बागेश्वर: कुमाऊं अंचल में जगह-जगह बैठकी होली का आयोजन किया जा रहा है. इनमें होल्यारों ने होली गायन की खूब धूम मचाई हुई है. महिला होल्यारों के उत्कृष्ट गायन, स्वांग व नृत्य मुख्य आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं. वहीं शिव नगरी बागेश्वर में बैठकी होली का रंग जमने लगा है. कहीं महिलाओं की होली हो रही है तो कहीं पुरुष बैठकी होली में रंग जमा रहे हैं.
गौर हो कि कुमाऊं की काशी कहे जाने वाले बागेश्वर में कुमाऊंनी होली की धूम मची है. होली का बागेश्वर के लोगों को बड़ा इंतजार रहता है. यहां की होली अलग-अलग तरह की होती हैं. हर जगह होलियों की धूम मची रहती है. बागेश्वर के नुमाइशखेत स्थित स्वराज भवन में हुई बैठकी होली में महिलाओं ने विभिन्न रागों में होली गाकर धूम मचायी. महिलाओं ने रंग बरसे भीगे चुनरिया, मेरो रंगीलो देवर घर ए रौ छौ, जल कैसे भरूं जमुना गहरी, अरे हां आज जनकपुर जाना है, द्वारिका में श्रीकृष्ण भयो है आदि होली गीत गाकर महफिल में रंग जमाया. महिलाओं ने होगी गायन में ढोलक की थाप पर जमकर ठुमके लगाए. शहर में भी जगह-जगह बैठकी होली का आयोजन किया जा रहा है.
कुमाऊं में तीन महीने तक चलती है होली, रागों का है विशेष महत्व: माना जाता है कि 16वीं सदी में चंद शासन के दौरान खड़ी होली की शुरुआत हुई थी. कुमाऊं में होली पूरे उल्लास और परंपरा के अनुरूप मनाई जाती है. यहां होली तीन महीने तक चलती है. होली की ये विधा पौष माह के प्रथम रविवार से गणपति वंदना के साथ शुरू होती है, जो माघ व फाल्गुन में अपने रंग में रंग जाती है. कुमाऊं की होली में रागों का अपना महत्व है. धमार राग होली गायन की परंपरा है.