देहरादून: पिछले साल प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को तबादले का कानूनी अधिकार मिल गया था. जिसके अनुसार ही प्रदेश के सभी विभागों में तबादला एक्ट लागू किया गया था, लेकिन मौजूदा समय में तबादला एक्ट में त्रुटियों के चलते कर्मचारियों के तबादले में काफी दिक्कतें सामने आ रही हैं. जिसके चलते शिक्षकों के तबादले नहीं हो पाए हैं. जिस कारण पहाड़ के तमाम स्कूलों में शिक्षकों की कमी है.
प्रदेश में काम कर रहे लाखों कर्मचारियों को दुर्गम से सुगम और सुगम से दुर्गम क्षेत्रों में तबादले को लेकर पिछले साल बनाये गये तबादला कानून में कई खामियां सामने आ रही हैं. हालांकि पिछले साल तबादला कानून बनने के बाद तमाम कर्मचारियों के तबादले किये गए थे. इस साल शिक्षकों को तबादले के दौरान तबादला एक्ट में तमाम तरह की खामियां देखने को मिल रही हैं. यही नहीं तबादला एक्ट में त्रुटियों के चलते प्रदेश के पहाड़ी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था लड़खड़ाती नजर आ रही है.
शिक्षा सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि तबादलों में स्थानांतरण अधिनियम के उल्लंघन के प्रकरण सामने नहीं आए हैं बल्कि स्थानांतरण अधिनियम के अधीन जो ट्रांसफर हुए हैं, उसमें कुछ विसंगतियां सामने आयी हैं. वहीं तबादला एक्ट में त्रुटियों के चलते विपक्षी पार्टियां अब सियासत पर उतर आयी हैं. भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि सरकार ने जो तबादला नीति बनाई है वह बिल्कुल सही है और उसी हिसाब से ही कार्य हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुछ विषय शिकायत के रूप में आते हैं जिनका निस्तारण भी किया जा रहा है.
इस मामले पर बोलते हुए कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि तबादला एक्ट में कई ऐसी चीजें हैं जिसे संशोधित किये जाने की जरुरत है. उन्होंने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जब संविधान में संशोधन हो सकता है तो एक एक्ट संशोधन करने में क्या दिक्कत है ? धस्माना ने कहा कि कर्मचारियों के हितों से बीजेपी सरकार पीछे भाग रही है.