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राम भरोसे कुमाऊं के आयुर्वेदिक अस्पताल, 36 में से 17 किराए के भवनों से हो रहे संचालित

नैनीताल में 36 आयुर्वेदिक अस्पतालों में से 17 अस्पताल किराए के भवनों में चल रहे हैं. अस्पतालों के भवन भी जर्जर हो चुके हैं. आयुर्वेदिक अस्पताल भी शहर से इतनी दूर हैं कि जनता को इन अस्पतालों का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है.

राम भरोसे कुमाऊं के आयुर्वेदिक अस्पताल
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Published : Feb 18, 2019, 5:48 PM IST

हल्द्वानी: राज्य सरकार प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और व्यवस्थाओं का दावा करती है, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही है. इसका उदाहरण कुमाऊं के सबसे ज्यादा आबादी वाले नैनीताल जिले में देखने को मिला है. यहां राज्य का आयुर्वेदिक विभाग बदहाली में गुजर रहा है. आयुर्वेदिक अस्पतालों की दुर्दशा के बाद भी विभाग द्वारा कोई एक्शन प्लान नहीं बनाया जा रहा है.

पढे़ं- उत्तरकाशीः DM ने शहीद मोहन लाल के गांव पहुंचकर दी श्रद्धांजलि, ग्रामीणों ने मुंहतोड़ जवाब देने की मांग

बता दें, नैनीताल में 36 आयुर्वेदिक अस्पतालों में से 17 अस्पताल किराए के भवनों में चल रहे हैं. अस्पतालों के भवन भी जर्जर हो चुके हैं. आयुर्वेदिक अस्पताल भी शहर से इतनी दूर हैं कि जनता को इन अस्पतालों का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है. इसके साथ ही जिले के आयुर्वेदिक अस्पतालों में डॉक्टरों के 12 पद भी खाली हैं. ऐसे में आयुर्वेद विभाग राम भरोसे चल रहा है.

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राम भरोसे कुमाऊं के आयुर्वेदिक अस्पताल
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इस मामले में जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी एमएस गुंजियाल का कहना है कि अस्पतालों को भूमि दिलवाकर निर्माण कराए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है. इस बारे में उच्चाधिकारियों से बात की जा रही है.

कुमाऊं की सबसे ज्यादा आबादी वाले नैनीताल जिले में दर्जनों आयुर्वेदिक अस्पताल होने के बावजूद लोगों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है. सरकार लगातार आयुर्वेद की बढ़ावा देने की बात कर रही है लेकिन जब विभाग ही बदहाल हो तो मरीजों को कैसे इलाज होगा.

हल्द्वानी: राज्य सरकार प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और व्यवस्थाओं का दावा करती है, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही है. इसका उदाहरण कुमाऊं के सबसे ज्यादा आबादी वाले नैनीताल जिले में देखने को मिला है. यहां राज्य का आयुर्वेदिक विभाग बदहाली में गुजर रहा है. आयुर्वेदिक अस्पतालों की दुर्दशा के बाद भी विभाग द्वारा कोई एक्शन प्लान नहीं बनाया जा रहा है.

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बता दें, नैनीताल में 36 आयुर्वेदिक अस्पतालों में से 17 अस्पताल किराए के भवनों में चल रहे हैं. अस्पतालों के भवन भी जर्जर हो चुके हैं. आयुर्वेदिक अस्पताल भी शहर से इतनी दूर हैं कि जनता को इन अस्पतालों का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है. इसके साथ ही जिले के आयुर्वेदिक अस्पतालों में डॉक्टरों के 12 पद भी खाली हैं. ऐसे में आयुर्वेद विभाग राम भरोसे चल रहा है.

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इस मामले में जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी एमएस गुंजियाल का कहना है कि अस्पतालों को भूमि दिलवाकर निर्माण कराए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है. इस बारे में उच्चाधिकारियों से बात की जा रही है.

कुमाऊं की सबसे ज्यादा आबादी वाले नैनीताल जिले में दर्जनों आयुर्वेदिक अस्पताल होने के बावजूद लोगों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है. सरकार लगातार आयुर्वेद की बढ़ावा देने की बात कर रही है लेकिन जब विभाग ही बदहाल हो तो मरीजों को कैसे इलाज होगा.

Intro:सलग- बदहाल आयुर्वेदिक विभाग
रिपोर्टर भावनाथ पंडित
एंकर- राज्य का आयुर्वेदिक विभाग बदहाली में गुजर रहा है विभाग के अस्पतालों की दशा खराब होने के बावजूद भी विभाग कोई एक्शन प्लान नहीं बना रहा है।


Body:बात अगर नैनीताल जिले की जाए तो नैनीताल जिले में 36 आयुर्वेदिक अस्पतालों में से 17 आयुर्वेदिक अस्पताल किराए के जर्जर भवन में चल रहे हैं और वह भी आबादी याद शहर से दूर इलाकों में है ।जहां जनता को इन अस्पतालों को पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है ।इसके अलावा जिले के आयुर्वेदिक अस्पतालों में 12 डॉक्टरो के पद भी खाली हैं ऐसे में आयुर्वेद विभाग राम भरोसे चल रहा है।


Conclusion:वही इस पूरे मामले में जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी एम एस गुंजियाल का कहना है कि उनके अस्तर पर लगातार अस्पतालों को भूमि दिलवाकर निर्माण कराए जाने का प्रस्ताव भेजा जा रहा है और इस विषय में शासन से भी बात की जा रही है। गौरतलब है कि कुमाऊ की सबसे ज्यादा आबादी वाले नैनीताल जिले में दर्जनों आयुर्वेदिक अस्पताल होने के बावजूद लोगों को उस अपेक्षा से लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरकार लगातार आयुर्वेद की बढ़ावा देने की बात कर रही है लेकिन जब विभाग ही बदल हो तो मरीजों को कैसे इलाज होगा।
बाइट-- एमएफ गुंजियाल जिला आयुर्वेदिक यूनानी अधिकारी
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