बागेश्वर: ताकुला क्षेत्र के सतराली गांव के होली अब नई पीढ़ी के पलायन को रोकने में भी मददगार साबित हो रही है. महाशिवरात्रि के दिन सतराली के सात गांव के होल्यार अपनी 55 साल पुरानी परंपरा को फिर से जीवित करने में जुटे हुए हैं. सात गांव के 80 होल्यारों का समूह महाशिवरात्रि के दिन बागेश्वर बागनाथ मंदिर पहुंचा. होल्यारों ने भगवान बागनाथ की पूजा कर भक्तिमय होली गीतों का गायन कर भगवान शिव की आराधना की.
बता दें कि ताकुला के सात गांवों को सतराली नाम से जाना जाता है. इन गांव में कोतवालगांव, कांडे, लोहना, खाड़ी, झाड़कोट, पनेरगांव और थापला हैं. 70 साल पहले इन गांवों के लोग बैठकी की होली के गीतों के गायन की शुरुआत बाबा बैजनाथ के मंदिर से जाकर करते थे. लेकिन पलायन की वजह से बीच में सिलसिला छूट गया था. वहीं, होल्यार प्रवीण सिंह दफौटी ने बताया कि सतराली के पूर्वजों ने मंदिर में धूणी का निर्माण कराया गया था. जिसके चलते वह पहली होली शिवरात्रि के दिन बागनाथ के दर पर गाया करते थे. इसके बाद एकादशी के दिन इन गांवों में सात चीर बांधी जाती थी. चतुर्दशी को गणनाथ मंदिर में होली गायन किया जाता था.
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वहीं, युवा पीढ़ी का गांव से पलायन होने से बागनाथ मंदिर आने की परंपरा टूट गई. लेकिन पिछले चार सालों से अब इन सात गांव के युवा पीढ़ी ने अपने पूर्वजों की बनाई परंपरा को फिर से जीवंत कर दिया है. आज महाशिवरात्रि पर सभी गांव के होल्यार अपने साथ सभी सात गांव की होली का ढोलक लेकर बागनाथ मंदिर पहुंचे. जहां बागनाथ मंदिर में सात गांव से आए सात ढोलकों की थाप पर होल्यारों ने होली गायन शुरू किया, तो पूरा मंदिर परिसर होली के रंग में रंग गया. शिवरात्रि पर मंदिर में उमड़े भक्त नगर के होल्यार और मंदिर प्रबंधन समिति से जुड़े लोग भी होली गायन में शामिल हुए.