काशीपुर/अल्मोड़ाः यूक्रेन पर रूस की सैन्य कार्रवाई के बाद हालात बेहद खराब हो गए हैं. इस जंग के बीच यूक्रेन के खारकीव में काशीपुर की उंजिला सैफी समेत कई छात्राएं फंसी हैं. उंजिला सैफी और उसके साथियों ने एक भावुक कर देने वाला वीडियो भेज दिया है. जिसमें वो बता रहीं हैं कि धमाके के बीच वो -2°C में रात गुजार रही हैं. उनके खाने पीने का सामान भी खत्म होने की कगार पर है. सैफी रूंधे गले से कहती नजर आ रही हैं कि उन्हें खुद नहीं पता कि अगले पल क्या होगा?
दरअसल, काशीपुर की उंजिला सैफी ने वहां के हालातों से रूबरू कराती वीडियो भेजी है. जिसे देख उनके परिजनों की चिंता और बढ़ गई है. मंजुला खारकीव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में डॉक्टरी की पढ़ाई करने गई हैं. मंजुला सैफी इस वक्त खारकीव में ही है. जहां हर पल मौत का खतरा बना हुआ है. उंजिला ने वहां से अपनी दोस्त के साथ वर्तमान हालातों पर एक वीडियो बनाकर भेजी है.
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बिस्कुट और ब्रेड खाकर गुजारा, बाहर सुनाई दे रही धमाके की आवाजेंः वीडियो में उंजिला और उनकी दोस्त कह रही हैं कि यहां का रात को तापमान माइनस यानी -2°C हो जाता जा रहा है. बड़ी मुश्किल से वो रात गुजार रही हैं. वो अब केवल बिस्कुट और ब्रेड पर ही निर्भर हैं. लगातार बम और मिसाइलें गिरने की आवाज आ रही हैं. जिसके बाद से वो काफी डरे हुए हैं. भारत सरकार से वो रूंधे गले से जल्द से जल्द वहां से निकालने की अपील करती दिख रही हैं.
बताया जा रहा है कि काशीपुर के मोहल्ला महेशपुरा फ्रेंड्स कॉलोनी निवासी शमशुल आरिफ के बेटे अहमद शम्स और शमीम सैफी की बेटी उंजिला सैफी और थाना आईटीआई जसपुर खुर्द के रहने वाले नरेंद्र सिंह नागरा की बेटी सुखबीर कौर समेत अन्य छात्र यूक्रेन में फंसे हैं. ऐसे में उनके परिजनों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
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यूक्रेन से अल्मोड़ा की बेटी लिपिका चौहान की अपीलः अल्मोड़ा से यूक्रेन के निप्रो शहर में एमबीबीएस की पढ़ाई करने गई लिपिका चौहान ने ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार से मदद की गुहार लगाई है. लिपिका ने बताया कि वहां पर हालात काफी खराब हैं. कई जगहों पर तो भारतीय छात्र-छात्राएं 2-3 दिनों से भूखे प्यासे हैं.
लिपिका ने बताया कि वो जिस निप्रो शहर में हैं, वहां पर कम से कम खाना और इंटरनेट की सुविधा मिल रही है, लेकिन इससे 500 किलोमीटर की दूर कीव और अन्य जगहों में हालात काफी खराब हैं. वहां भारतीय छात्रों को सुरक्षा के मद्देनजर बंकरों में रखा गया है. उनके पास खाने और पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं हैं.
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