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'यमदूत' बनकर सड़कों पर दौड़ रहीं उत्तराखंड रोडवेज की बसें, 'सफर' कर रहे लोग

उत्तराखंड रोडवेज बसों की हालत अत्यंत जर्जर है. विभाग एक ओर घाटे का रोना रो रहा है, दूसरी ओर रिटायर्ड हो चुकी बसों में जान जोखिम में डालकर लोग यात्रा करने को मजबूर हैं.

उत्तराखंड रोडवेज की बसें
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Published : Jul 13, 2019, 10:39 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड रोडवेज बसों में आप सफर करते हैं या सफर करने की सोच रहे हैं तो सावधान. इस बात को ध्यान में रखें कि आपके साथ कभी भी कोई भी दुर्घटना घट सकती है. ऐसा भी हो सकता है कि आप अपने मंजिल तक सुरक्षित न पहुंच पाएं. यह बात हम यूं ही नहीं बल्कि इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि उत्तराखंड रोडवेज की बसें तकनीकी रूप से इस कदर खस्ताहाल हैं जो अपने गंतव्य तक पहुंचने से पहले कहीं भी दुर्घटना की शिकार हो सकती हैं.

मौत के साये में चल रहीं हैं उत्तराखंड रोडवेज की बसें

लंबे समय से बदहाल जर्जर हालत में इन बसों का संचालन खतरों के सफर के रूप में हो रहा है. इसके बावजूद परिवहन विभाग घाटे का रोना रोकर लापरवाह बना हुआ है. ईटीवी भारत की पड़ताल में बस चालकों से पता चला कि वो किस तरह तकनीकी रूप से पूरी तरह रिटायर्ड हो चुकी बसों को जान जोखिम में डालकर यात्रियों को खतरे की सवारी कराने को मजबूर हैं.

देहरादून के आईएसबीटी से रोजाना सवारियों को दिल्ली, हिमाचल, उत्तर प्रदेश सहित अलग-अलग राज्य के अन्य हिस्सों में जाने वाली खस्ताहाल बसों के जहां टायर पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं तो कुछ बसों के इंजन और बॉडी पूरी तरह से जर्जर हालत में हैं.

इतना ही नहीं लंबी यात्रा वाली ये बसें अपनी तय सीमा 10 लाख किलोमीटर का सफर पूरा करने के बाद 11 से 14 लाख किलोमीटर की हालत में दयनीय स्थिति में खतरे की जद में संचालित हो रही हैं. रोडवेज बसों की हालत यह है कि बसें कब और कहां किस दशा में बंद होकर खड़ी हो जाएं इसका कोई पता नहीं है.

वहीं देहरादून से दिल्ली रूट पर चलने वाले अर्जुन सिंह ड्राइवर ने बताया कि आये दिन बसें रात के समय जंगलों में खराब होकर खड़ी हो जाती हैं, जिसके बाद यात्रियों की जान माल की सुरक्षा उनके लिए मुसीबत बन जाती है. नीलामी की हद पार कर चुकी बसों को लेकर किसी भी तरह से विभागीय सुनवाई न होने के चलते भगवान भरोसे चल रही हैं.

यह भी पढ़ेंः भूस्खलन से गंगोत्री हाइवे और दुकानों पर बढ़ा खतरा, सुक्की टॉप का निरीक्षण कर भू वैज्ञानिकों सौंपी रिपोर्ट

उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों की हालत कई तरह से खतरों को न्योता दे रही हैं. बसों की छत जर्जर हालत होने के चलते बरसात में पानी यात्रियों के ऊपर गिरता है. वहीं वाहनों के इंजन से लेकर बसों की बॉडी कई जगह से इतनी गल चुकी है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

उत्तराखंड की बसों की दुर्दशा को लेकर उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के चालक व परिचालकों का कहना है कि इतनी खराब हालत उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भी नहीं है. उत्तराखंड की बसें आए दिन रास्ते में चलते-चलते खराब हो जाती हैं.

जिसके लिए कोई मरम्मत की व्यवस्था भी विभाग द्वारा नहीं दी जाती. उत्तर प्रदेश के चालकों का कहना है कि उत्तराखंड की बसें जिस तरह से खतरे की जद में यात्रियों को लेकर सड़कों पर दौड़ाई जाती हैं वह अपने आप में बहुत बड़ा गंभीर विषय है.

