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17 सालों से दे रही दूध दे रही है ये कमाल की 'कामधेनु', आजीविका का भी बन रही सहारा - Cow near Rameshwari Devi of Chamoli

चमोली में रामेश्वरी देवी के पास एक ऐसी गाय है जो पिछले 17 सालों से दूध दे रही है. अक्सर गायें 7-8 साल ही दूध देती हैं. मगर, रामेश्वरी देवी की गाय कामधेनु की तरह है जो उनकी हर मनोकामना पूरी करती है.

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चमोली की रामेश्वरी देवी के पास है 'कामधेनु'
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Published : Mar 27, 2022, 6:08 PM IST

Updated : Mar 27, 2022, 6:42 PM IST

चमोली: गाय को हिंदू धर्म में एक पवित्र पशु माना जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं में गाय को मानव जीवन को चलाने वाला जीव भी माना गया है. हिंदू धर्म के आध्यात्मिक ग्रन्थों में गाय को लेकर विभिन्न कथा-कहानियां मौजूद हैं. जिसमें से सबसे प्रचलित पौराणिक कथा कामधेनु गाय की है. कामधेनु, देवताओं और दानवों के बीच हुए समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में से एक थी. जिसको लेकर मान्यता है कि वह ऋषियों को मिली. कानधेनु हर कामना को पूर्ण करने वाली धेनू यानि गाय थी. आज 21वीं सदी में हम आपको ऐसी ही एक गाय के बारे में बताने जा रहे हैं.

17 सालों से दूध दे रही गाय: आज जिस गाय के बारे में हम आपको बता रहे हैं वो कोई साधारण गाय नहीं है. ये गाय पिछले 17 सालों से एक परिवार की दूध की कामना बिना रूके पूरी कर रही है. चमोली कस्बे से करीब 3 किलोमीटर दूर बालखिला गांव में ऐसी गाय है जो सालों से लगातार दूध दे रही है.

चमोली की रामेश्वरी देवी के पास है 'कामधेनु'

परिवार का हिस्सा हो गई ये गाय: बालखिला गांव में 100 से ज्यादा अनुसूचित जाति और जनजाति के परिवार वर्षों से बेहद सीमित संसाधनों में जीवन यापन करते हैं. इसी गांव में रामेश्वरी देवी नाम की एक बुजर्ग महिला रहती है. रामेश्वरी देवी अपने परिवार में बची अकेली सदस्य है. जीवन के अकेलेपन का सहारा कई वर्षों से उसकी एक गाय है, जो पशु होते हुए भी परिवार का अहम हिस्सा है. ये गाय उसके लिए गाय मात्र नहीं बल्कि कामधेनु है.

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दुख भरी है रामेश्वरी की कहानी: दरअसल, रामेश्वरी देवी की शादी 17 साल की उम्र में हो गई थी, जीवन के बसन्त शुरू ही हुए ही थे कि कुछ समय बाद उनके पति की एक वाहन दुर्घटना में मौत हो गई. उसी दौरान रामेश्वरी देवी के एकलौते बच्चे की भी दर्दनाक मौत हो गई. एक के बाद एक हुई इन घटनाओं के बाद रामेश्वरी देवी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.

गाय से मिला घर चलाने का सहारा: बाद में किसी तरह रामेश्वरी ने जीवन को नई राह दी. उन्होंने घर के चूल्हे को चलाने की जिम्मेदारी संभाली. साल 2005-06 में सरकार द्वारा आजीविका के लिए चलाई जा रही योजना के तहत रामेश्वरी देवी को पशुपालन विभाग चमोली से एक गाय मिली. रामेश्वरी देवी बताती हैं कि जब वह गैरसैंण के पास भराड़ीसैंण से गाय अपने गांव लाई तो उसके साथ एक बछड़ा भी था. तब ये गाय करीब 8 लीटर दूध देती थी. इस गाय से रामेश्वरी को घर चलाने का सहारा मिला.

