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बागेश्वर: उत्तरायणी मेले में उच्च हिमालयी क्षेत्रों की जड़ी-बूटियों की बढ़ी डिमांड

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कई ऐसी जुड़ी-बूटी पाई जाती है, जिनका आयुर्वेद में काफी इस्तेमाल किया जाता है. जो आसानी से नहीं मिल पाती है. ऐसे में हर साल व्यापारी इन जुड़ी-बूटियों को बेचने बागेश्वर के उत्तरायणी मेले में आते हैं. जिनकी काफी मांग रहती है.

bageshwar
बागेश्वर
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Published : Jan 20, 2020, 4:35 PM IST

बागेश्वर: उत्तरायणी मेले में लगने वाली भोटिया मार्केट में हर साल धारचूला और मुनस्यारी समेत उच्च हिमालयी क्षेत्रों के व्यापारी जड़ी-बूटी बेचने आते हैं. मेले में हिमालयी क्षेत्र की जड़ी-बूटी की काफी मांग रहती है. हालांकि जड़ी-बूटी की मात्रा भले ही बाजार में कम हो गयी हो, लेकिन अभी भी जड़ी-बूटी के लाभकारी गुणों पर लोगों का विश्वास बना हुआ है.

उत्तरायणी मेले के दौरान जिला अस्पताल के पास लगने वाली भोटिया मार्केट से जहां लोग ऊनी कपड़े, थुलमे, जैकेट समेत साजो सामान खरीद रहे हैं, वहीं ज्यादातर लोग हिमालयी क्षेत्र की जड़ी-बूटी लेने पहुंच रहे हैं.

बागेश्वर का उत्तरायणी मेला

पढ़ें- राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन और इको समिति में ठनी, इस वजह से हुआ विवाद

धारचूला निवासी किशन बोनाल, आशा देवी, मनीष बोनाल, मनोहर सिंह पांगती ने बताया कि वे पिछले 30 सालों से उत्तरायणी मेले में जड़ी-बूटी बेच रहे हैं. मेले में उच्च हिमालयी क्षेत्र की जड़ी-बूटी की मांग बहुत ज्यादा है.

उन्होंने बताया कि अधिकांश जड़ी-बूटी काफी कम मात्रा में मिल पाती हैं. वे उच्च हिमालयी क्षेत्र में जाकर कड़ी मेहनत कर जड़ी-बूटी इकट्ठा करते हैं. वहीं कुछ जड़ी-बूटियों को वे स्वयं भी साल भर मेहनत कर उगाते हैं.

व्यापारियों ने बताया कि गन्द्रेणी, तिमूर, हींग, जम्बू और काला जीरा भी इस मार्केट में बिकती है. इसके अलावा वे मुलेठी, पुटकी, गंधक, जंगली तुलसी, डोलू, हरड़ आदि बहुमूल्य जड़ी-बूटी का भी वे व्यापार करते है. ठंड के मौसम में ये सभी जड़ी-बूटियां काफी लाभदायक होती हैं. साथ ही भोजन को आसानी से पचाने में भी मदद करती हैं.

पढ़ें- कोटद्वार: हाथियों के झुंड ने रौंदी फसल, किसानों ने की मुआवजे की मांग

उन्होंने बताया कि जड़ी-बूटी उत्पादन और बिक्री को उन्होंने पूर्ण रूप से अपना लिया है. लोगों को जड़ी-बूटी खरीदने के लिए उत्तरायणी मेले का बेसब्री से इंतजार रहता है. इसीलिए वे हर साल यहा आते हैं.

बागेश्वर: उत्तरायणी मेले में लगने वाली भोटिया मार्केट में हर साल धारचूला और मुनस्यारी समेत उच्च हिमालयी क्षेत्रों के व्यापारी जड़ी-बूटी बेचने आते हैं. मेले में हिमालयी क्षेत्र की जड़ी-बूटी की काफी मांग रहती है. हालांकि जड़ी-बूटी की मात्रा भले ही बाजार में कम हो गयी हो, लेकिन अभी भी जड़ी-बूटी के लाभकारी गुणों पर लोगों का विश्वास बना हुआ है.

