बागेश्वर: जिले के गरूड़ तहसील में ऐतिहासिक बैजनाथ मंदिर के पास गोमती नदी में पोकलैंड समेत अन्य मशीनों से खनन जारी है. जिसको लेकर हर कोई हैरत में है. ऐसे में हर कोई सवाल उठा रहा है कि जब सरयू नदी में हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद खनन बंद है तो जिला प्रशासन आखिर एक ही जिले की नदियों में खनन के दोहरे मानक क्यों तय कर रहा है.
बता दें कि, खनन कारोबारियों ने बैजनाथ मंदिर के पास बने बैराज को खाली कर गोमती नदी का सीना चीर दिया है. जेसीबी समेत दो पोकलैंड जैसी भारी भरकम मशीनों से गोमती में खनन जारी है. नदी के किनारे रिवर बैंड में खनन कर नियमों की खुलेआम धच्जियां उड़ाई जा रही हैं. एक ओर हाईकोर्ट नदियों में मशीनों से खनन की अनुमति पर सख्त है. वहीं, दूसरी ओर गोमती नदी में धड़ल्ले से मशीनों द्वारा खनन जारी है. बावजूद इसके सब कुछ देखने और जानने के बाद भी प्रशासन चुप है. जिसका परिणाम ये हुआ है कि गोमती नदी में खनन से बयालीसेरा नहर भी सूख चुकी है. नहर में पानी नहीं आने से काश्तकार अब बारिश होने पर ही रोपाई करने को मजबूर हैं.
मामले में उच्च न्यायालय के अधिवक्ता डीके जोशी का कहना है कि उत्तराखंड के नदियों में रेता, बजरी, चुगान हेतु मशीनों के प्रयोग की कानूनी अनुमति नहीं है. ऐसे में अगर भारी मशीनों का प्रयोग जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन की घोर लापरवाही को दिखाता है. खनन व्यापारियों द्वारा किए जा रहे भारी मशीनों के प्रयोग को तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए.
वहीं, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश महामंत्री बालकृष्ण ने गोमती नदी और बागेश्वर में बागनाथ मंदिर के पास नदियों में किए जा रहे खनन को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार की इस अनदेखी को बिल्कुल जायज नहीं ठहराया जा सकता है.