देहरादूनः उत्तराखंड रोडवेज बसों में आप सफर करते हैं या सफर करने की सोच रहे हैं तो सावधान. इस बात को ध्यान में रखें कि आपके साथ कभी भी कोई भी दुर्घटना घट सकती है. ऐसा भी हो सकता है कि आप अपने मंजिल तक सुरक्षित न पहुंच पाएं. यह बात हम यूं ही नहीं बल्कि इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि उत्तराखंड रोडवेज की बसें तकनीकी रूप से इस कदर खस्ताहाल हैं जो अपने गंतव्य तक पहुंचने से पहले कहीं भी दुर्घटना की शिकार हो सकती हैं.

मौत के साये में चल रहीं हैं उत्तराखंड रोडवेज की बसें

लंबे समय से बदहाल जर्जर हालत में इन बसों का संचालन खतरों के सफर के रूप में हो रहा है. इसके बावजूद परिवहन विभाग घाटे का रोना रोकर लापरवाह बना हुआ है. ईटीवी भारत की पड़ताल में बस चालकों से पता चला कि वो किस तरह तकनीकी रूप से पूरी तरह रिटायर्ड हो चुकी बसों को जान जोखिम में डालकर यात्रियों को खतरे की सवारी कराने को मजबूर हैं.

देहरादून के आईएसबीटी से रोजाना सवारियों को दिल्ली, हिमाचल, उत्तर प्रदेश सहित अलग-अलग राज्य के अन्य हिस्सों में जाने वाली खस्ताहाल बसों के जहां टायर पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं तो कुछ बसों के इंजन और बॉडी पूरी तरह से जर्जर हालत में हैं.

इतना ही नहीं लंबी यात्रा वाली ये बसें अपनी तय सीमा 10 लाख किलोमीटर का सफर पूरा करने के बाद 11 से 14 लाख किलोमीटर की हालत में दयनीय स्थिति में खतरे की जद में संचालित हो रही हैं. रोडवेज बसों की हालत यह है कि बसें कब और कहां किस दशा में बंद होकर खड़ी हो जाएं इसका कोई पता नहीं है.

वहीं देहरादून से दिल्ली रूट पर चलने वाले अर्जुन सिंह ड्राइवर ने बताया कि आये दिन बसें रात के समय जंगलों में खराब होकर खड़ी हो जाती हैं, जिसके बाद यात्रियों की जान माल की सुरक्षा उनके लिए मुसीबत बन जाती है. नीलामी की हद पार कर चुकी बसों को लेकर किसी भी तरह से विभागीय सुनवाई न होने के चलते भगवान भरोसे चल रही हैं.

यह भी पढ़ेंः भूस्खलन से गंगोत्री हाइवे और दुकानों पर बढ़ा खतरा, सुक्की टॉप का निरीक्षण कर भू वैज्ञानिकों सौंपी रिपोर्ट

उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों की हालत कई तरह से खतरों को न्योता दे रही हैं. बसों की छत जर्जर हालत होने के चलते बरसात में पानी यात्रियों के ऊपर गिरता है. वहीं वाहनों के इंजन से लेकर बसों की बॉडी कई जगह से इतनी गल चुकी है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

उत्तराखंड की बसों की दुर्दशा को लेकर उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के चालक व परिचालकों का कहना है कि इतनी खराब हालत उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भी नहीं है. उत्तराखंड की बसें आए दिन रास्ते में चलते-चलते खराब हो जाती हैं.

जिसके लिए कोई मरम्मत की व्यवस्था भी विभाग द्वारा नहीं दी जाती. उत्तर प्रदेश के चालकों का कहना है कि उत्तराखंड की बसें जिस तरह से खतरे की जद में यात्रियों को लेकर सड़कों पर दौड़ाई जाती हैं वह अपने आप में बहुत बड़ा गंभीर विषय है.

