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पर्यावरण को बचाने के लिए ग्रामीणों की अनूठी मुहिम, चार साल से कर रहे पौधारोपण

अर्जुनराठ और भानाराठ के ग्रामीणों इस अभियान को चार साल से चला रहे है. जिसके तहत वे अभीतक पांच हजार पौधे लगा चुके हैं.

सोमेश्वर
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Published : Jul 10, 2020, 7:14 PM IST

सोमेश्वर: अर्जुनराठ और भानाराठ के ग्रामीणों ने सरकारी तंत्र की अनदेखी के कारण उजड़ते जंगलों को हरा-भरा करने का बीड़ा उठाया है. दोनों गांव के ग्रामीण पिछले चार सालों से 'मेरा गांव मेरा जंगल' अभियान चलाया रहे हैं. जिसके तहत उन्होंने अपने संसाधनों से करीब पांच हजार से अधिक पौधों का रोपण कर पर्यावरण को बचाने का सराहनीय कार्य किया.

पर्यावरण को बचाने के लिए ग्रामीणों की अनूठी मुहिम.

इस साल भी 'मेरा गांव मेरा जंगल' की मुहिम को जारी रखते हुए ग्राम पंचायत फल्या और भानाराठ के ग्रामीणों ने जंगल में 500 छायादार पौधों का रोपण करने का लक्ष्य रखा है. साल 2017 से चल रहे इस अभियान में ग्रामीणों ने स्वयं के संसाधनों से पौधे खरीदे और श्रमदान कर पौधारोपण किया.

पढ़ें- चीन को आर्थिक चोट पहुंचाने की कवायद तेज, सीएम त्रिवेंद्र ने किया था ऐलान

शुक्रवार को दोनों गांवों के ग्रामीणों ने जंगल में जाकर चौड़ीपत्ती दार,बांज, बुरांश, काफल, उतीश, बमोर, बांस, देवदार और फल्याट सहित अन्य प्रजाति के पौधों का रोपण किया. 'मेरा गांव मेरा जंगल' अभियान के सदस्य और शिक्षक नरेंद्र सिंह बोरा ने कहा कि साल 2017 से अबतक वे पांच हजार से ज्यादा पौधों को रोपण कर चुके हैं. जिनमें से अधिकांश पेड़ हरे-भरे और जीवित अवस्था में हैं. इस मुहिम को पूरा करने में महिलाओं, स्कूली बच्चों और गांव के युवकों का भरपूर योगदान रहता है. हालांकि उन्हें इस बात का दु:ख भी रहता है कि सरकार के इस कार्य में उनकी कोई मदद नहीं की जाती है. संबंधित विभाग उन्हें मांगने पर भी पौधे नहीं देता है. न ही विभाग की तरफ से कोई सुरक्षा दीवार बनाई जाती है.

उन्होंने आगे कहा कि वह पर्यावरण को बचाने के साथ जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए निःस्वार्थ रूप से मिलकर इस अभियान को चला रहे हैं. शुक्रवार को ग्रामीणों ने पौधारोपण कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लिया और पौधारोपण के बाद रोपे गए पौधों की देखरेख व सुरक्षा करने का संकल्प भी लिया. कार्यक्रम में गांव और क्षेत्र के कई लोगों ने भाग लिया.

सोमेश्वर: अर्जुनराठ और भानाराठ के ग्रामीणों ने सरकारी तंत्र की अनदेखी के कारण उजड़ते जंगलों को हरा-भरा करने का बीड़ा उठाया है. दोनों गांव के ग्रामीण पिछले चार सालों से 'मेरा गांव मेरा जंगल' अभियान चलाया रहे हैं. जिसके तहत उन्होंने अपने संसाधनों से करीब पांच हजार से अधिक पौधों का रोपण कर पर्यावरण को बचाने का सराहनीय कार्य किया.

पर्यावरण को बचाने के लिए ग्रामीणों की अनूठी मुहिम.

इस साल भी 'मेरा गांव मेरा जंगल' की मुहिम को जारी रखते हुए ग्राम पंचायत फल्या और भानाराठ के ग्रामीणों ने जंगल में 500 छायादार पौधों का रोपण करने का लक्ष्य रखा है. साल 2017 से चल रहे इस अभियान में ग्रामीणों ने स्वयं के संसाधनों से पौधे खरीदे और श्रमदान कर पौधारोपण किया.

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शुक्रवार को दोनों गांवों के ग्रामीणों ने जंगल में जाकर चौड़ीपत्ती दार,बांज, बुरांश, काफल, उतीश, बमोर, बांस, देवदार और फल्याट सहित अन्य प्रजाति के पौधों का रोपण किया. 'मेरा गांव मेरा जंगल' अभियान के सदस्य और शिक्षक नरेंद्र सिंह बोरा ने कहा कि साल 2017 से अबतक वे पांच हजार से ज्यादा पौधों को रोपण कर चुके हैं. जिनमें से अधिकांश पेड़ हरे-भरे और जीवित अवस्था में हैं. इस मुहिम को पूरा करने में महिलाओं, स्कूली बच्चों और गांव के युवकों का भरपूर योगदान रहता है. हालांकि उन्हें इस बात का दु:ख भी रहता है कि सरकार के इस कार्य में उनकी कोई मदद नहीं की जाती है. संबंधित विभाग उन्हें मांगने पर भी पौधे नहीं देता है. न ही विभाग की तरफ से कोई सुरक्षा दीवार बनाई जाती है.

उन्होंने आगे कहा कि वह पर्यावरण को बचाने के साथ जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए निःस्वार्थ रूप से मिलकर इस अभियान को चला रहे हैं. शुक्रवार को ग्रामीणों ने पौधारोपण कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भाग लिया और पौधारोपण के बाद रोपे गए पौधों की देखरेख व सुरक्षा करने का संकल्प भी लिया. कार्यक्रम में गांव और क्षेत्र के कई लोगों ने भाग लिया.

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