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अल्मोड़ा में इस बार वर्चुअल रामलीला शुरू, हरदा ने किया ऑनलाइन शुभारंभ

पूर्व सीएम हरीश रावत ने अल्मोड़ा की ऐतिहासिक रामलीला वर्चुअल उद्घाटन किया. इस साल कोरोना के चलते ऑनलाइन दिखाई जा रही है.

Almora Historical Ramlila
अल्मोड़ा ऐतिहासिक रामलीला
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Published : Oct 18, 2020, 10:23 AM IST

अल्मोड़ा: देशभर में प्रसिद्ध सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की ऐतिहासिक रामलीला इस बार वर्चुअल माध्यम से हो रही है. नगर के कर्नाटक खोला में हो रही इस वर्चुअल रामलीला का उद्घाटन पूर्व सीएम हरीश रावत ने वर्चुअल तरीके से किया, जिसके बाद लोग इस रामलीला को अब घर बैठे डिजिटल माध्यम से देख रहे हैं. रामलीला आयोजकों का कहना है कि इस डिजिटल रामलीला को देशभर के लोग देख रहे हैं.

रामलीला का इतिहास

गौर हो, अल्मोड़ा की रामलीला का इतिहास काफी प्राचीन है. कुमाऊं में सबसे पहले रामलीला की शुरूआत अल्मोड़ा के बद्रेश्वर मंदिर से 1860 में हुई थी, जिसका श्रेय तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर स्व. देवीदत्त जोशी को जाता है. बाद में नैनीताल, बागेश्वर व पिथौरागढ़ में क्रमशः साल 1880, 1890 व 1902 में रामलीला नाटक का मंचन शुरू हुआ.

अल्मोड़ा में इस बार वर्चुअल रामलीला शुरू.

अल्मोड़ा नगर में साल 1940-41 में विख्यात नृत्य सम्राट पं. उदय शंकर ने छाया चित्रों के माध्यम से रामलीला में नवीनता लाने का प्रयास किया. हालांकि, पं. उदय शंकर द्वारा प्रस्तुत रामलीला यहां की परंपरागत रामलीला से कई मायनों में भिन्न थी. लेकिन उनके छायाचित्र, उत्कृष्ट संगीत व नृत्य की छाप यहां की रामलीला पर जरूर पड़ी.

पढ़ें-नवरात्रि का दूसरा दिन आज, जानिए दुर्गा के स्वरूप मां नंदा देवी की महिमा

अल्मोड़ा में रामलीला का आयोजन पिछले डेढ़ सौ वर्षों से भी अधिक से चलता आ रहा है. अल्मोड़ा में साल 1860 में रामलीला का आयोजन शुरू हुआ. जो कि लगातार अभी तक रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. लेकिन इस बार कोरोना के कारण वर्षों से चली आ रही इस रामलीला के आयोजन पर भी ग्रहण लगा है. नगर के दर्जनों जगह में आयोजित होने वाली रामलीला आज सिर्फ कर्नाटक में आयोजित में आयोजित की जा रही है.

अल्मोड़ा: देशभर में प्रसिद्ध सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की ऐतिहासिक रामलीला इस बार वर्चुअल माध्यम से हो रही है. नगर के कर्नाटक खोला में हो रही इस वर्चुअल रामलीला का उद्घाटन पूर्व सीएम हरीश रावत ने वर्चुअल तरीके से किया, जिसके बाद लोग इस रामलीला को अब घर बैठे डिजिटल माध्यम से देख रहे हैं. रामलीला आयोजकों का कहना है कि इस डिजिटल रामलीला को देशभर के लोग देख रहे हैं.

रामलीला का इतिहास

गौर हो, अल्मोड़ा की रामलीला का इतिहास काफी प्राचीन है. कुमाऊं में सबसे पहले रामलीला की शुरूआत अल्मोड़ा के बद्रेश्वर मंदिर से 1860 में हुई थी, जिसका श्रेय तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर स्व. देवीदत्त जोशी को जाता है. बाद में नैनीताल, बागेश्वर व पिथौरागढ़ में क्रमशः साल 1880, 1890 व 1902 में रामलीला नाटक का मंचन शुरू हुआ.

अल्मोड़ा में इस बार वर्चुअल रामलीला शुरू.

अल्मोड़ा नगर में साल 1940-41 में विख्यात नृत्य सम्राट पं. उदय शंकर ने छाया चित्रों के माध्यम से रामलीला में नवीनता लाने का प्रयास किया. हालांकि, पं. उदय शंकर द्वारा प्रस्तुत रामलीला यहां की परंपरागत रामलीला से कई मायनों में भिन्न थी. लेकिन उनके छायाचित्र, उत्कृष्ट संगीत व नृत्य की छाप यहां की रामलीला पर जरूर पड़ी.

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अल्मोड़ा में रामलीला का आयोजन पिछले डेढ़ सौ वर्षों से भी अधिक से चलता आ रहा है. अल्मोड़ा में साल 1860 में रामलीला का आयोजन शुरू हुआ. जो कि लगातार अभी तक रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. लेकिन इस बार कोरोना के कारण वर्षों से चली आ रही इस रामलीला के आयोजन पर भी ग्रहण लगा है. नगर के दर्जनों जगह में आयोजित होने वाली रामलीला आज सिर्फ कर्नाटक में आयोजित में आयोजित की जा रही है.

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