Intro:summary_उत्तराखंड परिवहन की बसें हैं खतरों की सवारी, खस्ताहाल बसों को चलाने से डरते हैं चालक, मंजिल तक पहुँचना होता हैं हर रोज मुश्किल, लंबे समय से परिवहन विभाग बना हुआ है लापरवाह... अगर आप उत्तराखंड रोडवेज बसों में सफर करते हैं या सफर करने की सोच रहे हैं तो सावधान ...इस बात को ध्यान में रखें कि आपके साथ कभी भी कोई भी दुर्घटना घट सकती है, ऐसा भी हो सकता है कि आप अपने मंजिल तक सुरक्षित ना पहुंच पाए...यह बात हम यूं ही नहीं बल्कि इसलिए बता रहे हैं क्योंकि उत्तराखंड रोडवेज की तमाम बस में तकनीकी रूप से इस कदर खस्ताहाल में पड़ी है जो अपने गंतव्य में पहुँचने से पहले दिन-रात कहीं भी बसें खड़ी हो जाती हैं... लंबे समय बदहाल जर्जर हालत में इन बसों का संचालन खतरों के सफर के रूप में हो रहा हैं इसके बावजूद परिवहन विभाग घाटे का रोना रो लापरवाह बना हुआ है। ईटीवी भारत की पड़ताल में बस चालकों से पता चला कि वो किस तरह तकनीकी रूप से पूरी तरह रिटायर्ड हो चुकी बसों को जान जोखिम में डालकर यात्रियों ख़तरे की सवारी कराने को मजबूर है। one to one


Body:देहरादून के आईएसबीटी से रोजना सवारियों को दिल्ली,हिमाचल उत्तर प्रदेश सहित अलग अलग राज्य के अन्य हिस्सों में जाने वाली खस्ताहाल बसों के जहां टायर पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं तो कुछ बसों के इंजन और बॉडी पूरी तरह से जर्जर हालत में एक्सपायरी हो चुकी है। इतना ही नहीं लंबी यात्रा वाली यह बसें अपनी तय सीमा 10 लाख किलोमीटर का सफर पूरा करने के बाद 11 से 14 लाख किलोमीटर की हालत में दयनीय स्थिति में ख़तरे की जद में संचालित हो रही हैं। रोड़वेज की बसों की हालत यह की बसें कब और कहाँ किस दशा में बंद होकर खड़ी हो जाये इसका कोई पता नहीं हैं। वही देहरादून से दिल्ली रूट पर चलने वाले अर्जुन सिंह ड्राइवर कहते हैं आये दिन बसें रात के समय जंगलो में खराब हो खड़ी हो जाती जिसके बाद यात्रियों की जान माल की सुरक्षा उनके लिए मुसीबत बन जाती हैं। इतना ही नीलामी की हद पार कर चुकी बसें किसी तरह से विभागीय सुनवाई ना होने के चलते भगवान भरोसे चल रही हैं। कब रास्ते में क्या हो जाए यह कहना मुश्किल है। बाईट-अर्जुन चालक, उत्तराखंड परिवहन निगम बाईट-चालक, उत्तराखंड परिवहन निगम


Conclusion: उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों की हालत कई तरह से खतरों को न्योता दे रही है बसों की छत जर्जर हालत होने के चलते बरसात के मौसम में पानी यात्रियों के ऊपर गिरता है। वही वाहनों के इंजन से लेकर बसों की बॉडी कई जगह से इतनी गल चुकी है कि कभी भी चलते हुए बड़ा हादसा हो सकता है। उत्तर प्रदेश के परिचालकों ने भी बताई उत्तराखंड बसें सबकी जान जोखिम में डालकर चल रही है उधर उत्तराखंड की बसों की दुर्दशा को लेकर उत्तर प्रदेश परिवहन चालक परिचालकों का कहना है कि इतनी हालत उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भी नहीं उत्तराखंड की बसें आए दिन रास्ते में चलते चलते दिल्ली और यूपी के मार्गो खराब होने से खड़ी हो जाती है जिसके लिए कोई मरम्मत की व्यवस्था भी विभाग द्वारा नहीं दी जाती। उत्तर प्रदेश की चालकों का कहना है कि उत्तराखंड की बसें जिस तरह से खतरे की जद में यात्रियों को लेकर सड़कों पर दौड़ आई जाती है वह अपने आप में बहुत बड़ा गंभीर विषय है। बाइट- परिचालक,उत्तर प्रदेश परिवहन निगम one to one pls note_input_महोदय, यह किरण कांत शर्मा का मोजो मोबाइल हैं,जिसे मैं (परमजीत सिंह )इसे इस्तेमाल कर रहा हूं। मेरा मोजो मोबाइल खराब हो गया हैं, ऐसे मेरी स्टोरी इस मोजो से भेजी जा रही हैं.. ID 7200628
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