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तबादला एक्ट पर विपक्ष ने उठाए सवाल, बदलाव की मांग

शिक्षा सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि तबादलों में स्थानांतरण अधिनियम के उल्लंघन के प्रकरण सामने नहीं आए हैं बल्कि स्थानांतरण अधिनियम के अधीन जो ट्रांसफर हुए हैं उसमें कुछ विसंगतियां सामने आयी हैं.

जल्द हो सकता है तबादला एक्ट में संसोधन.
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Published : Jul 14, 2019, 12:08 AM IST

देहरादून: पिछले साल प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को तबादले का कानूनी अधिकार मिल गया था. जिसके अनुसार ही प्रदेश के सभी विभागों में तबादला एक्ट लागू किया गया था, लेकिन मौजूदा समय में तबादला एक्ट में त्रुटियों के चलते कर्मचारियों के तबादले में काफी दिक्कतें सामने आ रही हैं. जिसके चलते शिक्षकों के तबादले नहीं हो पाए हैं. जिस कारण पहाड़ के तमाम स्कूलों में शिक्षकों की कमी है.

प्रदेश में काम कर रहे लाखों कर्मचारियों को दुर्गम से सुगम और सुगम से दुर्गम क्षेत्रों में तबादले को लेकर पिछले साल बनाये गये तबादला कानून में कई खामियां सामने आ रही हैं. हालांकि पिछले साल तबादला कानून बनने के बाद तमाम कर्मचारियों के तबादले किये गए थे. इस साल शिक्षकों को तबादले के दौरान तबादला एक्ट में तमाम तरह की खामियां देखने को मिल रही हैं. यही नहीं तबादला एक्ट में त्रुटियों के चलते प्रदेश के पहाड़ी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था लड़खड़ाती नजर आ रही है.

जल्द हो सकता है तबादला एक्ट में संसोधन.

शिक्षा सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि तबादलों में स्थानांतरण अधिनियम के उल्लंघन के प्रकरण सामने नहीं आए हैं बल्कि स्थानांतरण अधिनियम के अधीन जो ट्रांसफर हुए हैं, उसमें कुछ विसंगतियां सामने आयी हैं. वहीं तबादला एक्ट में त्रुटियों के चलते विपक्षी पार्टियां अब सियासत पर उतर आयी हैं. भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि सरकार ने जो तबादला नीति बनाई है वह बिल्कुल सही है और उसी हिसाब से ही कार्य हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुछ विषय शिकायत के रूप में आते हैं जिनका निस्तारण भी किया जा रहा है.

इस मामले पर बोलते हुए कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि तबादला एक्ट में कई ऐसी चीजें हैं जिसे संशोधित किये जाने की जरुरत है. उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जब संविधान में संशोधन हो सकता है तो एक एक्ट संशोधन करने में क्या दिक्कत है ? धस्माना ने कहा कि कर्मचारियों के हितों से बीजेपी सरकार पीछे भाग रही है.

देहरादून: पिछले साल प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को तबादले का कानूनी अधिकार मिल गया था. जिसके अनुसार ही प्रदेश के सभी विभागों में तबादला एक्ट लागू किया गया था, लेकिन मौजूदा समय में तबादला एक्ट में त्रुटियों के चलते कर्मचारियों के तबादले में काफी दिक्कतें सामने आ रही हैं. जिसके चलते शिक्षकों के तबादले नहीं हो पाए हैं. जिस कारण पहाड़ के तमाम स्कूलों में शिक्षकों की कमी है.

प्रदेश में काम कर रहे लाखों कर्मचारियों को दुर्गम से सुगम और सुगम से दुर्गम क्षेत्रों में तबादले को लेकर पिछले साल बनाये गये तबादला कानून में कई खामियां सामने आ रही हैं. हालांकि पिछले साल तबादला कानून बनने के बाद तमाम कर्मचारियों के तबादले किये गए थे. इस साल शिक्षकों को तबादले के दौरान तबादला एक्ट में तमाम तरह की खामियां देखने को मिल रही हैं. यही नहीं तबादला एक्ट में त्रुटियों के चलते प्रदेश के पहाड़ी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था लड़खड़ाती नजर आ रही है.

जल्द हो सकता है तबादला एक्ट में संसोधन.

शिक्षा सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि तबादलों में स्थानांतरण अधिनियम के उल्लंघन के प्रकरण सामने नहीं आए हैं बल्कि स्थानांतरण अधिनियम के अधीन जो ट्रांसफर हुए हैं, उसमें कुछ विसंगतियां सामने आयी हैं. वहीं तबादला एक्ट में त्रुटियों के चलते विपक्षी पार्टियां अब सियासत पर उतर आयी हैं. भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि सरकार ने जो तबादला नीति बनाई है वह बिल्कुल सही है और उसी हिसाब से ही कार्य हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुछ विषय शिकायत के रूप में आते हैं जिनका निस्तारण भी किया जा रहा है.