उत्तरायणी मेले के दौरान जिला अस्पताल के पास लगने वाली भोटिया मार्केट से जहां लोग ऊनी कपड़े, थुलमे, जैकेट समेत साजो सामान खरीद रहे हैं, वहीं ज्यादातर लोग हिमालयी क्षेत्र की जड़ी-बूटी लेने पहुंच रहे हैं.

बागेश्वर का उत्तरायणी मेला

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धारचूला निवासी किशन बोनाल, आशा देवी, मनीष बोनाल, मनोहर सिंह पांगती ने बताया कि वे पिछले 30 सालों से उत्तरायणी मेले में जड़ी-बूटी बेच रहे हैं. मेले में उच्च हिमालयी क्षेत्र की जड़ी-बूटी की मांग बहुत ज्यादा है.

उन्होंने बताया कि अधिकांश जड़ी-बूटी काफी कम मात्रा में मिल पाती हैं. वे उच्च हिमालयी क्षेत्र में जाकर कड़ी मेहनत कर जड़ी-बूटी इकट्ठा करते हैं. वहीं कुछ जड़ी-बूटियों को वे स्वयं भी साल भर मेहनत कर उगाते हैं.

व्यापारियों ने बताया कि गन्द्रेणी, तिमूर, हींग, जम्बू और काला जीरा भी इस मार्केट में बिकती है. इसके अलावा वे मुलेठी, पुटकी, गंधक, जंगली तुलसी, डोलू, हरड़ आदि बहुमूल्य जड़ी-बूटी का भी वे व्यापार करते है. ठंड के मौसम में ये सभी जड़ी-बूटियां काफी लाभदायक होती हैं. साथ ही भोजन को आसानी से पचाने में भी मदद करती हैं.

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उन्होंने बताया कि जड़ी-बूटी उत्पादन और बिक्री को उन्होंने पूर्ण रूप से अपना लिया है. लोगों को जड़ी-बूटी खरीदने के लिए उत्तरायणी मेले का बेसब्री से इंतजार रहता है. इसीलिए वे हर साल यहा आते हैं.

Intro:बागेश्वर।

एंकर- उत्तरायणी मेले में भोटिया मार्केट में धारचूला, मुनस्यारी समेत उच्च हिमालयी क्षेत्रों से हर वर्ष व्यापारी जड़ी-बूटी ले कर पहुँचते हैं। मेले के दौरान हिमालयी क्षेत्र की जड़ी-बूटी की काफी मांग है। हालांकि जड़ी-बूटी की मात्रा भले ही बाजार में कम हो गयी हो। लेकिन अभी भी जड़ी-बूटी के लाभकारी गुणों पर लोगों का विश्वास बना हुआ है।

