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इंदिरा अम्मा कैंटीन पर लटका ताला, सब्सिडी न मिलने से संचालक परेशान

चंपावत में इंदिरा अम्मा कैंटीन संचालक ने सब्सिडी न मिलने पर कैंटीन पर ताला लटका दिया है.

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बंद होने की कगार पर इंदिरा अम्मा कैंटीन
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Published : Jan 4, 2020, 5:35 PM IST

चम्पावत: जिले में शुरू हुई इंदिरा अम्मा कैंटीन पर अब ताला लटक गया है. नगर के सहकारिता भवन के दो कमरों में चल रही इंदिरा अम्मा कैन्टीन पिछले तीन दिनों से बंद है. कैंन्टीन संचालक का कहना है कि सब्सिडी न मिलने के कारण उसने यह कैंटीन बंद कर दी है.

इंदिरा अम्मा कैंटीन पर लटका ताला.

कैंटीन संचालक गिरधर सिंह ने बताया कि पिछले 9 महीने से उन्हें थाली पर मिलने वाली सब्सिडी नहीं मिल पायी है. जिसके कारण उन्हें कैंटीन संचालन का करने में दिक्कतें आ रही हैं. उन्होंने बताया पहले यहां 10 महिलाएं काम करती थी, मगर बजट न होने और वेतन न मिलने के कारण वे सभी यहां से काम छोड़कर चले गये हैं. अब सिर्फ यहां चार कर्मचारी ही रह गए हैं. जिसके कारण कैंटीन में व्यवस्थाएं चलाना मुश्किल हो रहा है.

पढ़ें-सिंगल यूज प्लास्टिक: जन जागरुकता अभियान चलाएगा उत्तराखंड खाद्य सुरक्षा विभाग

गिरधर सिंह बताते हैं कि इंदिरा अम्मा कैंटीन में हर रोज गरीब तबके के मजदूरों को सस्ती दरों पर खाना दिया जाता है, लेकिन अब कैंटीन के बंद हो जाने से उन्हें भी इस योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा. वहीं, सहायक परियोजना प्रबन्धक विम्मी जोशी का कहना है कि पहले की सरकारों में भी इस योजना के लिए बजट नहीं मिल पाया था. जल्द ही समस्याओं को हलकर कैंटीन संचालकों को भुगतान किया जाएगा. ताकि गरीब तबके को इस योजना का लाभ मिलता रहे.

चम्पावत: जिले में शुरू हुई इंदिरा अम्मा कैंटीन पर अब ताला लटक गया है. नगर के सहकारिता भवन के दो कमरों में चल रही इंदिरा अम्मा कैन्टीन पिछले तीन दिनों से बंद है. कैंन्टीन संचालक का कहना है कि सब्सिडी न मिलने के कारण उसने यह कैंटीन बंद कर दी है.

इंदिरा अम्मा कैंटीन पर लटका ताला.

कैंटीन संचालक गिरधर सिंह ने बताया कि पिछले 9 महीने से उन्हें थाली पर मिलने वाली सब्सिडी नहीं मिल पायी है. जिसके कारण उन्हें कैंटीन संचालन का करने में दिक्कतें आ रही हैं. उन्होंने बताया पहले यहां 10 महिलाएं काम करती थी, मगर बजट न होने और वेतन न मिलने के कारण वे सभी यहां से काम छोड़कर चले गये हैं. अब सिर्फ यहां चार कर्मचारी ही रह गए हैं. जिसके कारण कैंटीन में व्यवस्थाएं चलाना मुश्किल हो रहा है.

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गिरधर सिंह बताते हैं कि इंदिरा अम्मा कैंटीन में हर रोज गरीब तबके के मजदूरों को सस्ती दरों पर खाना दिया जाता है, लेकिन अब कैंटीन के बंद हो जाने से उन्हें भी इस योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा. वहीं, सहायक परियोजना प्रबन्धक विम्मी जोशी का कहना है कि पहले की सरकारों में भी इस योजना के लिए बजट नहीं मिल पाया था. जल्द ही समस्याओं को हलकर कैंटीन संचालकों को भुगतान किया जाएगा. ताकि गरीब तबके को इस योजना का लाभ मिलता रहे.

Intro:चम्पावत में गरीबों की थाली इंदिरा अम्मा कैन्टीन बंद होने की कगार पर
चम्पावत। जिले में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 98 वीं जयंती पर 19 नवंबर शुरू की इंदिरा अम्मा कैंटीन योजना अब चम्पावत जिले में बंद होने की कगार पर है।
महंगाई के दौर में गरीब और मजदूरों को 30 रूपये के हिसाब से इंदिरा अम्मा भोजनालय में मिलने वाले भोजन पर अब ब्रेक लग सकता है। चम्पावत स्टेशन में सहकारीता भवन के दो कमरों में चल रही इंदिरा अम्मा कैन्टीन पिछले तीन दिनों से बंद है। कैंन्टीन संचालक ने सब्सिडी न मिलने के कारण बंद कर दी है। Body:कैंटिन चलाने वाले गिरधर सिंह ने बताया कि पिछले 9 माह से उन्हें थाली में मिलने वाली सब्सिडी नहीं मिल पायी है। पहले 10 महिलाएं इस कैन्टिन में कार्य करती थी परंतु समय पर सरकार से बजट न मिल पाने के कारण समय से वेतन नहीं मिल पा रहा था। जिससे बाद में चार ही कर्मचारी रह गए। कैन्टीन में रोज मजदूर गरीब तबके लोंगो के सस्ती दरों में भोजन मिल जाता था लेकिन कैन्टीन बंद होने से उन्हें महंगी दरों में भोजन खाना पडेगा।
Conclusion:वहीं सहायक परियोजना प्रबन्धक विम्मी जोशी का कहना है कि पूर्व में सरकार से ही बजट नहीं मिल पाया था और कैन्टीन का एकाउन्ट में नाम परिवर्तन नहीं हो पा रहा था। अब सारी समस्याओं को हल कर दिया गया है तथा कैन्टीन का भुगतान हो गया है।
बाइट 1- गिरधर सिंह फत्र्याल कैन्टीन संचाल
बाइट 2- विम्मी जोशी परियोजना प्रबन्धक
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