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केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन बोले- दून के बाद दिल्ली में स्थापित होगा प्लास्टिक वेस्ट से डीजल बनाने का प्लांट

राजधानी में प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीक के पहले रिसर्च प्लांट लगने के साथ ही इस क्षेत्र में सरकार और राज्य दोनों की जिम्मेदारी बढ़ गई है.देहरादून के रिस्पॉन्स के बाद दिल्ली में इसके व्यवसायिक प्लांट का स्थापना की जाएगी.

दून के बाद दिल्ली में स्थापित होगा प्लास्टिक वेस्ट से डीजल बनाने का प्लांट
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Published : Aug 27, 2019, 10:50 PM IST

देहरादून: राजधानी में प्लास्टिक से डीजल बनाने वाले देश के पहले रिसर्च प्लांट का मंगलवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने उद्घाटन किया. व्यवसायिक रूप में इस तकनीक के विस्तार में उत्तराखंड सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है. हालांकि, व्यवसायिक तौर पर सफल होने के लिए इस तकनीक को अभी लंबा समय लगेगा. लेकिन फिर भी इसे लेकर वन एवं पर्यावरण में काफी उत्साह देखने को मिला. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि देहरादून के रिस्पॉन्स के बाद दिल्ली में इसके व्यवसायिक प्लांट का स्थापना की जाएगी. जो कि पूरी दुनिया में एक मिसाल के तौर पर देखा जाएगा.

दून के बाद दिल्ली में स्थापित होगा प्लास्टिक वेस्ट से डीजल बनाने का प्लांट
उत्तराखंड राज्य पिछले कई सालों से प्लास्टिक की समस्या से जूझ रहा है. यंहा तक कि कई बार सरकारों सहित हाईकोर्ट ने भी प्लास्टिक को लेकर चिंता जाहिर कर चुका है. प्लास्टिक नियंत्रण को लेकर सरकार की कोई भी रणनीति धरातल पर नहीं उतर पायी है. ऐसे में IIP के वैज्ञानिकों की प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीक भविष्य में कारगर सिद्ध होने वाली है. इससे जहां प्लास्टिक से होने वाली समस्याओं से निजात मिलेगी वहीं दूसरी ओर पर्यावरण को भी इससे खासा फायदा मिलेगा.

पढ़ें-'मौत' को न्योता दे रहीं बेरहम सड़कें, सिस्टम को नहीं पड़ता कोई फर्क

राजधानी में प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीक के पहले रिसर्च प्लांट लगने के साथ ही इस क्षेत्र में सरकार और राज्य दोनों की जिम्मेदारी बढ़ गई है. देहरादून में अविष्कार की गई इस तकनीक का सबसे पहले प्रयोग देहरादून में ही होना है, ऐसे में देहरादून शहर पर ही निर्भर करता है कि ये तकनीक व्यवसायिक पटरी पर कितना दौड़ पाएगी. इसकी सफलता के लिए शहर का सहयोग और सरकार की इच्छाशक्ति सबसे पहली कड़ी है. यही कारण है कि केंद्रीय मंत्री ने भी साफ शब्दों में कहा कि कुछ ही महीनों में देहरादून में इस तकनीक के इस्तेमाल के बाद इसका व्यवसायिक प्लांट दिल्ली में स्थापित किया जाएगा. जिसे पूरी दुनिया में गजब का कॉन्सेप्ट प्रचारित होगा.

पढ़ें-कुमाऊं में इस जगह से था महात्मा गांधी को प्रेम, अब बदलेगी तस्वीर

कुल मिलाकर कहा जाये तो IIP के वैज्ञानिकों की मेहनत से देहरादून देश और दुनिया के नक्शे पर अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल होगा. इसके अलावा IIP के वैज्ञानिकों की इस तकनीक से राजधानी को फायदा मिलना लाजमी है. केंद्रीय मंत्री का कहना है कि राज्य की त्रिवेन्द्र सरकार इस तकनीकी को लेकर काफी गंभीर है. उन्होंने कहा कि कि आगामी कुछ महीनों में देहरादून शहर से मिले बेहतरीन रिस्पॉन्स के बाद दिल्ली में इस तकनीक का 10 टन क्षमता वाला व्यवसायिक प्लांट स्थापित किया जाएगा.

