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अपने गांव पहुंचे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत का छलका दर्द, बोले- आ अब लौटें... - Uttarakhand News

गांव की हरियाली और यहां के वातावरण को देखकर हरक सिंह रावत बड़े खुश नजर आये. इस दौरान हरक सिंह रावत ने ईटीवी भारत के साथ अपना दर्द सझा किया. उन्होंने कहा कि देवभूमि पलायन का दंश झेल रही है. यहां के युवा रोजगार की आस में लगातार पहाड़ छोड़ रहे हैं.

अपने गांव पहुंचे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत .
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Published : Jun 29, 2019, 9:05 PM IST

Updated : Jun 29, 2019, 11:28 PM IST

देहरादून/कोटद्वार/श्रीनगर: शनिवार को पौड़ी में त्रिवेंद्र सरकार की कैबिनेट बैठक हुई. सरकार पूरे तामझाम के साथ यहां पहुंची. पौड़ी कैबिनेट बैठक में पलायन मुख्य मुद्दा रहा. कैबिनेट बैठक के बाद वन मंत्री हरक सिंह रावत अपने पैतृक गांव गैहड़ पहुंचे. इस दौरान हरक सिंह रावत ने युवाओं से बातचीत करते हुए पहाड़ों से हो रहे पलायन पर चिंता जाहिर की. हरक सिंह रावत ने ईटीवी भारत के माध्यम से पहाड़ छोड़ रहे युवाओं से वापस लौटने की अपील की. बता दें कि ईटीवी भारत लगातार खाली हो रहे पहाड़ों से पलायन को रोकने के लिए 'आ अब लौटें' मुहिम चला रहा है. जिसकी हर तरफ प्रशंसा हो रही है.

अपने गांव पहुंचे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत .

कैबिनेट बैठक के बाद हरक सिंह रावत श्रीनगर होते हुए अपने गांव गैहड़ पहुंचे. यहां हरक सिंह रावत ने अपने गांव में पुश्तैनी भूमि का जायजा लिया. इस दौरान उन्होंने पुश्तैनी जमीन पर आंवला, आम और अनार के पौधे लगाएं. बता दें कि हरक सिंह रावत की पुश्तैनी जमीन पर ग्रीन हाउस तैयार किया गया है. जिसमें घरेलू सब्जियों को उगाया जाता है. यहां होमस्टे के लिए आने वाले पर्यटकों को गढ़वाली व्यंजन परोसे जाते हैं.

पढ़ें-राहत भरी खबर: चोराबाड़ी झील से केदारनाथ धाम को नहीं कोई खतरा, विशेषज्ञों ने पहुंचकर की जांच

गांव की हरियाली और यहां के वातावरण को देखकर हरक सिंह रावत बड़े खुश नजर आये. इस दौरान हरक सिंह रावत ने ईटीवी भारत के साथ अपना दर्द सझा किया. उन्होंने कहा कि देवभूमि पलायन का दंश झेल रही है. यहां के युवा रोजगार की आस में लगातार पहाड़ छोड़ रहे हैं. हरक सिंह रावत ने कहा कि वे ईटीवी भारत के माध्यम के युवाओं और सभी लोगों से अपील करते हैं कि वे गांवों की ओर रुख करें. हरक सिंह रावत ने कहा कि अगर युवाओं को आईएएस, पीसीएस या कोई बहुत अच्छी वैज्ञानिक नौकरी मिलती है तो तब आप जिला या गांव छोड़कर जा सकते हैं. लेकिन पांच-दस हजार की नौकरी के लिए अगर युवा अपना गांव जिला छोड़ता है ये वाकई में सोचने वाली बात है.

पढ़ें-गढ़वाल परिक्षेत्र के 46 उपनिरीक्षकों के तबादले, आईजी ने 7 जुलाई तक दिए ज्वाइनिंग के आदेश


हरक सिंह रावत ने कहा कि युवाओं को इच्छा शक्ति के अनुसार अपने ही गांव में भेड़, बकरियों, जड़ी बूटियों, फलों के माध्यम से विकास का रास्ता ढूंढना चाहिए. उन्होंने कहा कि युवाओं को गांवों में ही रोजगार के अवसर तलाशने चाहिए. सरकार के पक्ष में बोलते हुए हरक सिंह रावत ने कहा कि उनकी सरकार हर कदम पर युवाओं के साथ खड़ी है.

