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चारधाम: बदरीश प्रसाद पर भी कोरोना का प्रभाव, प्रसाद नहीं बिकने से लाखों का नुकसान

कोरोना का असर बदरीनाथ धाम में बिकने वाले बदरीश प्रसाद की बिक्री पर भी पड़ा है. प्रसाद नहीं बिकने की वजह से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लाखों रुपए का नुकसान हुआ है.

badarinath dham
बदरीश प्रसाद
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Published : Jul 4, 2020, 4:28 PM IST

Updated : Jul 4, 2020, 5:23 PM IST

चमोली: लंबे असमंजस और ऊहापोह के बाद आखिरकार चारधाम यात्रा शुरू हो गई है. लेकिन कोरोना का असर बदरीनाथ धाम में बिकने वाले बदरीश प्रसाद की बिक्री पर भी पड़ा है. इस साल कोरोना संकट के चलते चारधाम यात्रा ठीक तरीके से नहीं चलने के कारण महिला स्वयं सहायता समूहों को लाखों का नुकसान हुआ है. स्थानीय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा चौलाई के लड्डू प्रसाद के रूप में बनाया जाता है. लेकिन लड्डू की बिक्री नहीं होने के कारण इन महिलाओं को लाखों का नुकसान हुआ है.

बीते वर्ष बदरीश प्रसाद की बिक्री से जोशीमठ की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को 35 लाख रुपए की आय प्राप्त हुई थी. इस वर्ष महिलाओं ने यात्रा शुरू होने पर 1 करोड़ तक की आय होने का अनुमान लगाया था, जिसको लेकर समूहों द्वारा प्रसाद के लिए सामग्री भी खरीद ली गई थी. लेकिन यात्रा संचालित न होने के कारण महिलाओं को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है.

बदरीश प्रसाद पर भी कोरोना का प्रभाव.

स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि फरवरी से ही प्रसाद बनाने को लेकर तैयारियां शुरू हो जाती है. उनके द्वारा आसपास के गांवों से लड्डू के लिए 20 क्विंटल चौलाई भी खरीद गई है. लेकिन बिक्री न होने के चलते कच्चा माल खराब हो रहा है. जिसकी वजह से समूह से जुड़ी महिलाओं की आजीविका का संकट खड़ा हो गया है.

ये भी पढ़ें: लेह में गरजे पीएम मोदी, उत्तराखंड के इस अधिकारी ने की अगवानी

बदरीश प्रसाद के लिए ढाई लाख रुपए की लागत से 7 हजार डिब्बे खरीदे जा चुके हैं. 150 रुपए की कीमत के एक बदरीश प्रसाद के डिब्बे में बदरीश तुलसी, सरस्वती नदी का जल, चौलाई से बने बदरीश लड्डू, जटामासी का धूप और जोशीमठ में निर्मित गुलाब जल दिया जाता हैं. नीति घाटी की महिलाओं के समूहों द्वारा उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली जटामासी से हर्बल धूपबत्ती तैयार किया जाता है. लेकिन यात्री के बदरीनाथ धाम नहीं पहुंचने के कारण महिलाओं की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है.

बदरीनाथ में चौलाई का लड्डू

पहले मंदिरों में चौलाई, मंडुवा और गेहूं के आटे से बना प्रसाद ही चढ़ता था. लेकिन समय के साथ इसकी जगह मिठाई आदि ने ले ली. बदरीनाथ मंदिर में भी प्रसाद के रूप में चने की दाल, मिश्री, काजू, किसमिस आदि ले जाया जाने लगा. लेकिन, एक बार फिर बदरीनाथ में चौलाई के लड्डू प्रसाद का खास हिस्सा बन गए हैं. साल 2019 में बदरीनाथ धाम में यात्रा सीजन के दौरान यात्रियों ने एक करोड़ तीस लाख के चौलाई के लड्डू प्रसाद के रूप में खरीदे और भगवान बदरीनाथ को अर्पित किए.

चमोली: लंबे असमंजस और ऊहापोह के बाद आखिरकार चारधाम यात्रा शुरू हो गई है. लेकिन कोरोना का असर बदरीनाथ धाम में बिकने वाले बदरीश प्रसाद की बिक्री पर भी पड़ा है. इस साल कोरोना संकट के चलते चारधाम यात्रा ठीक तरीके से नहीं चलने के कारण महिला स्वयं सहायता समूहों को लाखों का नुकसान हुआ है. स्थानीय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा चौलाई के लड्डू प्रसाद के रूप में बनाया जाता है. लेकिन लड्डू की बिक्री नहीं होने के कारण इन महिलाओं को लाखों का नुकसान हुआ है.

बीते वर्ष बदरीश प्रसाद की बिक्री से जोशीमठ की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को 35 लाख रुपए की आय प्राप्त हुई थी. इस वर्ष महिलाओं ने यात्रा शुरू होने पर 1 करोड़ तक की आय होने का अनुमान लगाया था, जिसको लेकर समूहों द्वारा प्रसाद के लिए सामग्री भी खरीद ली गई थी. लेकिन यात्रा संचालित न होने के कारण महिलाओं को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है.

बदरीश प्रसाद पर भी कोरोना का प्रभाव.

स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि फरवरी से ही प्रसाद बनाने को लेकर तैयारियां शुरू हो जाती है. उनके द्वारा आसपास के गांवों से लड्डू के लिए 20 क्विंटल चौलाई भी खरीद गई है. लेकिन बिक्री न होने के चलते कच्चा माल खराब हो रहा है. जिसकी वजह से समूह से जुड़ी महिलाओं की आजीविका का संकट खड़ा हो गया है.

ये भी पढ़ें: लेह में गरजे पीएम मोदी, उत्तराखंड के इस अधिकारी ने की अगवानी

बदरीश प्रसाद के लिए ढाई लाख रुपए की लागत से 7 हजार डिब्बे खरीदे जा चुके हैं. 150 रुपए की कीमत के एक बदरीश प्रसाद के डिब्बे में बदरीश तुलसी, सरस्वती नदी का जल, चौलाई से बने बदरीश लड्डू, जटामासी का धूप और जोशीमठ में निर्मित गुलाब जल दिया जाता हैं. नीति घाटी की महिलाओं के समूहों द्वारा उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली जटामासी से हर्बल धूपबत्ती तैयार किया जाता है. लेकिन यात्री के बदरीनाथ धाम नहीं पहुंचने के कारण महिलाओं की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है.

बदरीनाथ में चौलाई का लड्डू

पहले मंदिरों में चौलाई, मंडुवा और गेहूं के आटे से बना प्रसाद ही चढ़ता था. लेकिन समय के साथ इसकी जगह मिठाई आदि ने ले ली. बदरीनाथ मंदिर में भी प्रसाद के रूप में चने की दाल, मिश्री, काजू, किसमिस आदि ले जाया जाने लगा. लेकिन, एक बार फिर बदरीनाथ में चौलाई के लड्डू प्रसाद का खास हिस्सा बन गए हैं. साल 2019 में बदरीनाथ धाम में यात्रा सीजन के दौरान यात्रियों ने एक करोड़ तीस लाख के चौलाई के लड्डू प्रसाद के रूप में खरीदे और भगवान बदरीनाथ को अर्पित किए.

Last Updated : Jul 4, 2020, 5:23 PM IST
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