्रामीण क्षेत्रों में छोड़ देते हैं. जिससे आवारा पशु ग्रामीणों की फसल नष्ट कर देते हैं. इससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. ऐसे में महिलाएं आवारा पशुओं को लेकर तहसील पहुंची और एसडीएम को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की दरख्वास्त की.
गौरतलब है कि रात में आवारा घूमते पशु सड़क दुघर्टना का कारण भी बन रहे हैं. इसके अलावा कड़ाके की ठंड में पशु रात भर सड़कों पर भटकते रहते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि कई पशु ठंड से मर भी जाते हैं. इस तरह पशुओं को आवारा छोड़ने पर गौ सेवकों के साथ-साथ स्थानीय लोगों में भी भारी आक्रोश है. लोगों ने पशुओं को आवारा छोड़ने वालों को पकड़ने के साथ ऐसे लोगों को आर्थिक दंड लगाने की भी मांग की है.
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रविवार को ग्रामीण महिलाओं ने आवारा पशुओं को एकत्र किया और तहसील पहुंचे. जहां उन्होंने एसडीएम शिप्रा जोशी को ज्ञापन सौंपा. एसडीएम ने आवारा घूमते पशुओं को चिह्नित कर गौशाला में भेजने का आश्वासन दिया है. उन्होंने बताया कि गौशाला द्वारा छोड़े गए पशुओं की टाइटिंग करने के लिए पशु चिकित्सा अधिकारी को भी निर्देशित किया गया है.