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नाम बड़े-दर्शन छोटे: हर मौसम में ठप हो रही ऑलवेदर रोड, दरकते पहाड़ और लैंडस्लाइड ने बढ़ाई मुश्किलें

ऑल वेदर रोड के कई हिस्से बनने के साथ ही दरक रहे हैं. हर साल इस प्रोजेक्ट पर बरसात की मार पड़ रही है. प्रोजेक्ट के काम के तहत चट्टानों की ढलानें काटने का काम चल रहा है. ये स्लोप कटिंग वर्क लैंडस्लाइड का कारण बन रहा है. चट्टानों का सही ढंग से कटान न किए जाने के कारण वह बारिश में सड़क पर आ जा रहे हैं. जानें क्या हैं ऑल वेदर रोड के ताजा हालात...

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PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर बरसात का 'कहर'
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Published : Aug 27, 2021, 9:44 PM IST

Updated : Aug 28, 2021, 6:15 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजक्ट 'ऑल वेदर रोड' जिसे चारधाम सड़क परियोजना के नाम से भी जाना जाता है, इस बार तेज बारिश में कई जगह धराशायी हो गई है. राज्य में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को जोड़ने वाली इस परियोजना में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां बारिश के कारण परियोजनाओं को खासा नुकसान हुआ है. प्रधानमंत्री मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर हर साल बरसात की मार पड़ रही है, जिसके कारण इसपर कई सवालिया निशान भी लगते रहे हैं. वहीं, बरसात के दिनों में इस प्रोजेक्ट के कारण हो रही घटनाओं पर विपक्ष भी हमलावर है.

उठ रहे कई सवाल: ऑलवेदर रोड के कई हिस्से बनने के साथ ही दरक रहे हैं. कहीं चट्टानों का सही ढंग से कटान न किए जाने के कारण वह बारिशों में भूस्खलन के रूप में सड़क पर आ जा रहे हैं. बोल्डरों के गिरने का सिलसिला भी लगातार जारी है. ऐसे में इन सड़कों पर यात्रा करना खतरे से खाली नहीं है. पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश के चलते नदियों के उफान पर आने और भूस्खलन के बीच ऑलवेदर रोड के कई हिस्से लगातार दरक रहे हैं. इस पर कई बार बड़ी दुर्घटनाएं भी होती रही हैं.जिसके कारण बार बार इस प्रोजेक्ट पर सवाल उठते रहते हैं.

PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर बरसात का 'कहर'

बारिश से परियोजना को नुकसान: इस योजना के तहत 12 बाईपास और 15 फ्लाईओवर के साथ ही 107 छोटे पुलों को भी बनाया जाना है. परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए इस प्रोजेक्ट को 53 हिस्सों में बांटा गया है. फिलहाल पिछले 48 घंटों से हो रही लगातार तेज बारिश के चलते इस परियोजना के तहत आने वाले बदरीनाथ और केदारनाथ हाईवे को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है.

पढ़ें- उत्तराखंड में आसमान से बरस रही आफत, जारी है जल 'प्रहार'

ये हैं ताजा हालात: उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश से ऑल वेदर रोड को टिहरी के फकोट में नुकसान हुआ है. सड़क पर न केवल पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर नीचे आएं हैं, बल्कि सड़क का एक बड़ा हिस्सा फट भी गया है. इस मार्ग को खोलने का काम शुक्रवार 27 अगस्त से ही जारी है. ऐसा ही हाल श्रीनगर जानने वाले मार्ग पर मलेथा के पास का भी है. यहां भी बार-बार सड़क पर बड़े बोल्डर नीचे गिर रहे हैं, जिन्हें समय-समय पर हटाया तो जा रहा है लेकिन सड़क को बंद करके गाड़ियों को वाया धनोल्टी, मसूरी या चंबा होते हुए नीचे उतारा जा रहा है.

चमोली जिले के बदरीनाथ मार्ग की भी स्थिति ऐसी ही है. यहां भी गोपेश्वर से आगे बदरीनाथ मार्ग लगभग 3 जगह बंद है, जिसे बार-बार खोला तो जाता है लेकिन भूस्खलन और बोल्डर आने के कारण ये रोड बार-बार बंद हो रही है, इसकी वजह से ग्रामीणों और सेना की गाड़ियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

क्या है ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट: ये केंद्र की मोदी सरकार का एक प्रोजेक्ट है, जिसे चारधाम प्रोजेक्ट भी कहते हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले दिसंबर 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका ऐलान किया था. इसके तहत उत्तराखंड के चारों धामों- गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को आपस में जोड़ने की योजना है.

