देहरादूनः देश भर की तरह उत्तराखंड में भी सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में इन दुर्घटनाओं को कम करने के लिए पुलिस विभाग समेत अन्य विभाग समय-समय सड़क सुरक्षा अभियान चलाए जाते हैं.बावजूद इसके आंकड़े बताते हैं कि मैदानी जिलों में इन अभियानों का कुछ ज्यादा असर नहीं दिखाई दे रहा और ये अभियान पूरी तरह से औंधे मुंह गिर गया है.
सड़क सुरक्षा अभियान के तहत लाखों करोड़ों खर्च कर तमाम विभाग दुर्घटनाओं के आंकड़ों को कम करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं. इसके लिए पुलिस विभाग जहां जागरूकता अभियान समेत दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्रों को चिन्हित करने का काम कर रहा है. तो वहीं, परिवहन विभाग जैसे दूसरे विभाग भी इस दिशा में अपने स्तर पर कोशिशों में जुटे हुए हैं.
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हालांकि, पुलिस विभाग का दावा है कि उन्होंने करीब 10% तक दुर्घटनाओं को कम करने में सफलता हासिल की है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि कैसे मैदानी जिलों में अब भी दुर्घटनाओं के मामलों में कमी नहीं आ रही है.
उत्तराखंड के मैदानी जिले देहरादून, उधम सिंह नगर और हरिद्वार में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में यह माना जा रहा था कि सड़क सुरक्षा अभियान के बाद शायद इन आंकड़ों में कुछ कमी आ पाएगी. लेकिन अब भी सैकड़ों लोग सड़क में दम तोड़ रहे हैं. आंकड़े देखकर आपको भी महसूस होगा कि मैदानी जिलों के यह 2 जिले अभी दुर्घटनाओं के लिहाज से बेहद संवेदनशील है.
2018-2019 में हुए दुर्घटनाएंः
जिला 2019 2018
देहरादून 107 99
उधमसिंह नगर 60 33
2018-2019 में हुए हादसों में घायलों की संख्या
जिला 2019 2018
देहरादून 134 127
उधम सिंह नगर 87 75
ये यह आंकड़ा साल 2019 और 2018 में जनवरी से अप्रैल तक का है. जो कि तुलनात्मक हो रही दुर्घटनाओं का आकलन करवाता है.सड़क सुरक्षा अभियान के तहत न केवल सड़कों पर चल रहे लोगों को जागरूक किया जा रहा है. बल्कि, स्कूली छात्रों को भी दुर्घटनाओं के प्रति जागरूक होने के संदेश दिए जा रहे हैं.
लेकिन शायद मैदानी जिलों में इन अभियानों का कुछ खास असर इन लोगों पर नहीं पड़ रहा और इसी का नतीजा है कि मैदानी जिलों में दुर्घटनाएं कम करने में पुलिस के खासे पसीने छूट रहे हैं.