देहरादून: पलायन को लेकर शुरू की गई ईटीवी भारत की मुहिम लगातार खाली होते गांवों तक पहुंच रही है. जिससे ईटीवी भारत खाली होते गांवों की स्याह हकीकत को पाठकों के सामने रख रहा है. पिछले भाग में हमने आपको अपर तलाई गांव की सच्चाई से रू-ब-रू करवाया था. वहीं, अब हम आपको इस गांव के दूसरे पहलू के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां गांव के विकास के लिए चुना गया जनप्रतिनिधि ही सुविधाओं और सहूलियत के लिए गांव को अलविदा कर गया.
![talai village pradhan migrat from village](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/3781728_-g2.jpg)
अब इसे अपर तलाई गांव की बदकिस्मती ही कहेंगे कि ग्रामीणों ने गांव के विकास के लिए जिस शख्स पर भरोसा किया वो ही उनकी उम्मीदों पर पानी फेर गया. जी हां, हम बात कर रहे हैं अपर तलाई गांव के प्रधान की, जो पिछले 10 सालों से गांव के प्रधान हैं और इन दिनों देहरादून में रहते हैं. तलाई गांव में उनके आने की उम्मीदों और यादों के साथ उनकी बुजुर्ग मां अकेले रहती हैं. जो कि हर पल बेटे के आने की राह देखती रहती है.
पलायन का दंश झेल रहे तलाई गांव के ग्रामीणों के लिए सीएम और प्रधान दोनों एक से हो गये हैं. जो कि रहते तो देहरादून में हैं लेकिन उनके लिए तलाई गांव कोसों दूर है. यहां के लोग दोनों से ही गांव के विकास की बेजा उम्मीद कर सकते हैं, पलायन को रोकने की आस लगा सकते हैं पर कह कुछ नहीं सकते.. किसी गांव का प्रधान ही जब वहां से पलायन कर जाये तो और लोगों का भी वहां से जाना लाजिमी है.
![talai village pradhan migrat from village](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/3781728_-g.jpg)
ऐसे में बड़ा सवाल सरकार और नीति नियंताओं पर उठता है...क्या सरकारों को गांव में होने वाले चुनाव के लिए ऐसा कोई नियम नहीं बनाना चाहिए कि चुनाव जीतने वाला गांव में रहकर, गांव के विकास के लिए काम करे.हाल में सरकार ने पंचायती एक्ट में संसोधन कर शैक्षिक योग्यता को लेकर कदम उठाया है. ऐसे में सरकारों को चाहिए कि पलायन को रोकने के लिए पंचायती एक्ट में कुछ प्रावधान करें कि गांवों की खुशहाली फिर लौट आए.