इस मामले पर बोलते हुए कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि तबादला एक्ट में कई ऐसी चीजें हैं जिसे संशोधित किये जाने की जरुरत है. उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जब संविधान में संशोधन हो सकता है तो एक एक्ट संशोधन करने में क्या दिक्कत है ? धस्माना ने कहा कि कर्मचारियों के हितों से बीजेपी सरकार पीछे भाग रही है.

Intro:पिछले साल प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को तबादले का कानूनी अधिकार मिल गया था। जिसके अनुसार ही प्रदेश के सभी विभागों में तबादला एक्ट लागू किया गया था। लेकिन मौजूदा समय मे तबादला एक्ट में त्रुटियों के चलते कर्मचारियों के तबादले में काफी दिक्कतें सामने आ रही है। लिहाजा प्रदेश के तमाम शिक्षकों के तबादले होने थे, लेकिन एक्ट में त्रुटियों के चलते तबादले तो नही हो पाए जिसके चलते पहाड़ो में बने तमाम स्कूलों के बच्चों को दिक्कतों का सामना पड़ रहा है। 


Body:प्रदेश में काम कर रहे लाखो कर्मचारियों को दुर्गम से सुगम और सुगम से दुर्गम क्षेत्रो में तबादले को लेकर पिछले साल बनाया गया तबादला कानून में कई खामियां भी सामने आयी है। हालांकि पिछले साल तबादला कानून बनने के बाद तमाम कर्मचारियों के धरल्ले से तबादले किये गए थे लेकिन इस साल शिक्षकों को तबादले के दौरान तबादले एक्ट में तमाम तरह की खामियां देखने को मिल रही है। यही नही तबादला एक्ट में त्रुटियों के चलते प्रदेश के पहाड़ी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था लड़खड़ाती नज़र आ रही है। 


सचिन मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि तबादलों में स्थानांतरण अधिनियम के उल्लंघन के प्रकरण सामने नहीं आए हैं बल्कि स्थानांतरण अधिनियम के अधीन जो ट्रांसेस हुए हैं उसमें कुछ विसंगतियां सामने आयी है। जिसको देखा जा रहा है क्योंकि स्थानांतरण अधिनियम में शिक्षकों की जो अधिकार है दुर्गम से सुगम में सेवाएं कर दिए जाएं। हालांकि व्यवस्था को चलाने के लिए कुछ कठिनाइयां जरूर होती हैं जिस वजह से अधिनियम के अंदर जो व्यवस्था है उसी में धारा 27 के अंतर्गत मुख्य सचिव की अध्यक्षता कमेटी में जा सकते है। जिसका प्रस्ताव बनाया जा रहा है। तब तक कुछ जगहों पर स्थानांतरण को स्थगित रखने का आदेश जारी किया है।

बाइट - मीनाक्षी सुंदरम, सचिव


तो वही तबादला एक्ट में त्रुटियों के चलते प्रदेश की सत्ता पर काबिज रही पार्टियां अब राजनीतिक सियासत पर उतर आयी है। भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि सरकार ने जो तबादला नीति बनाई है वह बिल्कुल सही है और उसी हिसाब से ही कार्य हो रहे हैं लेकिन कुछ विषय शिकायत के रूप में आते हैं और उसका निस्तारण भी किया जाता है। साथ ही कहा कि जो आदेश कर दिए गए हैं। उसी हिसाब से कार्यवाही होनी है और बच्चों को शिक्षा मिले, इसीलिए तबादला नीति बनाई गई है और नीति ना होने की वजह से ही कई बार देखा गया है, कि शिक्षकों की आवश्यकता के बावजूद कहीं- कहीं कम तो कही-कही ज्यादा शिक्षक देखे गए हैं। और इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए तबादला नीति लायी गई है।

बाइट - देवेंद्र भसीन, प्रदेश मीडिया प्रभारी, भाजपा


वही कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि तबादला एक्ट में कई ऐसी चीजें हैं जिसको संशोधित करना चाहिए, क्योंकि कई चीजें जरूरी है लेकिन एक्ट में प्रावधान नहीं है और कुछ चीजें ऐसी हैं जो जरूरी नहीं है उसका एक्ट में प्रावधान है जिस वजह से इसमें संशोधन होना चाहिए। साथ ही सरकार पर हमला करते हुए बताया कि जब संविधान संशोधन हो सकता है तो एक एक्ट संशोधन करने में क्या दिक्कत है लेकिन जो कर्मचारी की सुविधा के लिए कोई संशोधन करना पड़े, तो सरकार को पीछे नहीं हटना चाहिए। 

बाइट - सूर्यकांत धस्माना, प्रदेश उपाध्यक्ष, कांग्रेस


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