नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड द्वारा अधिवक्ताओं के पंजीकरण के नाम पर भारी शुल्क वसूल किए जाने के खिलाफ आरएलईके (रुलक) (रूरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट केंद्र) संस्था देहरादून द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की.
कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड, बार काउंसिल ऑफ इंडिया सहित राज्य व केंद्र सरकारों से 3 हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ में हुई.
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मामले के मुताबिक रुलक संस्था के अध्यक्ष अवधेश कौशल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि अन्य राज्यों की बार काउंसिल में अधिवक्ता पंजीकरण शुल्क 750 रुपया निर्धारित है. लेकिन उत्तराखंड बार काउंसिल में विभिन्न श्रेणियों में 15 हजार से 38 हजार रुपये तक पंजीयन शुल्क लिया जा रहा है. जिसे अन्य राज्यों के समान किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता का कहना है कि एडवोकेट एक्ट 1961 में स्पष्ट लिखा है कि अधिवक्ताओं का पंजीकरण शुल्क 750 रुपये निर्धारित है. फिर बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड निर्धारित शुल्क से अधिक कैसे ले सकता है.