ETV Bharat / state

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद गोमती नदी में अवैध खनन जारी, 'सरकार' पर खड़े हुए कई सवाल

author img

By

Published : Jun 16, 2020, 11:13 AM IST

Updated : Jun 17, 2020, 9:46 PM IST

नैनीताल हाइकोर्ट के निर्देशों के बाद सरयू नदी में भारी मशीनों से खनन बंद कर दिया गया है. लेकिन, जिले के ही गोमती नदी में भारी मशीनों से खनन लगातार जारी है. ऐसे में जिम्मेदार अधिकारियों और राज्य सरकार पर कई तरह के प्रश्न खड़े हो रहे हैं.

सरयू नदी में अवैध खनन
सरयू नदी में अवैध खनन

बागेश्वर: जिले के गरूड़ तहसील में ऐतिहासिक बैजनाथ मंदिर के पास गोमती नदी में पोकलैंड समेत अन्य मशीनों से खनन जारी है. जिसको लेकर हर कोई हैरत में है. ऐसे में हर कोई सवाल उठा रहा है कि जब सरयू नदी में हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद खनन बंद है तो जिला प्रशासन आखिर एक ही जिले की नदियों में खनन के दोहरे मानक क्यों तय कर रहा है.

बता दें कि, खनन कारोबारियों ने बैजनाथ मंदिर के पास बने बैराज को खाली कर गोमती नदी का सीना चीर दिया है. जेसीबी समेत दो पोकलैंड जैसी भारी भरकम मशीनों से गोमती में खनन जारी है. नदी के किनारे रिवर बैंड में खनन कर नियमों की खुलेआम धच्जियां उड़ाई जा रही हैं. एक ओर हाईकोर्ट नदियों में मशीनों से खनन की अनुमति पर सख्त है. वहीं, दूसरी ओर गोमती नदी में धड़ल्ले से मशीनों द्वारा खनन जारी है. बावजूद इसके सब कुछ देखने और जानने के बाद भी प्रशासन चुप है. जिसका परिणाम ये हुआ है कि गोमती नदी में खनन से बयालीसेरा नहर भी सूख चुकी है. नहर में पानी नहीं आने से काश्तकार अब बारिश होने पर ही रोपाई करने को मजबूर हैं.

गोमती नदी में अवैध खनन

मामले में उच्च न्यायालय के अधिवक्ता डीके जोशी का कहना है कि उत्तराखंड के नदियों में रेता, बजरी, चुगान हेतु मशीनों के प्रयोग की कानूनी अनुमति नहीं है. ऐसे में अगर भारी मशीनों का प्रयोग जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन की घोर लापरवाही को दिखाता है. खनन व्यापारियों द्वारा किए जा रहे भारी मशीनों के प्रयोग को तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए.

पढे़ें- भारत-नेपाल का संबंध रोटी-बेटी का, दुनिया की कोई ताकत रिश्ते को नहीं तोड़ सकतीः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

वहीं, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश महामंत्री बालकृष्ण ने गोमती नदी और बागेश्वर में बागनाथ मंदिर के पास नदियों में किए जा रहे खनन को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार की इस अनदेखी को बिल्कुल जायज नहीं ठहराया जा सकता है.

बागेश्वर: जिले के गरूड़ तहसील में ऐतिहासिक बैजनाथ मंदिर के पास गोमती नदी में पोकलैंड समेत अन्य मशीनों से खनन जारी है. जिसको लेकर हर कोई हैरत में है. ऐसे में हर कोई सवाल उठा रहा है कि जब सरयू नदी में हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद खनन बंद है तो जिला प्रशासन आखिर एक ही जिले की नदियों में खनन के दोहरे मानक क्यों तय कर रहा है.

बता दें कि, खनन कारोबारियों ने बैजनाथ मंदिर के पास बने बैराज को खाली कर गोमती नदी का सीना चीर दिया है. जेसीबी समेत दो पोकलैंड जैसी भारी भरकम मशीनों से गोमती में खनन जारी है. नदी के किनारे रिवर बैंड में खनन कर नियमों की खुलेआम धच्जियां उड़ाई जा रही हैं. एक ओर हाईकोर्ट नदियों में मशीनों से खनन की अनुमति पर सख्त है. वहीं, दूसरी ओर गोमती नदी में धड़ल्ले से मशीनों द्वारा खनन जारी है. बावजूद इसके सब कुछ देखने और जानने के बाद भी प्रशासन चुप है. जिसका परिणाम ये हुआ है कि गोमती नदी में खनन से बयालीसेरा नहर भी सूख चुकी है. नहर में पानी नहीं आने से काश्तकार अब बारिश होने पर ही रोपाई करने को मजबूर हैं.

गोमती नदी में अवैध खनन

मामले में उच्च न्यायालय के अधिवक्ता डीके जोशी का कहना है कि उत्तराखंड के नदियों में रेता, बजरी, चुगान हेतु मशीनों के प्रयोग की कानूनी अनुमति नहीं है. ऐसे में अगर भारी मशीनों का प्रयोग जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन की घोर लापरवाही को दिखाता है. खनन व्यापारियों द्वारा किए जा रहे भारी मशीनों के प्रयोग को तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए.

पढे़ें- भारत-नेपाल का संबंध रोटी-बेटी का, दुनिया की कोई ताकत रिश्ते को नहीं तोड़ सकतीः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

वहीं, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश महामंत्री बालकृष्ण ने गोमती नदी और बागेश्वर में बागनाथ मंदिर के पास नदियों में किए जा रहे खनन को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार की इस अनदेखी को बिल्कुल जायज नहीं ठहराया जा सकता है.

Last Updated : Jun 17, 2020, 9:46 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.