पढ़ें-गंगा में बह रही बोतल पकड़ने के चक्कर में लापता हुए हरियाणा के दो सगे भाई, तलाश में जुटी पुलिस

इस दौरान हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत ने कहा कि उन्होंने ही सबसे पहले अपने गांव में होम स्टे लाने का विचार रखा था. जिसके बाद गांव में आज होमस्टे के तहत दूसरे प्रदेशों के लोग भी आकर उत्तराखंड की संस्कृति को समझ रहे हैं. इससे गांव के लोगों को भी फायदा मिल रहा है. दीप्ति रावत ने कहा कि होमस्टे जैसी परियोजनाएं पहाड़ों से होते पलायन को रोकने में कारगर हैं.

देहरादून/कोटद्वार/श्रीनगर: शनिवार को पौड़ी में त्रिवेंद्र सरकार की कैबिनेट बैठक हुई. सरकार पूरे तामझाम के साथ यहां पहुंची. पौड़ी कैबिनेट बैठक में पलायन मुख्य मुद्दा रहा. कैबिनेट बैठक के बाद वन मंत्री हरक सिंह रावत अपने पैतृक गांव गैहड़ पहुंचे. इस दौरान हरक सिंह रावत ने युवाओं से बातचीत करते हुए पहाड़ों से हो रहे पलायन पर चिंता जाहिर की. हरक सिंह रावत ने ईटीवी भारत के माध्यम से पहाड़ छोड़ रहे युवाओं से वापस लौटने की अपील की. बता दें कि ईटीवी भारत लगातार खाली हो रहे पहाड़ों से पलायन को रोकने के लिए 'आ अब लौटें' मुहिम चला रहा है. जिसकी हर तरफ प्रशंसा हो रही है.

अपने गांव पहुंचे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत .

कैबिनेट बैठक के बाद हरक सिंह रावत श्रीनगर होते हुए अपने गांव गैहड़ पहुंचे. यहां हरक सिंह रावत ने अपने गांव में पुश्तैनी भूमि का जायजा लिया. इस दौरान उन्होंने पुश्तैनी जमीन पर आंवला, आम और अनार के पौधे लगाएं. बता दें कि हरक सिंह रावत की पुश्तैनी जमीन पर ग्रीन हाउस तैयार किया गया है. जिसमें घरेलू सब्जियों को उगाया जाता है. यहां होमस्टे के लिए आने वाले पर्यटकों को गढ़वाली व्यंजन परोसे जाते हैं.

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गांव की हरियाली और यहां के वातावरण को देखकर हरक सिंह रावत बड़े खुश नजर आये. इस दौरान हरक सिंह रावत ने ईटीवी भारत के साथ अपना दर्द सझा किया. उन्होंने कहा कि देवभूमि पलायन का दंश झेल रही है. यहां के युवा रोजगार की आस में लगातार पहाड़ छोड़ रहे हैं. हरक सिंह रावत ने कहा कि वे ईटीवी भारत के माध्यम के युवाओं और सभी लोगों से अपील करते हैं कि वे गांवों की ओर रुख करें. हरक सिंह रावत ने कहा कि अगर युवाओं को आईएएस, पीसीएस या कोई बहुत अच्छी वैज्ञानिक नौकरी मिलती है तो तब आप जिला या गांव छोड़कर जा सकते हैं. लेकिन पांच-दस हजार की नौकरी के लिए अगर युवा अपना गांव जिला छोड़ता है ये वाकई में सोचने वाली बात है.

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हरक सिंह रावत ने कहा कि युवाओं को इच्छा शक्ति के अनुसार अपने ही गांव में भेड़, बकरियों, जड़ी बूटियों, फलों के माध्यम से विकास का रास्ता ढूंढना चाहिए. उन्होंने कहा कि युवाओं को गांवों में ही रोजगार के अवसर तलाशने चाहिए. सरकार के पक्ष में बोलते हुए हरक सिंह रावत ने कहा कि उनकी सरकार हर कदम पर युवाओं के साथ खड़ी है.

