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प्लास्टिक वेस्ट से बनेगा डीजल, IIP के वैज्ञानिकों ने पीएम मोदी के सपने को लगाए पंख

देहरादून मोकहमपुर स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में पिछले कई सालों से वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीक पर काम हो रहा था जोकि अब साकार हो गई है. प्लास्टिक से डीजल बनाने वाली यह तकनीक देश के भविष्य को पर्यावरण सरंक्षण के साथ-साथ ईंधन संरक्षण की दिशा में एक नया मुकाम प्रदान करेगी.

वेस्ट प्लास्टिक से बनेगा डीजल
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Published : Aug 27, 2019, 5:56 PM IST

Updated : Aug 27, 2019, 7:12 PM IST

देहरादून: देहरादून पेट्रोलियम संस्थान अब वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने वाली बेमिसाल तकनीक दुनिया के सामने लेकर आया है. आईआईपी की इस तकनीक से सबसे पहले एक टन वेस्ट प्लास्टिक का प्रयोग कर 800 लीटर डीजल बनाया जाएगा. इसके लिए देश के पहले रिसर्च प्लांट का मंगलवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने उद्घाटन किया.

वेस्ट प्लास्टिक से बनेगा डीजल


देहरादून मोकहमपुर स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में पिछले कई सालों से वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीक पर काम हो रहा था जोकि अब साकार हो गई है.प्लास्टिक से डीजल बनाने वाली यह तकनीक देश के भविष्य को पर्यावरण सरंक्षण के साथ-साथ ईंधन संरक्षण की दिशा में एक नया मुकाम प्रदान करेगी. वेस्ट प्लास्टिक से डीजल, पेट्रोल बनाने के लिए मंगलवार को भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में देश के पहले रिसर्च प्लांट का उद्घाटन किया. गया. इस प्लांट में 1 टन वेस्ट प्लास्टिक से 800 लीटर डीजल बनाने का काम किया जा रहा है. जिससे निकलने वाले डीजल की कीमत इस वक्त ₹90 प्रति लीटर आंकी जा रही है.

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पेट्रोलियम संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि जब यही प्लांट रिसर्च प्लांट न होकर एक व्यवसायिक प्लांट के रूप में काम करेगा तब 10 टन वेस्ट प्लास्टिक की क्षमता से डीजल बनाया जाएगा. इससे निकलने वाली डीजल की कीमत ₹50 से कम होगी. साथ ही तकरीबन 35 करोड़ की लागत से बनने वाला यह व्यवसायिक प्लांट अपने पहले 3 साल में ही अपनी कीमत वसूल कर लेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि आज भले इस रिसर्च प्लांट से भी हमें ₹90 प्रति लीटर डीजल उपलब्ध हो रहा है लेकिन आने वाले समय में इसकी दरों में कमी आएगी.

पढ़ें-कुमाऊं में इस जगह से था महात्मा गांधी को प्रेम, अब बदलेगी तस्वीर

वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीक पर आधारित इस रिसर्च प्लांट का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री हर्षवर्धन सिंह ने किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम संस्थान के वैज्ञानिकों ने पीएम मोदी के के प्लास्टिक मुक्त भारत को पंख देने का काम किया है. उन्होंने कहा कि ये हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है,आज के इस दौर में जब पूरी दुनिया में प्लास्टिक पर्यावरण लिए बड़ा दुश्मन है उस दौर में प्लास्टिक को उपयोगी बनाना यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है.

देहरादून: देहरादून पेट्रोलियम संस्थान अब वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने वाली बेमिसाल तकनीक दुनिया के सामने लेकर आया है. आईआईपी की इस तकनीक से सबसे पहले एक टन वेस्ट प्लास्टिक का प्रयोग कर 800 लीटर डीजल बनाया जाएगा. इसके लिए देश के पहले रिसर्च प्लांट का मंगलवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने उद्घाटन किया.

वेस्ट प्लास्टिक से बनेगा डीजल


देहरादून मोकहमपुर स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में पिछले कई सालों से वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीक पर काम हो रहा था जोकि अब साकार हो गई है.प्लास्टिक से डीजल बनाने वाली यह तकनीक देश के भविष्य को पर्यावरण सरंक्षण के साथ-साथ ईंधन संरक्षण की दिशा में एक नया मुकाम प्रदान करेगी. वेस्ट प्लास्टिक से डीजल, पेट्रोल बनाने के लिए मंगलवार को भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में देश के पहले रिसर्च प्लांट का उद्घाटन किया. गया. इस प्लांट में 1 टन वेस्ट प्लास्टिक से 800 लीटर डीजल बनाने का काम किया जा रहा है. जिससे निकलने वाले डीजल की कीमत इस वक्त ₹90 प्रति लीटर आंकी जा रही है.