देहरादून: राजधानी में प्लास्टिक से डीजल बनाने वाले देश के पहले रिसर्च प्लांट का मंगलवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने उद्घाटन किया. व्यवसायिक रूप में इस तकनीक के विस्तार में उत्तराखंड सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है. हालांकि, व्यवसायिक तौर पर सफल होने के लिए इस तकनीक को अभी लंबा समय लगेगा. लेकिन फिर भी इसे लेकर वन एवं पर्यावरण में काफी उत्साह देखने को मिला. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि देहरादून के रिस्पॉन्स के बाद दिल्ली में इसके व्यवसायिक प्लांट का स्थापना की जाएगी. जो कि पूरी दुनिया में एक मिसाल के तौर पर देखा जाएगा.

दून के बाद दिल्ली में स्थापित होगा प्लास्टिक वेस्ट से डीजल बनाने का प्लांट
उत्तराखंड राज्य पिछले कई सालों से प्लास्टिक की समस्या से जूझ रहा है. यंहा तक कि कई बार सरकारों सहित हाईकोर्ट ने भी प्लास्टिक को लेकर चिंता जाहिर कर चुका है. प्लास्टिक नियंत्रण को लेकर सरकार की कोई भी रणनीति धरातल पर नहीं उतर पायी है. ऐसे में IIP के वैज्ञानिकों की प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीक भविष्य में कारगर सिद्ध होने वाली है. इससे जहां प्लास्टिक से होने वाली समस्याओं से निजात मिलेगी वहीं दूसरी ओर पर्यावरण को भी इससे खासा फायदा मिलेगा.

पढ़ें-'मौत' को न्योता दे रहीं बेरहम सड़कें, सिस्टम को नहीं पड़ता कोई फर्क

राजधानी में प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीक के पहले रिसर्च प्लांट लगने के साथ ही इस क्षेत्र में सरकार और राज्य दोनों की जिम्मेदारी बढ़ गई है. देहरादून में अविष्कार की गई इस तकनीक का सबसे पहले प्रयोग देहरादून में ही होना है, ऐसे में देहरादून शहर पर ही निर्भर करता है कि ये तकनीक व्यवसायिक पटरी पर कितना दौड़ पाएगी. इसकी सफलता के लिए शहर का सहयोग और सरकार की इच्छाशक्ति सबसे पहली कड़ी है. यही कारण है कि केंद्रीय मंत्री ने भी साफ शब्दों में कहा कि कुछ ही महीनों में देहरादून में इस तकनीक के इस्तेमाल के बाद इसका व्यवसायिक प्लांट दिल्ली में स्थापित किया जाएगा. जिसे पूरी दुनिया में गजब का कॉन्सेप्ट प्रचारित होगा.

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कुल मिलाकर कहा जाये तो IIP के वैज्ञानिकों की मेहनत से देहरादून देश और दुनिया के नक्शे पर अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल होगा. इसके अलावा IIP के वैज्ञानिकों की इस तकनीक से राजधानी को फायदा मिलना लाजमी है. केंद्रीय मंत्री का कहना है कि राज्य की त्रिवेन्द्र सरकार इस तकनीकी को लेकर काफी गंभीर है. उन्होंने कहा कि कि आगामी कुछ महीनों में देहरादून शहर से मिले बेहतरीन रिस्पॉन्स के बाद दिल्ली में इस तकनीक का 10 टन क्षमता वाला व्यवसायिक प्लांट स्थापित किया जाएगा.

