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आज भी कामय है अल्मोड़ा के नंदादेवी मंदिर में ऐतिहासिक जागर प्रथा, जानिए महत्व

अल्मोड़ा में हर साल आयोजित की जानी वाली ऐतिहासिक नंदादेवी मंदिर में मंगलवार देर रात कदली वृक्षों से मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण किया गया. इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा भी की गई.

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नंदादेवी मंदिर में ऐतिहासिक जागर प्रथा का आयोजन.
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Published : Aug 26, 2020, 2:58 PM IST

Updated : Aug 26, 2020, 4:06 PM IST

अल्मोड़ा: ऐतिहासिक नंदादेवी मंदिर में चल रहा नंदादेवी मेले में देर रात कदली वृक्षों से मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण किया गया, जिसके बाद इन मूर्तियों में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ प्राण प्रतिष्ठा की गई. साथ ही रात्रि में देवी का जागर भी लगाया गया. वहीं, नंदाष्टमी के दिन चंद राजाओं के वशंजों द्वारा इनकी तांत्रिक विधि द्वारा विशेष पूजा अर्चना की जाएगी.

नंदादेवी मंदिर में ऐतिहासिक जागर प्रथा का आयोजन.

पढ़ें- उत्तराखंड : फूलों की घाटी खुली, हनुमान जी लाए थे यहां से संजीवनी

अल्मोड़ा के ऐतिहासिक नंदा देवी मंदिर में आज भी कई प्रथाएं ऐतिहासिक हैं, हिमालय की कुलदेवी मां नंदा का गुणगान देवी जागर में दिखाई देता है. देवी जागर के निपुण लोग अलग- अलग पहर में देवी कथा को अपने वाद्य यंत्रों के माध्यम से गाकर, मां नंदा का गुणगान करते हैं. अल्मोड़ा के नंदा देवी में देवी जागर की पंरपरा निराली है. यहां ल्वेशाल गांव के जगरिये सदियों पुरानी अनूठी परम्परा को निभाते हुए मंदिर में देवी का जागर लगाते हैं. हर वर्ष जगरिये जागर गाकर मां के सभी स्वरूपों का गुणगान करते हैं और इसकी महत्ता को बताते हैं.

वहीं, कोरोना के कारण इस वर्ष नन्दादेवी मेला बेहद सादगी के साथ मनाया जा रहा है. पिछले साल तक यहां मेले के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते थे. देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ भी यहां जुटती थी. लेकिन इस बार मेला शासन-प्रशासन के नियमानुसार चल रहा है. चंद राजाओं की राजधानी रही अल्मोड़ा में मां नंदादेवी चंद राजाओं की कुलदेवी मानी जाती हैं. बता दें कि हर वर्ष नन्दादेवी मेले के अवसर पर पूजा पाठ चंद राजाओं के वशंजों द्वारा ही किया जाता है. इस वर्ष नैनीताल के पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के पुत्र नरेंद्र चंद सिंह इस पूजा पाठ में शामिल होने आए हैं.

अल्मोड़ा: ऐतिहासिक नंदादेवी मंदिर में चल रहा नंदादेवी मेले में देर रात कदली वृक्षों से मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण किया गया, जिसके बाद इन मूर्तियों में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ प्राण प्रतिष्ठा की गई. साथ ही रात्रि में देवी का जागर भी लगाया गया. वहीं, नंदाष्टमी के दिन चंद राजाओं के वशंजों द्वारा इनकी तांत्रिक विधि द्वारा विशेष पूजा अर्चना की जाएगी.

नंदादेवी मंदिर में ऐतिहासिक जागर प्रथा का आयोजन.

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अल्मोड़ा के ऐतिहासिक नंदा देवी मंदिर में आज भी कई प्रथाएं ऐतिहासिक हैं, हिमालय की कुलदेवी मां नंदा का गुणगान देवी जागर में दिखाई देता है. देवी जागर के निपुण लोग अलग- अलग पहर में देवी कथा को अपने वाद्य यंत्रों के माध्यम से गाकर, मां नंदा का गुणगान करते हैं. अल्मोड़ा के नंदा देवी में देवी जागर की पंरपरा निराली है. यहां ल्वेशाल गांव के जगरिये सदियों पुरानी अनूठी परम्परा को निभाते हुए मंदिर में देवी का जागर लगाते हैं. हर वर्ष जगरिये जागर गाकर मां के सभी स्वरूपों का गुणगान करते हैं और इसकी महत्ता को बताते हैं.

वहीं, कोरोना के कारण इस वर्ष नन्दादेवी मेला बेहद सादगी के साथ मनाया जा रहा है. पिछले साल तक यहां मेले के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते थे. देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ भी यहां जुटती थी. लेकिन इस बार मेला शासन-प्रशासन के नियमानुसार चल रहा है. चंद राजाओं की राजधानी रही अल्मोड़ा में मां नंदादेवी चंद राजाओं की कुलदेवी मानी जाती हैं. बता दें कि हर वर्ष नन्दादेवी मेले के अवसर पर पूजा पाठ चंद राजाओं के वशंजों द्वारा ही किया जाता है. इस वर्ष नैनीताल के पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के पुत्र नरेंद्र चंद सिंह इस पूजा पाठ में शामिल होने आए हैं.

Last Updated : Aug 26, 2020, 4:06 PM IST
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