बागेश्वर: जिले के कपकोट ब्लॉक के जगथाना गांव में एक 8 वर्षीय बच्चे की जिला अस्पताल में गलघोंटू (डिप्थीरिया) बीमारी से मौत हो गई है. बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि बच्चे में डिप्थीरिया के लक्षण पाए गए थे. वहीं, इसी रोग से पीड़ित 2 और बच्चियों को हायर सेंटर रेफर किया गया है.
बाल रोग विशेषज्ञ का कहना है कि अस्पताल लाने से पहले बच्चे का इलाज निजी चिकित्सक से कराया गया था. अगर उसे समय पर सरकारी अस्पताल लाया जाता तो बच्चे को बचाया जा सकता था. उधर जगथाना गांव के ही रहने वाले प्रताप सिंह की दोनों बेटियों तनुजा और भूमिका का स्वास्थ्य भी खराब है. दोनों की उम्र 4 साल और 10 साल है. परिजन इलाज के लिए दोनों को जिला अस्पताल लेकर गए. जांच के बाद दोनों को भर्ती कर लिया गया. दोनों की हालत गंभीर होने पर हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है.
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CMO BD जोशी ने बताया कि जगथाना गांव से एक बच्चे को गंभीर हालत में जिला अस्पताल लाया गया था. बच्चे में डिप्थीरिया के लक्षण पाए गए थे. इलाज समय पर नहीं मिलने से उसकी मौत हो गई. उन्होंने बताया कि इसी गांव की 2 अन्य बच्चियों में भी डिप्थीरिया के लक्षण पाए गए हैं. गंभीरता को देखते हुए दोनो को हायर सेंटर रेफर किया गया है. इससे पहले गांव चचई में भी इसी बीमारी से 3 लोगों की मौत हो चुकी है.
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जानें क्या है डिप्थीरिया और कैसे करें उपचार ?
CMO BD जोशी के मुताबिक डिप्थीरिया एक संक्रामक रोग है जो बच्चों के अलावा वयस्कों में भी हो सकता है. गले में सूजन, दर्द, खरास और बुखार इस रोग के लक्षण हैं. इससे बचाव के लिए बच्चों को डेढ़ से साढ़े तीन साल तक के बीच पेंटावेलेंट के 3 टीके लगाए जाते हैं. जिन बच्चों को ये टीके नहीं लगे होते हैं, उनमें डिप्थीरिया होने की आशंका कई गुना ज्यादा रहती है. मरीज की ज्यादा हालत खराब होने पर उसे एंटी टॉक्सिन इंजेक्शन दिया जाता है. उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में ये इंजेक्शन नहीं होने के कारण इस बीमारी से पीड़ित रोगियों को रेफर करना पड़ रहा है.