Intro:एंकर- प्लास्टिक से डीजल बनाने वाली तकनीक पर पायलेट प्रोजेक्ट तौर पर आज पहले 1 टन क्षमता वाले प्लान की शुरुआत देहरादून में की गई लेकिन व्यवसायिक रूप में इस तकनीकी के विस्तार में उत्तराखंड सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि देहरादून के रिस्पॉन्स के बाद दिल्ली में इसका व्यावहारिक प्लांट स्थापित किया जाएगा जो कि पूरी दुनिया में एक मिशाल के तौर पर देखा जाएगा।


Body:वीओ- भारतीय पेट्रोलियम संस्थान द्वारा आज देश के पहले प्लास्टिक से डीजल बनाने वाले प्लांट की स्थापना तो कर दी गई है लेकिन देश में व्यवसायिक तौर पर उतरने के लिए इस तकनीक को लंबा समय अभी तय करना बाकी है। तो वहीं अब प्लास्टिक से डीजल बनाने वाले इस प्लांट की स्थपना देहरादून में होने के बाद देहरादून शहर के साथ साथ उत्तराखंड सरकार की भी महत्वपूर्ण भूमिका बन गयी है।

हम जानते हैं कि उत्तराखंड राज्य पिछले कई सालों से प्लास्टिक की समस्या से जूझ रहा है। यंहा तक कि कई बार सरकारों सहित हाईकोर्ट ने भी प्लास्टिक लेकर चिंता जाता चुका है। लेकिन आज तक प्लास्टिक नियंत्रण को लेकर कोइ कारगर रणनीति सरकार द्वारा धरातल पर नही उतर पायी है। खुद etv भारत द्वारा भी अपनी खबरों के माध्यम से लगातार शहर में जड़े मजबूत कर रहे प्लास्टिक पर सरकार का ध्यान आकर्षण किया गया है।

अब ऐसे में देहरादून में स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान द्वारा प्लास्टिक से डीजल बनाने को लेकर किया गया ये नायाब अविष्कार एक तरह से उत्तराखंड के लिए किसी फरिश्ते से कम नही है तो वहीं अब देहरादून शहर पर भी इस तकनीक के सफल होने का पूरा दारोमदार है। यानी देहरादून में अविष्कार की गई इस तकनीक का सबसे पहले प्रयोग देहरादून पर ही होना है और देहरादून शहर पर ही निर्भर करता है कि ये तकनीक व्यवसायिक पटरी पर दौड़ पाएगी की नही जिसके लिए शहर का सहयोग और सरकार की इच्छाशक्ति सबसे पहली कड़ी है। यही वजह के की केंद्रीय मंत्री ने भी साफ शब्दों में कहा कि साल छः महीने देहरादून शहर में प्रयोग के बाद प्लास्टिक से डीजल बनाने वाले वव्यसायिक प्लांट की स्थापना दिल्ली में कई जाएगी जंहा से पूरी दुनिया मे यह गजब का कॉन्सेप्ट प्रचारित प्रसारित हो पायेगा।

कुल मिलाकर बात इतनी है कि या तो ये प्लास्टिक से डीजल बनाने वाली यह तकनीक प्लास्टिक नियंत्रण के क्षेत्र में देहरादून शहर की कायापलट कर देगी या फिर देहरादून शहर इस तकनीक के सफर को और मुश्किल कर देगा। बाहरहाल केंद्रीय मंत्री का कहना है कि राज्य की त्रिवेन्द्र सरकार इस तकनीकी से काफी आकर्षित है और पेट्रोलियम संस्थान में लागये गए इस प्लांट को।लेकर काफी गंभीर है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री ने कहा कि आगामी कुछ महीनों में देहरादून शहर में इस तकनीक का बेहतरीन रिस्पॉन्स मिलने के बाद केंद्र सरकार इस प्लांट का देश की राजधानी में एक 10 टन क्षमता वाला व्यवसायिक प्लांट स्थापित करेगी जो कि पूरी दुनिया के लिए मिशाल का काम करेगा।

बाइट- डॉ हर्षवर्द्धन, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री


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