पढ़ें-गंगा में बह रही बोतल पकड़ने के चक्कर में लापता हुए हरियाणा के दो सगे भाई, तलाश में जुटी पुलिस

इस दौरान हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत ने कहा कि उन्होंने ही सबसे पहले अपने गांव में होम स्टे लाने का विचार रखा था. जिसके बाद गांव में आज होमस्टे के तहत दूसरे प्रदेशों के लोग भी आकर उत्तराखंड की संस्कृति को समझ रहे हैं. इससे गांव के लोगों को भी फायदा मिल रहा है. दीप्ति रावत ने कहा कि होमस्टे जैसी परियोजनाएं पहाड़ों से होते पलायन को रोकने में कारगर हैं.

Intro:summary पलायन के दर्द पर वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि अगर अच्छी सरकारी नौकरी मिलती है तब तो पहाड़ छोड़ना मुमकिन है लेकिन अगर पांच दस हजार की नौकरी के लिए पहाड़ छोड़ना बेकार है।

intro पौड़ी में चल रही कैबिनेट बैठक के समाप्त होने के बाद वन मंत्री हरक सिंह रावत अपने पैतृक गांव श्रीनगर के समीप श्रीकोट के गैहड गांव पहुंचे , वन मंत्री ने इस दौरान अपने पैतृक गांव में पुश्तेनी भूमि का जायजा लिया और पुश्तैनी भूमि पर आंवले और आम के अनार के पेड़ लगाएं साथी अपनी पुश्तैनी जमीन पर ग्रीनहाउस तैयार कर उसमें गांव की घरेलू सब्जियों को उगाया है होमस्टे में आने वाले पर्यटकों को गढ़वाली व्यंजन तथा गांव की ताजी सब्जियां बनाकर खिलाई जाती है पहाड़ों पर हो रहे पलायन के दर्द में मंत्री जी और उनकी पत्नी गांव में इस प्रकार की पहल करने के लिए विवश कर दिया


Body:वीओ1- वहीं वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है और सचमुच में देवभूमि है पलायन के दर्द को लेकर उन्होंने युवाओं से ईटीवी भारत के माध्यम से अपील की है कि रोजगार की तलाश में जब हम अपने गांव छोड़ रहे हैं अपना जिला छोड़ रहे हैं मैं उन सब युवाओ से कहना चाहता हूं कि अगर बहुत अच्छी नौकरी आईएएस पीसीएस या कोई बहुत अच्छी वैज्ञानिक नौकरी मिलती है तो तब आप जिला गांव छोड़कर जा सकते हैं, तो समझ में आता है, लेकिन पांच से दस की नौकरी के लिए अगर युवा अपना गांव जिला छोड़ता है तो नहीं छोड़ना चाहिए, अगर कोई बहुत बड़ा व्यक्ति भी हो जाता है तो उसे भी अपना गांव और जिला नहीं छोड़ना चाहिए, इच्छा शक्ति के अनुसार बहुत सारे युवाओं ने अपने ही गांव में भेड, बकरियों के माध्यम से गाय के माध्यम से जड़ी बूटियों के माध्यम से चाय के माध्यम से फलों के माध्यम से अपने विकास का रास्ता ढूंढा है मैं अपने सभी युवाओं से अनुरोध करना चाहता हूं कि अपने खुद के गांव में खुद के घर से अपने रोजगार का रास्ता ढूंढे, सरकार उस हर युवा के साथ खड़ी है हमारी तमाम योजनाएं युवाओं को गांव में रोकने के लिए स्वरोजगार देने के लिए उपलब्ध कराने के लिए बनी है उसका फायदा उठाएं गांव को खुशहाल करें खुद भी खुशहाल बने।

बाइट हरक सिंह रावत


Conclusion:
Last Updated : Jun 29, 2019, 11:28 PM IST
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