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आज है नरक से मुक्ति दिलाने वाली योगिनी एकादशी, जानें महत्व और शुभ मुहूर्त - राजा नहुष और अम्बरीष

आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है. यह एकादशी पापों के प्रायश्चित के लिए विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन श्री हरि के ध्यान, भजन और कीर्तन से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है. योगिनी एकादशी के दिन उपवास रखने और साधना करने से समस्याओं का अंत हो जाता है. यहां तक कि पीपल का पेड़ काटने का पाप भी इस एकादशी पर नष्ट हो जाता है.

yogini ekadashi 2022
योगिनी एकादशी
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Published : Jun 24, 2022, 7:12 AM IST

हल्द्वानी: हिंदू धर्म में एकादशी का बड़ा ही महत्व होता है. हर माह में दो एकादशी तिथि पड़ती हैं. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. ये एकादशी पापों के प्रायश्चित के लिए विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. जो भी भक्त इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा कर व्रत रखता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. मान्यता है कि योगिनी एकादशी व्रत करने से मृत्यु के बाद नरक लोक में कष्टों को नहीं भोगना पड़ता है. भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती.

योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार योगिनी एकादशी 23 जून रात्रि से शुरू होकर 24 जून रात्रि 11:12 तक रहेगी. व्रत का पारायण 25 जून सूर्य उदय के साथ समापन होगा. इस बार योगिनी एकादशी का स्वार्थ योग और सिद्धि योग बन रहा है, जो पूजा की दृष्टि से बेहद लाभकारी रहेंगे. ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक 24 जून दिन शुक्रवार को योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा.

योगिनी एकादशी की मान्यता: शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की उपासना और व्रत करने से सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने से निसंतान लोगों को संतान की प्राप्ति होती है. यश कीर्ति में वृद्धि होती है और जीवन समृद्ध होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि प्राचीन काल में राजा नहुष और अम्बरीष ने एकादशी का व्रत किया, जिससे उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ था. इस दिन व्रत गौ-दान करने से पुण्य प्राप्ति होती है. मान्यता है कि योगिनी एकादशी व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोज कराने के बराबर की पुण्य की प्राप्ति होती है.
ये भी पढ़ें: Chardham Yatra: श्रद्धालुओं की संख्या 23.40 लाख के पार, अब तक 191 यात्रियों की मौत

योगिनी एकादशी में ये करें: एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर निवृत्त होकर दिनभर व्रत और श्रद्धा अनुसार दान का संकल्प लें. विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्नान कराने के बाद प्रतिमा के आगे घी का दिया जलाएं. भगवान को गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजा सामग्री के साथ गुड़ चने का प्रसाद चढ़ाएं. भगवान विष्णु की कथा सुनें. इस दिन दान कर्म करना बहुत कल्याणकारी माना जाता है. भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ पीपल के वृक्ष की पूजा करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है.

हल्द्वानी: हिंदू धर्म में एकादशी का बड़ा ही महत्व होता है. हर माह में दो एकादशी तिथि पड़ती हैं. आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. ये एकादशी पापों के प्रायश्चित के लिए विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. जो भी भक्त इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा कर व्रत रखता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं. मान्यता है कि योगिनी एकादशी व्रत करने से मृत्यु के बाद नरक लोक में कष्टों को नहीं भोगना पड़ता है. भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती.

योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार योगिनी एकादशी 23 जून रात्रि से शुरू होकर 24 जून रात्रि 11:12 तक रहेगी. व्रत का पारायण 25 जून सूर्य उदय के साथ समापन होगा. इस बार योगिनी एकादशी का स्वार्थ योग और सिद्धि योग बन रहा है, जो पूजा की दृष्टि से बेहद लाभकारी रहेंगे. ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक 24 जून दिन शुक्रवार को योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा.

योगिनी एकादशी की मान्यता: शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की उपासना और व्रत करने से सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने से निसंतान लोगों को संतान की प्राप्ति होती है. यश कीर्ति में वृद्धि होती है और जीवन समृद्ध होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि प्राचीन काल में राजा नहुष और अम्बरीष ने एकादशी का व्रत किया, जिससे उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ था. इस दिन व्रत गौ-दान करने से पुण्य प्राप्ति होती है. मान्यता है कि योगिनी एकादशी व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोज कराने के बराबर की पुण्य की प्राप्ति होती है.
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योगिनी एकादशी में ये करें: एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर निवृत्त होकर दिनभर व्रत और श्रद्धा अनुसार दान का संकल्प लें. विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्नान कराने के बाद प्रतिमा के आगे घी का दिया जलाएं. भगवान को गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजा सामग्री के साथ गुड़ चने का प्रसाद चढ़ाएं. भगवान विष्णु की कथा सुनें. इस दिन दान कर्म करना बहुत कल्याणकारी माना जाता है. भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ पीपल के वृक्ष की पूजा करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है.

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