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चंपावत: मां वज्र वाराही की निकाली गई शोभायात्रा

मंगलवार को मां वज्र वाराही की शोभायात्रा मुचकुंद ऋषि के आश्रम तक निकाली गई. इस दौरान मंदिर सीमित के लोगों ने शामिल होकर मां वाराही का आशीर्वाद लिया

Champawat
मां वज्र वाराही की मुचकुंद ऋषि के आश्रम तक निकाली गई शोभायात्रा
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Published : Aug 4, 2020, 9:38 PM IST

चंपावत: देवीधुरा में स्थित मां वज्र वाराही धाम में मंगलवार को मां की डोली यात्रा निकाली गई, जिसमें मंदिर सीमित के लोगों ने शामिल होकर मां वाराही का आशीर्वाद लिया. वहीं, इस दौरान आचार्य कीर्तिबल्लभ जोशी, पुरोहित गिरिजा प्रसाद जोशी ने मंत्रोच्चारण के बीच विधि-विधान से पूजा कराई, साथ ही आंखों में पट्टी बांधकर मां वाराही की मूर्ति को स्नान भी कराया गया.

दरअसल, परंपरा के अनुसार श्रावणी पूर्णिमा रक्षाबंधन पर होने वाली 'बग्वाल' पूजा के दूसरे दिन मां वाराही देवी के विशेष पूजन के साथ ही आंखों में पट्टी बांधकर उनकी मूर्ति को स्नान कराया जाता है. इस बार जमन सिंह बागड़ और पूरन सिंह बागड़ ने पूजन कराने के बाद अपनी आंखों पर काली पट्टी बांधकर मां वज्र वाराही की मूर्ति को स्नान करवाया. स्नान के पश्चात मूर्ति को चारों खामों के मुखियाओं की मौजूदगी में कोट बैरख निवासी हर सिंह महर को सौंपा दिया गया.

मां वज्र वाराही की निकाली गई शोभायात्रा.

पढ़ें- धर्मनगरी से फूंका था राम मंदिर आंदोलन का बिगुल, 500 साल का सपना हुआ साकार

इसके बाद मंदिर से मां वज्र वाराही की शोभायात्रा मुचकुंद ऋषि के आश्रम तक निकाली गई. मुचकुंद ऋषि के आश्रम की परिक्रमा करने के बाद मां वाराही की मूर्ति को मूल स्थान सिंहासन डोले में सुरक्षित रख दिया गया.

चंपावत: देवीधुरा में स्थित मां वज्र वाराही धाम में मंगलवार को मां की डोली यात्रा निकाली गई, जिसमें मंदिर सीमित के लोगों ने शामिल होकर मां वाराही का आशीर्वाद लिया. वहीं, इस दौरान आचार्य कीर्तिबल्लभ जोशी, पुरोहित गिरिजा प्रसाद जोशी ने मंत्रोच्चारण के बीच विधि-विधान से पूजा कराई, साथ ही आंखों में पट्टी बांधकर मां वाराही की मूर्ति को स्नान भी कराया गया.

दरअसल, परंपरा के अनुसार श्रावणी पूर्णिमा रक्षाबंधन पर होने वाली 'बग्वाल' पूजा के दूसरे दिन मां वाराही देवी के विशेष पूजन के साथ ही आंखों में पट्टी बांधकर उनकी मूर्ति को स्नान कराया जाता है. इस बार जमन सिंह बागड़ और पूरन सिंह बागड़ ने पूजन कराने के बाद अपनी आंखों पर काली पट्टी बांधकर मां वज्र वाराही की मूर्ति को स्नान करवाया. स्नान के पश्चात मूर्ति को चारों खामों के मुखियाओं की मौजूदगी में कोट बैरख निवासी हर सिंह महर को सौंपा दिया गया.

मां वज्र वाराही की निकाली गई शोभायात्रा.

पढ़ें- धर्मनगरी से फूंका था राम मंदिर आंदोलन का बिगुल, 500 साल का सपना हुआ साकार

इसके बाद मंदिर से मां वज्र वाराही की शोभायात्रा मुचकुंद ऋषि के आश्रम तक निकाली गई. मुचकुंद ऋषि के आश्रम की परिक्रमा करने के बाद मां वाराही की मूर्ति को मूल स्थान सिंहासन डोले में सुरक्षित रख दिया गया.

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