पढ़ें- हरदा ने जाहिर की नाराजगी तो सीधे घर पहुंच गए धामी, पूछी- कुशलक्षेम

सुबह-शाम 3 लीटर दूध देती है गाय: कुछ समय बाद गाय ने एक और बछड़े को जन्म दिया. जिसे पशुपालन विभाग के कर्मचारी ले गए. बस तब से आज तक इस गाय ने कोई बछ़ड़ा नहीं दिया. शायद इस गाय का अपने बच्चे के बिन जीवन और इस घर में रामेश्वरी का दुख एक जैसा हो लेकिन दोनों कभी अपने धर्म से विमुख नहीं हुए. गाय ने बछ़ड़ा तो नहीं दिया लेकिन रामेश्वरी को कभी बेसहारा भी नहीं किया. यही वजह है कि यह गाय पिछले 17 वर्षों से सुबह-शाम 3 लीटर दूध देती हैं. जिससे रामेश्वरी देवी की आजीविका भी चल रही है.

रामेश्वरी और उसकी गाय की जीवन की कहानी जितनी एक-दूसरे के करीब दिखती है उतनी आत्मीयता से भी जुड़ी है. रामेश्वरी कहती हैं कि ये गाय उसके जीवन में कामधेनु जैसी है. जिसने समय के साथ उसके पति और बच्चे की कमी को भी पूरा करने की कोशिश की है. यह गाय आज उसके परिवार के सदस्य की तरह है. रामेश्वरी अपना अधिकांश समय इसी गाय के साथ गौशाला में बिताती हैं.

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वैज्ञानिक हार्माेनल बदलाव को बताते हैं वजह: यह गाय आज आसपास के क्षेत्रों में अपनी खास गुण के लिए जानी जाती है. कोई इसे देखने आता है तो कोई इसका सौदा करने पहुंच जाता है. आज जहां अंतरिक्ष विज्ञान से लेकर प्राणी विज्ञान तक की हर घटना तथ्यों के साथ जानी जाती है. वहीं, विज्ञान के इस युग में कई बार लोग इस अद्भुत गाय के गुणों को देखकर दांतो तले अंगुली दबाने को मजबूर हो जाते हैं. हालांकि, विज्ञान के जानकार पशुओं में ऐसी विशेषता के पीछे हार्माेनल बदलाव को बड़ी वजह मानते हैं.

चमोली: गाय को हिंदू धर्म में एक पवित्र पशु माना जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं में गाय को मानव जीवन को चलाने वाला जीव भी माना गया है. हिंदू धर्म के आध्यात्मिक ग्रन्थों में गाय को लेकर विभिन्न कथा-कहानियां मौजूद हैं. जिसमें से सबसे प्रचलित पौराणिक कथा कामधेनु गाय की है. कामधेनु, देवताओं और दानवों के बीच हुए समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में से एक थी. जिसको लेकर मान्यता है कि वह ऋषियों को मिली. कानधेनु हर कामना को पूर्ण करने वाली धेनू यानि गाय थी. आज 21वीं सदी में हम आपको ऐसी ही एक गाय के बारे में बताने जा रहे हैं.

17 सालों से दूध दे रही गाय: आज जिस गाय के बारे में हम आपको बता रहे हैं वो कोई साधारण गाय नहीं है. ये गाय पिछले 17 सालों से एक परिवार की दूध की कामना बिना रूके पूरी कर रही है. चमोली कस्बे से करीब 3 किलोमीटर दूर बालखिला गांव में ऐसी गाय है जो सालों से लगातार दूध दे रही है.

