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स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल, महिला ने रास्ते में दिया नवजात को जन्म - चमोली महिला रास्ते में नवजात को दिया जन्म

जिले की निजमुला घाटी में दूरस्थ गांव की महिला ने रास्ते में नवजात को जन्म दिया है.

चमोली
महिला ने रास्ते में नवजात को दिया जन्म
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Published : Apr 12, 2021, 2:17 PM IST

चमोली: जिले की निजमूला घाटी में सरकार की सड़क और स्वास्थ्य को लेकर दूरस्थ गांवों में व्यवस्था के दावों की एक बार फिर पोल खुलती नजर आई. क्षेत्र के भनाली गांव की प्रसूता का प्रसव पैदल रास्ते पर हो गया. हालांकि प्रसव के बाद प्रसूता और नवजात स्वस्थ हैं.

निजमुला घाटी की ग्राम पंचायत ईराणी के भनाली गांव निवासी मुकेश राम की 24 वर्षीय पत्नी मीना को रविवार को प्रसव पीड़ा शुरू हुई. प्रसूता की स्थिति बिगड़ती देख ग्रामीणों ने पालकी के सहारे महिला को चिकित्सालय पहुंचाने के लिये कंधों पर ढोकर ले जाने की योजना बनाई. गांव से 2 किमी की दूरी पार करने के बाद मीना की प्रसव पीड़ा को बढ़ता देख महिलाओं ने ग्वादिक गदेरे में उसका सुरक्षित प्रसव कराया.

पढ़ें: शाही स्नान पर उमड़ा साधु-संतों का सैलाब, 12 बजे तक 21 लाख ने किया स्नान

जिसके बाद ग्रामीण प्रसूता और नवजात को वापस गांव ले गये. स्थानीय निवासी गणेशी देवी का कहना है कि गांव में सड़क और स्वास्थ्य की सुविधा न होने से जहां प्रसव के दौरान महिलाओं को खासी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. वहीं नियमित जांच भी गर्भवती महिलाओं के लिये किसी चुनौती से कम नहीं है.

चमोली: जिले की निजमूला घाटी में सरकार की सड़क और स्वास्थ्य को लेकर दूरस्थ गांवों में व्यवस्था के दावों की एक बार फिर पोल खुलती नजर आई. क्षेत्र के भनाली गांव की प्रसूता का प्रसव पैदल रास्ते पर हो गया. हालांकि प्रसव के बाद प्रसूता और नवजात स्वस्थ हैं.

निजमुला घाटी की ग्राम पंचायत ईराणी के भनाली गांव निवासी मुकेश राम की 24 वर्षीय पत्नी मीना को रविवार को प्रसव पीड़ा शुरू हुई. प्रसूता की स्थिति बिगड़ती देख ग्रामीणों ने पालकी के सहारे महिला को चिकित्सालय पहुंचाने के लिये कंधों पर ढोकर ले जाने की योजना बनाई. गांव से 2 किमी की दूरी पार करने के बाद मीना की प्रसव पीड़ा को बढ़ता देख महिलाओं ने ग्वादिक गदेरे में उसका सुरक्षित प्रसव कराया.

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जिसके बाद ग्रामीण प्रसूता और नवजात को वापस गांव ले गये. स्थानीय निवासी गणेशी देवी का कहना है कि गांव में सड़क और स्वास्थ्य की सुविधा न होने से जहां प्रसव के दौरान महिलाओं को खासी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. वहीं नियमित जांच भी गर्भवती महिलाओं के लिये किसी चुनौती से कम नहीं है.

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