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पेट्रोलियम संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि जब यही प्लांट रिसर्च प्लांट न होकर एक व्यवसायिक प्लांट के रूप में काम करेगा तब 10 टन वेस्ट प्लास्टिक की क्षमता से डीजल बनाया जाएगा. इससे निकलने वाली डीजल की कीमत ₹50 से कम होगी. साथ ही तकरीबन 35 करोड़ की लागत से बनने वाला यह व्यवसायिक प्लांट अपने पहले 3 साल में ही अपनी कीमत वसूल कर लेगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि आज भले इस रिसर्च प्लांट से भी हमें ₹90 प्रति लीटर डीजल उपलब्ध हो रहा है लेकिन आने वाले समय में इसकी दरों में कमी आएगी.

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वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीक पर आधारित इस रिसर्च प्लांट का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री हर्षवर्धन सिंह ने किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम संस्थान के वैज्ञानिकों ने पीएम मोदी के के प्लास्टिक मुक्त भारत को पंख देने का काम किया है. उन्होंने कहा कि ये हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है,आज के इस दौर में जब पूरी दुनिया में प्लास्टिक पर्यावरण लिए बड़ा दुश्मन है उस दौर में प्लास्टिक को उपयोगी बनाना यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है.

Intro:एंकर- वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने वाली बेमिसाल तकनीक देहरादून पेट्रोलियम संस्थान आज दुनिया के सामने लेकर आई है। इस तकनीक के आधार पर बने आईआईपी में पहले एक टन वेस्ट प्लास्टिक के प्रयोग से 800 लीटर डीजल बनाने वाले देश के पहले रिसर्च प्लांट का आज केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने उद्घाटन किया।


Body:वीओ- देहरादून मोकमपुर स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान में पिछले कई सालों से वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने वाली तकनीक पर की जा रही मेहनत आज साकार हो गई। प्लास्टिक से डीजल बनाने वाली यह तकनीक देश के भविष्य को पर्यावरण सरक्षण के साथ-साथ ईंधन सरक्षण की दिशा में एक नया मुकाम प्रदान करेगी।

भारतीय पेट्रोल लिए भारतीय पेट्रोलियम संस्थान द्वारा आज शुरू किए गए पहले रिसर्च प्लांट में 1 टन वेस्ट प्लास्टिक से 800 लीटर डीजल बनाने का काम किया जा रहा है, जिससे निकलने वाले डीजल की कीमत इस वक्त ₹90 प्रति लीटर आंकी जा रही है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि जब यही प्लांट रिसर्च प्लांट ना होकर एक व्यवसायिक प्लांट के रूप में बढ़ाकर 10 टन वेस्ट प्लास्टिक की क्षमता का बनाया जाएगा और आज की तारीख में हमारे आसपास फैले प्लास्टिक को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे निकलने वाली डीजल की कीमत ₹50 से कम होगी। साथ ही तकरीबन 35 करोड़ की लागत से बनने वाला वह व्यवसायिक प्लांट अपने पहले 3 साल में ही अपनी कीमत वसूल कर लेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि आज भले इस रिसर्च प्लांट से भी हमें ₹90 प्रति लीटर डीजल उपलब्ध हो रहा है लेकिन 1 टन वेस्ट प्लास्टिक से निकलने वाले इस डीजल का मूल्य केवल इसकी कीमत नहीं बल्कि पर्यावरण दूषित करने वाले प्लास्टिक के निस्तारण से जोड़कर देखी जाए तो यह काफी कम है।

बाइट- डॉ अंजन रे, निदेशक सीएसआईआर/ आईआईपी

वेस्ट प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीक पर आधारित इस पहले रिसर्च प्लांट का उद्घाटन करने दिल्ली से देहरादून पहुंचे केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि वह बड़े सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें यह अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से प्लास्टिक मुक्त भारत की कल्पना की है तो उस कल्पना को पेट्रोलियम संस्थान के वैज्ञानिकों ने पंख देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए कोई छोटी उपलब्धि नहीं है बल्कि आज के इस दौर में जब पूरी दुनिया में प्लास्टिक हमारे पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है उस दौर में प्लास्टिक को उपयोगी बनाना यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है।

बाइट- डॉक्टर हर्षवर्धन,केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री


Conclusion:
Last Updated : Aug 27, 2019, 7:12 PM IST
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