देहरादून (धीरज सजवाण): उत्तराखंड निकाय चुनाव के लिए नॉमिनेशन हो चुके हैं. अब स्क्रूटनी का कार्य चल रहा है. 23 जनवरी को निकाय चुनाव के लिए मतदान होना है. 25 जनवरी को निकाय चुनाव का रिजल्ट आ जाेगा. ऐसे में राज्य के पांच बड़े नगर निगम देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार, काशीपुर और श्रीनगर में चुनावी गणित क्या है इसे समझते हैं.
बीजेपी की व्यवस्थित टीम से जूझना कांग्रेस की बड़ी चुनौती: उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों बड़े राजनीतिक दल नामांकन के बाद पूरी तरह से चुनावी मैदान में हैं. अगर भाजपा और कांग्रेस में आधारभूत अंतर को देखा जाए, तो दोनों दलों में चुनाव लड़ने के लिए एक व्यवस्थित संगठन के लिहाज से बड़ा अंतर है. जहां एक तरफ भाजपा की प्रदेश स्तर से लेकर के बूथ स्तर तक एक मजबूत और ऑर्गनाइज्ड टीम काम कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस प्रत्याशियों को अपने दम पर चुनाव लड़ना होगा.
नगर निगम चुनाव का रण: कांग्रेस संगठन स्तर पर बेहद कमजोर है, तो वहीं अगर प्रदेश के पांच बड़े नगर निगमों की बात की जाए तो वहां भी चुनौती कम नहीं है. उत्तराखंड के 11 नगर निगमों में देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार, काशीपुर और श्रीनगर बड़े नगर निगम हैं. देहरादून, हल्द्वानी और काशीपुर सामान्य सीट है. हरिद्वार पर ओबीसी महिला और हल्द्वानी में महिला सीट पर सियासी रण होना है.
देहरादून और हल्द्वानी में ठाकुर ब्राह्मण प्रत्याशियों की जुगलबंदी: देहरादून नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी ने युवा मोर्चा से निकलकर आए युवा नेता सौरभ थपलियाल पर भरोसा जताया है. कांग्रेस ने राज्य आंदोलनकारी का कार्ड खेलते हुए वीरेंद्र पोखरियाल पर दांव खेला है. भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों से मेयर प्रत्याशियों की राजनीतिक पृष्ठभूमि पर अगर नजर दौड़ाई जाए, तो दोनों मजबूत प्रत्याशी हैं. दोनों छात्र राजनीति से निकले हैं.
देहरादून मेयर के लिए जोरदार मुकाबला: कांग्रेस ने राज्य आंदोलनकारी और वरिष्ठ नेता वीरेंद्र पोखरियाल को चुनावी मैदान में उतारा है जो कि पूर्व में डीएवी कॉलेज के अध्यक्ष रह चुके हैं. सहकारिता के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वह कांग्रेस के सक्रिय और तेज तर्रार नेताओं में गिने जाते हैं. वहीं दूसरी तरफ भाजपा की ओर से युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे सौरभ थपलियाल युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं. उनकी फैन फॉलोइंग भी काफी ज्यादा है. 2022 विधानसभा चुनाव में उनका डोईवाला विधानसभा सीट से टिकट कटा था. इस बार पार्टी ने उन पर मेयर पद के लिए भरोसा जताया है. 7 लाख 65 हजार मतदाताओं वाले देहरादून नगर निगम में पूरे 100 वार्ड हैं. ऐसे में देहरादून नगर निकाय चुनाव जिसके अंतर्गत तकरीबन 5 विधायक आते हैं, का मुकाबला काफी रोचक रहने वाला है.
