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आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद, केदार धाम जैसा है इस मंदिर का महत्व - Chamoli Adi Kedareshwar Temple

भगवान बदरीनाथ को भोग लगाने के बाद बदरीनाथ के रावल मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने आदि केदारेश्वर भगवान का अभिषेक कर अन्नकूट पूजा संपन्न की. जिसके बाद दोपहर 2:00 बजे विधि विधान से मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए.

शीतकाल के लिए बंद हुए आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट
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Published : Nov 14, 2019, 8:50 PM IST

चमोली: बदरीनाथ धाम में स्थित आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट गुरुवार को अन्नकूट के बाद विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. इस दौरान माणा और बामणी गांव के लोगों के साथ ही कई तीर्थयात्रियों ने आदि केदारेश्वर मंदिर की अंतिम पूजा में भाग लिया.

बदरीनाथ धाम में धार्मिक परंपराओं के अनुसार सुबह 5:00 बजे भगवान बदरीनाथ के महाअभिषेक से पूजा की शुरुआत की गई. इसके साथ ही आदि केदारेश्वर मंदिर में भी पूजा-अर्चना की गई. भगवान बदरीनाथ को भोग लगाने के बाद बदरीनाथ के रावल मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने आदि केदारेश्वर भगवान का अभिषेक कर अन्नकूट पूजा संपन्न की. जिसके बाद दोपहर 2:00 बजे विधि-विधान से मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए. वहीं बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को कर्क लग्न में सुबह 5:13 बजे बंद किये जाएंगे.

शीतकाल के लिए बंद हुए आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट

पढ़ें-'चौकीदार चोर है' बयान पर राहुल को मिली राहत, नहीं चलेगा अवमानना का केस

अब अगले साल भगवान बदरी विशाल के कपाट खुलने के बाद फिर से श्रद्धालु भगवान आदि केदारेश्वर के दर्शन कर पाएंगे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर कोई तीर्थयात्री किसी कारणवश भगवान केदारनाथ के दर्शन नहीं कर पाता है तो वह बदरीनाथ धाम में स्थित आदि केदारेश्वर मंदिर में भगवान शिव के दर्शन कर सकता है. दोनों दर्शनों का बराबर महत्व माना गया है.

चमोली: बदरीनाथ धाम में स्थित आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट गुरुवार को अन्नकूट के बाद विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. इस दौरान माणा और बामणी गांव के लोगों के साथ ही कई तीर्थयात्रियों ने आदि केदारेश्वर मंदिर की अंतिम पूजा में भाग लिया.

बदरीनाथ धाम में धार्मिक परंपराओं के अनुसार सुबह 5:00 बजे भगवान बदरीनाथ के महाअभिषेक से पूजा की शुरुआत की गई. इसके साथ ही आदि केदारेश्वर मंदिर में भी पूजा-अर्चना की गई. भगवान बदरीनाथ को भोग लगाने के बाद बदरीनाथ के रावल मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने आदि केदारेश्वर भगवान का अभिषेक कर अन्नकूट पूजा संपन्न की. जिसके बाद दोपहर 2:00 बजे विधि-विधान से मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए. वहीं बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को कर्क लग्न में सुबह 5:13 बजे बंद किये जाएंगे.

शीतकाल के लिए बंद हुए आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट

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अब अगले साल भगवान बदरी विशाल के कपाट खुलने के बाद फिर से श्रद्धालु भगवान आदि केदारेश्वर के दर्शन कर पाएंगे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर कोई तीर्थयात्री किसी कारणवश भगवान केदारनाथ के दर्शन नहीं कर पाता है तो वह बदरीनाथ धाम में स्थित आदि केदारेश्वर मंदिर में भगवान शिव के दर्शन कर सकता है. दोनों दर्शनों का बराबर महत्व माना गया है.

Intro:बद्रीनाथ धाम में स्थित आदिकेदारेश्वर मंदिर के कपाट आज गुरुवार को अन्नकूट के बाद विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं ।इस दौरान माणा और बामणी गांव ग्रामीणों के साथ ही तीर्थयात्रियों ने भी आदिकेदारेश्वर मंदिर में इस वर्ष की अंतिम पूजा में भाग लिया।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर कोई तीर्थयात्री किसी कारणवश भगवान केदारनाथ के दर्शन नही कर पाता है तो बदरीनाथ धाम में स्थित आदिकेदारेश्वर मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने पर भी भगवान केदारनाथ के दर्शनों ही बराबर फल प्राप्त होता है।


विस्वल मेल पर भेजा है।


Body:बद्रीनाथ की धार्मिक परंपराओं के अनुसार सुबह 5:00 बजे भगवान बद्रीनाथ की महाअभिषेक पूजा शुरू हुई ।इसके साथ ही आदिकेदारेश्वर मंदिर में भी पूजा-अर्चना हुई। भगवान बद्रीनाथ को भोग लगने के बाद बदरीनाथ के रावल मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने आदिकेदारेश्वर भगवान का अभिषेक कर अन्नकूट पूजा संपन्न की ।इसके पश्चात 2:00 बजे विधि विधान से पूजा अर्चना के साथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। बद्रीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर कर्क लग्न पर रविवार को 5:13 के लिए बंद कर दिए जाएंगे।


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