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बताया था रोडवेज डिपो बनाएंगे, उद्घाटन के बाद पता चला ये है बस स्टेशन

बागेश्वर के लोगों के साथ रोडवेज डिपो के नाम पर छलावा किया गया. डिपो के बजाय लोगों को बस स्टेशन बना के दे दिया. 19 फरवरी 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री ने बागेश्वर में बस स्टेशन का उद्घाटन किया था. बागेश्वर से हल्द्वानी और भराड़ी के लिए बसों को हरी झंडी दिखाई थी. कहा गया था यहां से बस रोज बागेश्वर से भराड़ी और हल्द्वानी जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

रोडवेज डिपो
रोडवेज डिपो
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Published : Sep 2, 2021, 11:53 AM IST

Updated : Sep 2, 2021, 12:48 PM IST

बागेश्वर: बीते 19 फरवरी 2020 में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने बागेश्वर में बस स्टेशन का उद्घाटन किया था. इस बस स्टेशन से बागेश्वर से हल्द्वानी और भराड़ी के लिए बसों को हरी झंडी दिखाई गई थी. इस दौरान उन्होंने कहा था कि यहां से हर रोज बस बागेश्वर से भराड़ी और हल्द्वानी जाएंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

बता दें कि, बागेश्वर में कांग्रेस शासनकाल में उत्तराखंड परिवहन निगम का डिपो बनाने की घोषणा की गई थी और डिपो का निर्माण शुरू किया गया. 2.88 करोड़ की लागत से बने भवन को कार्यदायी संस्था पेयजल निर्माण निगम ने चार नवंबर 2019 को उत्तराखंड परिवहन निगम को हस्तांतरित किया था. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने 19 फरवरी को बस स्टेशन का उद्घाटन किया. उद्घाटन अवसर पर त्रिवेंद्र सिंह रावत और मंत्री ने दो बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. एक बस को भराड़ी और दूसरी बस को हल्द्वानी के लिए रवाना किया गया.

उद्घाटन के बाद पता चला ये है बस स्टेशन.

इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा था कि दोनों बसों का संचालन नियमित रूप से होगा. लेकिन उद्घाटन के दिन पहली बस बागेश्वर-हल्द्वानी और अल्मोड़ा से भराड़ी चलने वाली दूसरी बस को बागेश्वर-भराड़ी नाम से हरी झंडी दिखाई गई. जबकि इन बसों का संचालन पहले से ही हो रहा था. उद्घाटन के अगले ही दिन से यह बस सेवाएं अल्मोड़ा से भराड़ी और बागेश्वर से दिल्ली के लिए संचालित होने लगी.

स्टेशन में इंचार्ज का पद भी सृजित नहीं है. एक वरिष्ठ लिपिक और दो बुजुर्ग चालक तैनात हैं. बुजुर्ग चालकों से रात में चौकीदारी कराई जा रही है. सरकार ने भले ही बागेश्वर में बस स्टेशन का शुभारंभ किया हो, लेकिन भवन के हस्तांतरण पत्र और भवन निर्माण के समय लगे कार्यदायी संस्था के बोर्ड में भी रोडवेज बस डिपो लिखा है. जिसे अब हटा दिया गया है.

पढ़ें: ऊर्जा निगमों में कर्मचारी संगठन आए आमने-सामने, एमडी पद को लेकर चल रही कसरत

स्टेशन के उद्घाटन के दिन परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने स्टेशन को पांच बस देने का वादा किया था. यह वादा भी कोरा साबित हुआ है. उन्होंने कहा था कि स्टेशन को पांच बसें दी जाएंगी. इस घोषणा पर तब भी सवाल उठे थे. लोगों का कहना था कि बसें स्टेशन को नहीं बल्कि डिपो को दी जाती हैं.

नगर पालिका की पूर्व अध्यक्ष गीता रावल ने बताया कि सरकार की कथनी और करनी में हमेशा से फर्क रहा है. ये सरकार कहती कुछ है और करती कुछ और है. ये जुमलेबाजों की सरकार है जो बस जुमले छोड़ना जानते हैं. उन्होंने कहा कि डिपो का उद्घाटन किया गया, पर चलाया जा रहा स्टेशन वो भी एक दो बसों के सहारे.