हरिद्वार में आरक्षण ने बिगाड़ा खेल, आसान नहीं होगा निकाय का रण: 1 लाख 93 हजार मतदाताओं वाले 60 वार्ड के हरिद्वार नगर निगम में ब्राह्मण और बनिया मिश्रित जनसंख्या वाला नगर निगम है. यहां पर ठाकुर समाज के भी कुछ लोग और कुछ अल्पसंख्यक समाज के भी लोग मतदाता हैं. ऐसे नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी ने किरण जैसल जो कि खुद दो बार पार्षद रह चुकी हैं उन्हें मैदान में उतारा है. उनके पति सुभाष चंद्र भी मायापुर वार्ड से तीन बार पार्षद रह चुके हैं. किरण के बेटे सहित पूरा परिवार भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय है. इन्हें टिकट दिलाने में स्थानीय विधायक और सांसद की बड़ी भूमिका रही है. किरण जैसल हरिद्वार नगर निगम से मजबूत प्रत्याशी के रूप में देखी जा रही हैं.
बीजेपी ने किरण तो कांग्रेस ने अमरेश पर खेला दांव: बीजेपी की किरण जैसल के सामने अमरेश बालियान पर कांग्रेस ने भरोसा जताया है. कांग्रेस पृष्ठभूमि से आने वाले अमरेश बालियान के बेटे वरुण बालियान यूथ कांग्रेस में सक्रिय हैं. हरिद्वार नगर निगम पर महिला ओबीसी आरक्षण होने की वजह से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिए प्रत्याशी चयन आसान नहीं था. अब देखना होगा कि किस तरह से निकाय चुनाव की लड़ाई यहां देखने को मिलती है.
श्रीनगर में निर्दलीय प्रत्याशी बिगड़ सकती है खेल: पिछले कार्यकाल में नगर पालिका से नगर निगम में अपग्रेड हुए श्रीनगर नगर निगम में इस बार भाजपा और कांग्रेस के मजबूत प्रत्याशियों के साथ-साथ कांग्रेस से ही संबंध रखने वाली एक निर्दलीय प्रत्याशी भी मेयर का चुनाव पूरे दमखम के साथ लड़ रही हैं. आरक्षण की आखिरी लिस्ट में महिला हुई श्रीनगर नगर निगम की सीट पर भाजपा की ओर से आशा उपाध्यक्ष चुनाव लड़ रही हैं. आशा पिछले चुनाव में भी मजबूत दावेदार थीं और दूसरे नंबर पर रही थीं.
आशा और मीना में है टक्कर: वहीं कांग्रेस से मीना रावत जो कि कांग्रेस की एक सक्रिय नेता हैं और श्रीनगर नगर निगम में एक मजबूत प्रत्याशी मानी जा रही हैं. इसके अलावा कांग्रेस बैकग्राउंड की ही पीएचडी होल्डर पूनम तिवारी निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं. पूनम के पति पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए थे. पूनम तिवारी इससे पहले नगर पालिका में अध्यक्ष भी रही हैं.
हल्द्वानी काशीपुर में भी माहौल अंडर करंट: हल्द्वानी नगर निगम की बात की जाए तो यहां इस बार 2 लाख 41 हजार मतदाता अपना मेयर चुनेंगे. मतदाताओं में 1 लाख 18 हजार महिलाएं तो 1 लाख 23 हजार पुरुष हैं. हल्द्वानी नगर निगम में भाजपा ने अपने फायर ब्रांड नेता गजराज बिष्ट को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने भी अपने वरिष्ठ नेता ललित जोशी को मेयर का टिकट दिया है. भाजपा ने अपने सीटिंग मेयर जोगिंदर रौतेला का टिकट काटकर गजराज बिष्ट पर भरोसा जताया है. वहीं हल्द्वानी में कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश के पसंदीदा ललित जोशी को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है.
काशीपुर में इन दिग्गजों की है टक्कर: काशीपुर नगर निगम में भी टक्कर कांटे की है. काशीपुर में कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता संदीप सहगल पर भरोसा जताया है. भाजपा ने काशीपुर में अपने पुराने नेता दीपक बाली पर दांव खेला है. काशीपुर की राजनीति भी बेहद पेचीदगी की भरी है. 1 लाख 28 हजार मतदाताओं वाले काशीपुर नगर निगम में अल्पसंख्यक मतदाता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. नए परिसीमन के बाद यहां 40 वार्ड बनाए गए हैं. इनमें से 10 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित रखे गए हैं.
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