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मनरेगा के तहत तीन लाख की लागत से बना पुल, 30 दिन में ही हुआ ध्वस्त

बागेश्वर के गरुड़ ब्लॉक स्थित चौरसों नदी पर मनरेगा द्वारा बनाया गया पुल 30 दिनों में ही टूट गया. वहीं, मनरेगा विभाग के जूनियर इंजीनियर की लापरवाही से हुए इस नुकसान को छुपाया जा रहा है.

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30 दिनों में पुल ध्वस्त.
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Published : Aug 7, 2020, 8:16 PM IST

बागेश्वर: जिले के गरुड़ ब्लॉक स्थित चौरसों नदी पर मनरेगा द्वारा बनाया गया पुल 30 दिनों में ही टूट गया. 40 फिट लंबे स्पैन और मैटीरियल की गुणवत्ता में कमी के चलते पुल के ध्वस्त होने की बात सामने आई है, लेकिन विभाग जूनियर इंजीनियर की लापरवाही से हुए इस नुकसान को छुपाने में लगा है.

30 दिनों में पुल ध्वस्त.

बागेश्वर के गरुड़ ब्लॉक स्थित चौरसों के नदी पर घटिया सामग्री से बने पुल के ध्वस्त होने पर जब मिस्त्री से बात की गई तो मिस्त्री ने बताया कि मनरेगा के जेई द्वारा बताए गए मैटीरियल और ढांचे जैसा ये पुल बनाया है. वहीं, खंड विकास अधिकारी ने बताया कि यह पुल मनरेगा द्वारा 3 लाख की लागत से बना था. साथ ही कहा कि जिस दिन पुल में सीमेंट डाला गया, उसी दिन किसी असमाजिक तत्व द्वारा पुल के नीचे से उसकी स्ट्रींग में लगे सपोर्टर खिसका दिए. जिसके चलते पुल टूट गया.

ये भी पढ़ें: IPS Vs MLA: विधायकों ने अधिकारी के काम पर खड़े किये सवाल, अपराधियों के साठ-गांठ का आरोप

वहीं, निर्माण के 30 दिनों के अंदर ही पुल टूटने से ग्रामीणों में रोष है. गरुड़ निवासी हइकोर्ट के अधिवक्ता डीके जोशी ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर मामले की जांच कर संबंधित ठेकेदार और जेई के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. ऐसे में विभागीय अधिकारी मामले में अपने कर्मचारियों को बचाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं.

बागेश्वर: जिले के गरुड़ ब्लॉक स्थित चौरसों नदी पर मनरेगा द्वारा बनाया गया पुल 30 दिनों में ही टूट गया. 40 फिट लंबे स्पैन और मैटीरियल की गुणवत्ता में कमी के चलते पुल के ध्वस्त होने की बात सामने आई है, लेकिन विभाग जूनियर इंजीनियर की लापरवाही से हुए इस नुकसान को छुपाने में लगा है.

30 दिनों में पुल ध्वस्त.

बागेश्वर के गरुड़ ब्लॉक स्थित चौरसों के नदी पर घटिया सामग्री से बने पुल के ध्वस्त होने पर जब मिस्त्री से बात की गई तो मिस्त्री ने बताया कि मनरेगा के जेई द्वारा बताए गए मैटीरियल और ढांचे जैसा ये पुल बनाया है. वहीं, खंड विकास अधिकारी ने बताया कि यह पुल मनरेगा द्वारा 3 लाख की लागत से बना था. साथ ही कहा कि जिस दिन पुल में सीमेंट डाला गया, उसी दिन किसी असमाजिक तत्व द्वारा पुल के नीचे से उसकी स्ट्रींग में लगे सपोर्टर खिसका दिए. जिसके चलते पुल टूट गया.

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वहीं, निर्माण के 30 दिनों के अंदर ही पुल टूटने से ग्रामीणों में रोष है. गरुड़ निवासी हइकोर्ट के अधिवक्ता डीके जोशी ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर मामले की जांच कर संबंधित ठेकेदार और जेई के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. ऐसे में विभागीय अधिकारी मामले में अपने कर्मचारियों को बचाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं.

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