पढ़ें: 6 महीने भी नहीं टिक पाई रेलवे द्वारा बनाई गई सड़क, अधिकारियों पर लगे गंभीर आरोप

सामाजिक कार्यकर्ता रमेश पांडेय कृषक ने बताया कि स्थानीय विधायक हो या सरकार के मंत्री सब विकास की सोच से काफी दूर हैं. इनको यही पता नहीं होता है कि उनके द्वारा कब क्या कहा गया. परिवहन मंत्री और विधायक बागेश्वर द्वारा लगातार कहा गया कि डिपो का जल्द उद्घाटन होगा. जब उद्घाटन हुआ तो उसे रातों-रात स्टेशन बना लिया गया.

बागेश्वर: बीते 19 फरवरी 2020 में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने बागेश्वर में बस स्टेशन का उद्घाटन किया था. इस बस स्टेशन से बागेश्वर से हल्द्वानी और भराड़ी के लिए बसों को हरी झंडी दिखाई गई थी. इस दौरान उन्होंने कहा था कि यहां से हर रोज बस बागेश्वर से भराड़ी और हल्द्वानी जाएंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

बता दें कि, बागेश्वर में कांग्रेस शासनकाल में उत्तराखंड परिवहन निगम का डिपो बनाने की घोषणा की गई थी और डिपो का निर्माण शुरू किया गया. 2.88 करोड़ की लागत से बने भवन को कार्यदायी संस्था पेयजल निर्माण निगम ने चार नवंबर 2019 को उत्तराखंड परिवहन निगम को हस्तांतरित किया था. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने 19 फरवरी को बस स्टेशन का उद्घाटन किया. उद्घाटन अवसर पर त्रिवेंद्र सिंह रावत और मंत्री ने दो बसों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. एक बस को भराड़ी और दूसरी बस को हल्द्वानी के लिए रवाना किया गया.

उद्घाटन के बाद पता चला ये है बस स्टेशन.

इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा था कि दोनों बसों का संचालन नियमित रूप से होगा. लेकिन उद्घाटन के दिन पहली बस बागेश्वर-हल्द्वानी और अल्मोड़ा से भराड़ी चलने वाली दूसरी बस को बागेश्वर-भराड़ी नाम से हरी झंडी दिखाई गई. जबकि इन बसों का संचालन पहले से ही हो रहा था. उद्घाटन के अगले ही दिन से यह बस सेवाएं अल्मोड़ा से भराड़ी और बागेश्वर से दिल्ली के लिए संचालित होने लगी.

स्टेशन में इंचार्ज का पद भी सृजित नहीं है. एक वरिष्ठ लिपिक और दो बुजुर्ग चालक तैनात हैं. बुजुर्ग चालकों से रात में चौकीदारी कराई जा रही है. सरकार ने भले ही बागेश्वर में बस स्टेशन का शुभारंभ किया हो, लेकिन भवन के हस्तांतरण पत्र और भवन निर्माण के समय लगे कार्यदायी संस्था के बोर्ड में भी रोडवेज बस डिपो लिखा है. जिसे अब हटा दिया गया है.

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स्टेशन के उद्घाटन के दिन परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने स्टेशन को पांच बस देने का वादा किया था. यह वादा भी कोरा साबित हुआ है. उन्होंने कहा था कि स्टेशन को पांच बसें दी जाएंगी. इस घोषणा पर तब भी सवाल उठे थे. लोगों का कहना था कि बसें स्टेशन को नहीं बल्कि डिपो को दी जाती हैं.

नगर पालिका की पूर्व अध्यक्ष गीता रावल ने बताया कि सरकार की कथनी और करनी में हमेशा से फर्क रहा है. ये सरकार कहती कुछ है और करती कुछ और है. ये जुमलेबाजों की सरकार है जो बस जुमले छोड़ना जानते हैं. उन्होंने कहा कि डिपो का उद्घाटन किया गया, पर चलाया जा रहा स्टेशन वो भी एक दो बसों के सहारे.

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सामाजिक कार्यकर्ता रमेश पांडेय कृषक ने बताया कि स्थानीय विधायक हो या सरकार के मंत्री सब विकास की सोच से काफी दूर हैं. इनको यही पता नहीं होता है कि उनके द्वारा कब क्या कहा गया. परिवहन मंत्री और विधायक बागेश्वर द्वारा लगातार कहा गया कि डिपो का जल्द उद्घाटन होगा. जब उद्घाटन हुआ तो उसे रातों-रात स्टेशन बना लिया गया.

Last Updated : Sep 2, 2021, 12:48 PM IST
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