देहरादून/कोटद्वार/श्रीनगर: शनिवार को पौड़ी में त्रिवेंद्र सरकार की कैबिनेट बैठक हुई. सरकार पूरे तामझाम के साथ यहां पहुंची. पौड़ी कैबिनेट बैठक में पलायन मुख्य मुद्दा रहा. कैबिनेट बैठक के बाद वन मंत्री हरक सिंह रावत अपने पैतृक गांव गैहड़ पहुंचे. इस दौरान हरक सिंह रावत ने युवाओं से बातचीत करते हुए पहाड़ों से हो रहे पलायन पर चिंता जाहिर की. हरक सिंह रावत ने ईटीवी भारत के माध्यम से पहाड़ छोड़ रहे युवाओं से वापस लौटने की अपील की. बता दें कि ईटीवी भारत लगातार खाली हो रहे पहाड़ों से पलायन को रोकने के लिए 'आ अब लौटें' मुहिम चला रहा है. जिसकी हर तरफ प्रशंसा हो रही है.
कैबिनेट बैठक के बाद हरक सिंह रावत श्रीनगर होते हुए अपने गांव गैहड़ पहुंचे. यहां हरक सिंह रावत ने अपने गांव में पुश्तैनी भूमि का जायजा लिया. इस दौरान उन्होंने पुश्तैनी जमीन पर आंवला, आम और अनार के पौधे लगाएं. बता दें कि हरक सिंह रावत की पुश्तैनी जमीन पर ग्रीन हाउस तैयार किया गया है. जिसमें घरेलू सब्जियों को उगाया जाता है. यहां होमस्टे के लिए आने वाले पर्यटकों को गढ़वाली व्यंजन परोसे जाते हैं.
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गांव की हरियाली और यहां के वातावरण को देखकर हरक सिंह रावत बड़े खुश नजर आये. इस दौरान हरक सिंह रावत ने ईटीवी भारत के साथ अपना दर्द सझा किया. उन्होंने कहा कि देवभूमि पलायन का दंश झेल रही है. यहां के युवा रोजगार की आस में लगातार पहाड़ छोड़ रहे हैं. हरक सिंह रावत ने कहा कि वे ईटीवी भारत के माध्यम के युवाओं और सभी लोगों से अपील करते हैं कि वे गांवों की ओर रुख करें. हरक सिंह रावत ने कहा कि अगर युवाओं को आईएएस, पीसीएस या कोई बहुत अच्छी वैज्ञानिक नौकरी मिलती है तो तब आप जिला या गांव छोड़कर जा सकते हैं. लेकिन पांच-दस हजार की नौकरी के लिए अगर युवा अपना गांव जिला छोड़ता है ये वाकई में सोचने वाली बात है.
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हरक सिंह रावत ने कहा कि युवाओं को इच्छा शक्ति के अनुसार अपने ही गांव में भेड़, बकरियों, जड़ी बूटियों, फलों के माध्यम से विकास का रास्ता ढूंढना चाहिए. उन्होंने कहा कि युवाओं को गांवों में ही रोजगार के अवसर तलाशने चाहिए. सरकार के पक्ष में बोलते हुए हरक सिंह रावत ने कहा कि उनकी सरकार हर कदम पर युवाओं के साथ खड़ी है.
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इस दौरान हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत ने कहा कि उन्होंने ही सबसे पहले अपने गांव में होम स्टे लाने का विचार रखा था. जिसके बाद गांव में आज होमस्टे के तहत दूसरे प्रदेशों के लोग भी आकर उत्तराखंड की संस्कृति को समझ रहे हैं. इससे गांव के लोगों को भी फायदा मिल रहा है. दीप्ति रावत ने कहा कि होमस्टे जैसी परियोजनाएं पहाड़ों से होते पलायन को रोकने में कारगर हैं.