देहरादूनः उत्तराखंड रोडवेज बसों में आप सफर करते हैं या सफर करने की सोच रहे हैं तो सावधान. इस बात को ध्यान में रखें कि आपके साथ कभी भी कोई भी दुर्घटना घट सकती है. ऐसा भी हो सकता है कि आप अपने मंजिल तक सुरक्षित न पहुंच पाएं. यह बात हम यूं ही नहीं बल्कि इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि उत्तराखंड रोडवेज की बसें तकनीकी रूप से इस कदर खस्ताहाल हैं जो अपने गंतव्य तक पहुंचने से पहले कहीं भी दुर्घटना की शिकार हो सकती हैं.
लंबे समय से बदहाल जर्जर हालत में इन बसों का संचालन खतरों के सफर के रूप में हो रहा है. इसके बावजूद परिवहन विभाग घाटे का रोना रोकर लापरवाह बना हुआ है. ईटीवी भारत की पड़ताल में बस चालकों से पता चला कि वो किस तरह तकनीकी रूप से पूरी तरह रिटायर्ड हो चुकी बसों को जान जोखिम में डालकर यात्रियों को खतरे की सवारी कराने को मजबूर हैं.
देहरादून के आईएसबीटी से रोजाना सवारियों को दिल्ली, हिमाचल, उत्तर प्रदेश सहित अलग-अलग राज्य के अन्य हिस्सों में जाने वाली खस्ताहाल बसों के जहां टायर पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं तो कुछ बसों के इंजन और बॉडी पूरी तरह से जर्जर हालत में हैं.
इतना ही नहीं लंबी यात्रा वाली ये बसें अपनी तय सीमा 10 लाख किलोमीटर का सफर पूरा करने के बाद 11 से 14 लाख किलोमीटर की हालत में दयनीय स्थिति में खतरे की जद में संचालित हो रही हैं. रोडवेज बसों की हालत यह है कि बसें कब और कहां किस दशा में बंद होकर खड़ी हो जाएं इसका कोई पता नहीं है.
वहीं देहरादून से दिल्ली रूट पर चलने वाले अर्जुन सिंह ड्राइवर ने बताया कि आये दिन बसें रात के समय जंगलों में खराब होकर खड़ी हो जाती हैं, जिसके बाद यात्रियों की जान माल की सुरक्षा उनके लिए मुसीबत बन जाती है. नीलामी की हद पार कर चुकी बसों को लेकर किसी भी तरह से विभागीय सुनवाई न होने के चलते भगवान भरोसे चल रही हैं.
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उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों की हालत कई तरह से खतरों को न्योता दे रही हैं. बसों की छत जर्जर हालत होने के चलते बरसात में पानी यात्रियों के ऊपर गिरता है. वहीं वाहनों के इंजन से लेकर बसों की बॉडी कई जगह से इतनी गल चुकी है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
उत्तराखंड की बसों की दुर्दशा को लेकर उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के चालक व परिचालकों का कहना है कि इतनी खराब हालत उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भी नहीं है. उत्तराखंड की बसें आए दिन रास्ते में चलते-चलते खराब हो जाती हैं.
जिसके लिए कोई मरम्मत की व्यवस्था भी विभाग द्वारा नहीं दी जाती. उत्तर प्रदेश के चालकों का कहना है कि उत्तराखंड की बसें जिस तरह से खतरे की जद में यात्रियों को लेकर सड़कों पर दौड़ाई जाती हैं वह अपने आप में बहुत बड़ा गंभीर विषय है.