देहरादून: देहरादून पेट्रोलियम संस्थान अब वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने वाली बेमिसाल तकनीक दुनिया के सामने लेकर आया है. आईआईपी की इस तकनीक से सबसे पहले एक टन वेस्ट प्लास्टिक का प्रयोग कर 800 लीटर डीजल बनाया जाएगा. इसके लिए देश के पहले रिसर्च प्लांट का मंगलवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने उद्घाटन किया.
देहरादून मोकहमपुर स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में पिछले कई सालों से वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीक पर काम हो रहा था जोकि अब साकार हो गई है.प्लास्टिक से डीजल बनाने वाली यह तकनीक देश के भविष्य को पर्यावरण सरंक्षण के साथ-साथ ईंधन संरक्षण की दिशा में एक नया मुकाम प्रदान करेगी. वेस्ट प्लास्टिक से डीजल, पेट्रोल बनाने के लिए मंगलवार को भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में देश के पहले रिसर्च प्लांट का उद्घाटन किया. गया. इस प्लांट में 1 टन वेस्ट प्लास्टिक से 800 लीटर डीजल बनाने का काम किया जा रहा है. जिससे निकलने वाले डीजल की कीमत इस वक्त ₹90 प्रति लीटर आंकी जा रही है.
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पेट्रोलियम संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि जब यही प्लांट रिसर्च प्लांट न होकर एक व्यवसायिक प्लांट के रूप में काम करेगा तब 10 टन वेस्ट प्लास्टिक की क्षमता से डीजल बनाया जाएगा. इससे निकलने वाली डीजल की कीमत ₹50 से कम होगी. साथ ही तकरीबन 35 करोड़ की लागत से बनने वाला यह व्यवसायिक प्लांट अपने पहले 3 साल में ही अपनी कीमत वसूल कर लेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि आज भले इस रिसर्च प्लांट से भी हमें ₹90 प्रति लीटर डीजल उपलब्ध हो रहा है लेकिन आने वाले समय में इसकी दरों में कमी आएगी.
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वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीक पर आधारित इस रिसर्च प्लांट का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री हर्षवर्धन सिंह ने किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम संस्थान के वैज्ञानिकों ने पीएम मोदी के के प्लास्टिक मुक्त भारत को पंख देने का काम किया है. उन्होंने कहा कि ये हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है,आज के इस दौर में जब पूरी दुनिया में प्लास्टिक पर्यावरण लिए बड़ा दुश्मन है उस दौर में प्लास्टिक को उपयोगी बनाना यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है.