बागेश्वर: उत्तरायणी मेले में लगने वाली भोटिया मार्केट में हर साल धारचूला और मुनस्यारी समेत उच्च हिमालयी क्षेत्रों के व्यापारी जड़ी-बूटी बेचने आते हैं. मेले में हिमालयी क्षेत्र की जड़ी-बूटी की काफी मांग रहती है. हालांकि जड़ी-बूटी की मात्रा भले ही बाजार में कम हो गयी हो, लेकिन अभी भी जड़ी-बूटी के लाभकारी गुणों पर लोगों का विश्वास बना हुआ है.
उत्तरायणी मेले के दौरान जिला अस्पताल के पास लगने वाली भोटिया मार्केट से जहां लोग ऊनी कपड़े, थुलमे, जैकेट समेत साजो सामान खरीद रहे हैं, वहीं ज्यादातर लोग हिमालयी क्षेत्र की जड़ी-बूटी लेने पहुंच रहे हैं.
पढ़ें- राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन और इको समिति में ठनी, इस वजह से हुआ विवाद
धारचूला निवासी किशन बोनाल, आशा देवी, मनीष बोनाल, मनोहर सिंह पांगती ने बताया कि वे पिछले 30 सालों से उत्तरायणी मेले में जड़ी-बूटी बेच रहे हैं. मेले में उच्च हिमालयी क्षेत्र की जड़ी-बूटी की मांग बहुत ज्यादा है.
उन्होंने बताया कि अधिकांश जड़ी-बूटी काफी कम मात्रा में मिल पाती हैं. वे उच्च हिमालयी क्षेत्र में जाकर कड़ी मेहनत कर जड़ी-बूटी इकट्ठा करते हैं. वहीं कुछ जड़ी-बूटियों को वे स्वयं भी साल भर मेहनत कर उगाते हैं.
व्यापारियों ने बताया कि गन्द्रेणी, तिमूर, हींग, जम्बू और काला जीरा भी इस मार्केट में बिकती है. इसके अलावा वे मुलेठी, पुटकी, गंधक, जंगली तुलसी, डोलू, हरड़ आदि बहुमूल्य जड़ी-बूटी का भी वे व्यापार करते है. ठंड के मौसम में ये सभी जड़ी-बूटियां काफी लाभदायक होती हैं. साथ ही भोजन को आसानी से पचाने में भी मदद करती हैं.
पढ़ें- कोटद्वार: हाथियों के झुंड ने रौंदी फसल, किसानों ने की मुआवजे की मांग
उन्होंने बताया कि जड़ी-बूटी उत्पादन और बिक्री को उन्होंने पूर्ण रूप से अपना लिया है. लोगों को जड़ी-बूटी खरीदने के लिए उत्तरायणी मेले का बेसब्री से इंतजार रहता है. इसीलिए वे हर साल यहा आते हैं.