वीओ- उत्तरायणी मेले के दौरान जिला अस्पताल के पास लगने वाली भोटिया मार्केट से जहां लोग ऊनी कपड़े, थुलमे, जैकेट, अन्य साजो सामान खरीद रहे हैं वहीं ज्यादातर लोग यहां हिमालयी क्षेत्र की जड़ी- बूटी लेने पहुंच रहे हैं। धारचूला निवासी किशन बोनाल, आशा देवी, मनीष बोनाल, मनोहर सिंह पांगती ने बताया कि वे पिछले 30 सालों से उत्तरायणी मेले में जड़ी- बूटी की बिक्री के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि उच्च हिमालयी क्षेत्र की जड़ी-बूटी की मांग बहुत ज्यादा है। उन्होंने बताया कि अधिकांश जड़ी-बूटी काफी कम मात्रा में मिल पाती है। उन्होंने बताया कि वे उच्च हिमालयी क्षेत्र में जा कर कड़ी मेहनत कर जड़ी- बूटी इकट्ठा करते हैं। वहीं कुछ जड़ी- बूटियों को वे स्वयं भी साल भर मेहनत कर उगाते हैं। उन्होंने बताया कि गन्द्रेणी, तिमूर, हींग, जम्बू , काला जीरा आदि का प्रयोग दाल एवं अन्य भोज्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने में किया जाता है। इसके अतिरिक्त मुलेठी, पुटकी, गंधक, जंगली तुलसी, डोलू, हरड़ आदि बहुमूल्य जड़ी-बूटी भी लाते हैं। उन्होंने बताया कि ठंड के मौसम में ये जड़ी-बूटियां काफी लाभदायक होती हैं। साथ ही भोजन को आसानी से पचने में भी मदद करती हैं। उन्होंने बताया कि जड़ी-बूटी उत्पादन और बिक्री को उन्होंने पूर्ण रूप से अपना लिया है। उन्होंने बताया कि लोगों को जड़ी-बूटी खरीदने के लिए उत्तरायणी मेले का बेसब्री से इंतजार रहता है।

बाईट 01- किशन बोनाल, जड़ी-बूटी विक्रेता।Body:वीओ- उत्तरायणी मेले के दौरान जिला अस्पताल के पास लगने वाली भोटिया मार्केट से जहां लोग ऊनी कपड़े, थुलमे, जैकेट, अन्य साजो सामान खरीद रहे हैं वहीं ज्यादातर लोग यहां हिमालयी क्षेत्र की जड़ी- बूटी लेने पहुंच रहे हैं। धारचूला निवासी किशन बोनाल, आशा देवी, मनीष बोनाल, मनोहर सिंह पांगती ने बताया कि वे पिछले 30 सालों से उत्तरायणी मेले में जड़ी- बूटी की बिक्री के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि उच्च हिमालयी क्षेत्र की जड़ी-बूटी की मांग बहुत ज्यादा है। उन्होंने बताया कि अधिकांश जड़ी-बूटी काफी कम मात्रा में मिल पाती है। उन्होंने बताया कि वे उच्च हिमालयी क्षेत्र में जा कर कड़ी मेहनत कर जड़ी- बूटी इकट्ठा करते हैं। वहीं कुछ जड़ी- बूटियों को वे स्वयं भी साल भर मेहनत कर उगाते हैं। उन्होंने बताया कि गन्द्रेणी, तिमूर, हींग, जम्बू , काला जीरा आदि का प्रयोग दाल एवं अन्य भोज्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने में किया जाता है। इसके अतिरिक्त मुलेठी, पुटकी, गंधक, जंगली तुलसी, डोलू, हरड़ आदि बहुमूल्य जड़ी-बूटी भी लाते हैं। उन्होंने बताया कि ठंड के मौसम में ये जड़ी-बूटियां काफी लाभदायक होती हैं। साथ ही भोजन को आसानी से पचने में भी मदद करती हैं। उन्होंने बताया कि जड़ी-बूटी उत्पादन और बिक्री को उन्होंने पूर्ण रूप से अपना लिया है। उन्होंने बताया कि लोगों को जड़ी-बूटी खरीदने के लिए उत्तरायणी मेले का बेसब्री से इंतजार रहता है।

बाईट 01- किशन बोनाल, जड़ी-बूटी विक्रेता।Conclusion:उत्तरायणी में हिमालयी क्षेत्रों से जड़ीबूटी लाने वाले व्यापारियों का वर्षभर बेसब्री से इंतजार करते हैं। माघ माह की उत्तरायणी में यहां व्यापारियों और खरीददारों का तांता लगा रहता है।
ऐसे में ज़रूरत है ऐसे व्यपारिक मेलों को संरक्षित करने की ताकि बाहरी व्यापारियों को एक उचित बाज़ार मिले।
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