चमोली की रामेश्वरी देवी के पास है 'कामधेनु'

परिवार का हिस्सा हो गई ये गाय: बालखिला गांव में 100 से ज्यादा अनुसूचित जाति और जनजाति के परिवार वर्षों से बेहद सीमित संसाधनों में जीवन यापन करते हैं. इसी गांव में रामेश्वरी देवी नाम की एक बुजर्ग महिला रहती है. रामेश्वरी देवी अपने परिवार में बची अकेली सदस्य है. जीवन के अकेलेपन का सहारा कई वर्षों से उसकी एक गाय है, जो पशु होते हुए भी परिवार का अहम हिस्सा है. ये गाय उसके लिए गाय मात्र नहीं बल्कि कामधेनु है.

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दुख भरी है रामेश्वरी की कहानी: दरअसल, रामेश्वरी देवी की शादी 17 साल की उम्र में हो गई थी, जीवन के बसन्त शुरू ही हुए ही थे कि कुछ समय बाद उनके पति की एक वाहन दुर्घटना में मौत हो गई. उसी दौरान रामेश्वरी देवी के एकलौते बच्चे की भी दर्दनाक मौत हो गई. एक के बाद एक हुई इन घटनाओं के बाद रामेश्वरी देवी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.

गाय से मिला घर चलाने का सहारा: बाद में किसी तरह रामेश्वरी ने जीवन को नई राह दी. उन्होंने घर के चूल्हे को चलाने की जिम्मेदारी संभाली. साल 2005-06 में सरकार द्वारा आजीविका के लिए चलाई जा रही योजना के तहत रामेश्वरी देवी को पशुपालन विभाग चमोली से एक गाय मिली. रामेश्वरी देवी बताती हैं कि जब वह गैरसैंण के पास भराड़ीसैंण से गाय अपने गांव लाई तो उसके साथ एक बछड़ा भी था. तब ये गाय करीब 8 लीटर दूध देती थी. इस गाय से रामेश्वरी को घर चलाने का सहारा मिला.

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सुबह-शाम 3 लीटर दूध देती है गाय: कुछ समय बाद गाय ने एक और बछड़े को जन्म दिया. जिसे पशुपालन विभाग के कर्मचारी ले गए. बस तब से आज तक इस गाय ने कोई बछ़ड़ा नहीं दिया. शायद इस गाय का अपने बच्चे के बिन जीवन और इस घर में रामेश्वरी का दुख एक जैसा हो लेकिन दोनों कभी अपने धर्म से विमुख नहीं हुए. गाय ने बछ़ड़ा तो नहीं दिया लेकिन रामेश्वरी को कभी बेसहारा भी नहीं किया. यही वजह है कि यह गाय पिछले 17 वर्षों से सुबह-शाम 3 लीटर दूध देती हैं. जिससे रामेश्वरी देवी की आजीविका भी चल रही है.

रामेश्वरी और उसकी गाय की जीवन की कहानी जितनी एक-दूसरे के करीब दिखती है उतनी आत्मीयता से भी जुड़ी है. रामेश्वरी कहती हैं कि ये गाय उसके जीवन में कामधेनु जैसी है. जिसने समय के साथ उसके पति और बच्चे की कमी को भी पूरा करने की कोशिश की है. यह गाय आज उसके परिवार के सदस्य की तरह है. रामेश्वरी अपना अधिकांश समय इसी गाय के साथ गौशाला में बिताती हैं.

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वैज्ञानिक हार्माेनल बदलाव को बताते हैं वजह: यह गाय आज आसपास के क्षेत्रों में अपनी खास गुण के लिए जानी जाती है. कोई इसे देखने आता है तो कोई इसका सौदा करने पहुंच जाता है. आज जहां अंतरिक्ष विज्ञान से लेकर प्राणी विज्ञान तक की हर घटना तथ्यों के साथ जानी जाती है. वहीं, विज्ञान के इस युग में कई बार लोग इस अद्भुत गाय के गुणों को देखकर दांतो तले अंगुली दबाने को मजबूर हो जाते हैं. हालांकि, विज्ञान के जानकार पशुओं में ऐसी विशेषता के पीछे हार्माेनल बदलाव को बड़ी वजह मानते हैं.

Last Updated : Mar 27, 2022, 6:42 PM IST
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