हल्द्वानी: राज्य सरकार प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और व्यवस्थाओं का दावा करती है, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही है. इसका उदाहरण कुमाऊं के सबसे ज्यादा आबादी वाले नैनीताल जिले में देखने को मिला है. यहां राज्य का आयुर्वेदिक विभाग बदहाली में गुजर रहा है. आयुर्वेदिक अस्पतालों की दुर्दशा के बाद भी विभाग द्वारा कोई एक्शन प्लान नहीं बनाया जा रहा है.
बता दें, नैनीताल में 36 आयुर्वेदिक अस्पतालों में से 17 अस्पताल किराए के भवनों में चल रहे हैं. अस्पतालों के भवन भी जर्जर हो चुके हैं. आयुर्वेदिक अस्पताल भी शहर से इतनी दूर हैं कि जनता को इन अस्पतालों का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है. इसके साथ ही जिले के आयुर्वेदिक अस्पतालों में डॉक्टरों के 12 पद भी खाली हैं. ऐसे में आयुर्वेद विभाग राम भरोसे चल रहा है.
इस मामले में जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारी एमएस गुंजियाल का कहना है कि अस्पतालों को भूमि दिलवाकर निर्माण कराए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है. इस बारे में उच्चाधिकारियों से बात की जा रही है.
कुमाऊं की सबसे ज्यादा आबादी वाले नैनीताल जिले में दर्जनों आयुर्वेदिक अस्पताल होने के बावजूद लोगों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है. सरकार लगातार आयुर्वेद की बढ़ावा देने की बात कर रही है लेकिन जब विभाग ही बदहाल हो तो मरीजों को कैसे इलाज होगा.