पढ़ें- VIDEO: देहरादून एयरपोर्ट को जोड़ने वाला मुख्य पुल भरभराकर टूटा, उफनती नदी में गिरी गाड़ियां

900 किमी. का हाईवे किया जाना है तैयार: उत्तराखंड में चारधाम सड़क परियोजना प्रदेश के लिए बेहद अहम मानी जा रही है. यह परियोजना गढ़वाल क्षेत्र में सड़क का एक बड़ा जाल बिछा देगी. जिससे तमाम पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों को काफी फायदा होगा. बता दें लगभग 900 किलोमीटर के हाईवे प्रोजेक्ट को इस परियोजना के तहत तैयार किया जा रहा है. 900 किलोमीटर लंबी रोडों को चौड़ा किए जाने का प्रोजेक्ट है. इन सड़कों की मरम्मत कर हाइवे में बदला जा रहा है. चारधामों को जाने वाली सड़कों के आने और जाने, दोनों तरफ डबल लेन सड़कें बनाई जाएंगी. पुरानी सड़कों को ठीक किया जाएगा. जहां पर सड़कों की चौड़ाई कम है, वहां पर चौड़ाई बढ़ाकर 12 मीटर तक की जाएगी. यह परियोजना सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है. दरअसल, चीन से उत्तराखंड का एक बड़ा बॉर्डर क्षेत्र जुड़ता है. ऐसे में इस सड़क परियोजना से बॉर्डर क्षेत्र तक भी यातायात व्यवस्था को चालू करने में खासी मदद मिलेगी.

कहां-कहां से गुजरेगा प्रोजेक्ट: सबसे पहले प्रोजेक्ट में एक मुख्य सड़क है, जिस पर आगे बढ़ने के साथ चार अलग-अलग रास्ते निकलते हैं, जो चारों धाम को जाते हैं. यह सड़क ऋषिकेश से शुरू होकर उत्तर दिशा में माणा गांव तक जाती है. पहला रास्ता- ऋषिकेश से निकलेगा जो धारासु तक जाएगा. दूसरा रास्ता- धारासु से यमुनोत्री और दूसरा गंगोत्री जाएगा. तीसरा रास्ता भी ऋषिकेश से शुरू होगा और रुद्रप्रयाग तक जाएगा. रुद्रप्रयाग से एक रास्ता केदारनाथ के लिए गौरीकुंड तक निकल जाएगा और चौथा, रुद्रप्रयाग से एक रास्ता आगे बदरीनाथ के लिए माणा गांव तक जाएगा.

प्रोजेक्ट पर ₹12 हजार करोड़ खर्च हो रहे हैं: ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत बन रहे केदारनाथ और बदरीनाथ हाईवे पर कई ऐसे डेंजर जोन है जहां लैंडस्लाइड की घटनाएं देखी जाती हैं. यहां पर इस प्रोजेक्ट को बेहतर तरीके से तैयार करना काफी मुश्किल साबित हो रहा है. इस परियोजना के तहत करीब 12000 करोड़ रुपए खर्च कर करीब 900 किलोमीटर लंबे हाईवे को चौड़ा किया जाएगा. इसमें यमुनोत्री का नेशनल हाईवे 94, गंगोत्री का नेशनल हाईवे 108, केदारनाथ का नेशनल हाईवे 109 और बदरीनाथ का नेशनल हाईवे 58 शामिल है.

पढ़ें- 6 घंटे बाद नगुण के पास आवाजाही के लिए खुला गंगोत्री हाईवे, पहाड़ी से अभी भी गिर रहे बोल्डर

विपक्ष ने योजना पर उठाए सवाल: इसे लेकर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह कहते हैं कि इस परियोजना में बड़ी ही बेतरतीब तरीके से काम हुआ है. इसके मलबे को यहां वहां फेंका जा रहा है. ब्लास्टिंग के जरिए पहाड़ों को तोड़ा जा रहा है. जिससे भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं. बारिश के समय में इससे हालात और भी भयावह हो जाते हैं. उन्होंने कहा बरसात के समय इस प्रोजेक्ट में हुआ नुकसान कई तरह के सवाल खड़े करता है.

प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद होगा फायदेमंद: इसको लेकर सरकार का भी अपना ही अलग तर्क है. सरकार मान रही है कि मौजूदा नुकसान का कारण प्रोजेक्ट का अधूरा होना है. प्रोजेक्ट के पूरे होने के बाद इस तरह का नुकसान देखने को नहीं मिलेंगे. शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि उत्तराखंड में दुनिया का सबसे नया पहाड़ है. ऐसे में इसका टूटना भी लाजमी है. जहां तक प्रोजेक्ट का सवाल है तो अभी यह प्रोजेक्ट नया है और जब तक यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से सेट नहीं हो जाता तब तक इसके टूटने का खतरा बना रहेगा. उन्होंने कहा एक बार ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट पूरा हो जाये उसके बाद इससे लोगों को बहुत सी सहूलियतें होंगी.

देहरादून: उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजक्ट 'ऑल वेदर रोड' जिसे चारधाम सड़क परियोजना के नाम से भी जाना जाता है, इस बार तेज बारिश में कई जगह धराशायी हो गई है. राज्य में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को जोड़ने वाली इस परियोजना में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां बारिश के कारण परियोजनाओं को खासा नुकसान हुआ है. प्रधानमंत्री मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर हर साल बरसात की मार पड़ रही है, जिसके कारण इसपर कई सवालिया निशान भी लगते रहे हैं. वहीं, बरसात के दिनों में इस प्रोजेक्ट के कारण हो रही घटनाओं पर विपक्ष भी हमलावर है.

उठ रहे कई सवाल: ऑलवेदर रोड के कई हिस्से बनने के साथ ही दरक रहे हैं. कहीं चट्टानों का सही ढंग से कटान न किए जाने के कारण वह बारिशों में भूस्खलन के रूप में सड़क पर आ जा रहे हैं. बोल्डरों के गिरने का सिलसिला भी लगातार जारी है. ऐसे में इन सड़कों पर यात्रा करना खतरे से खाली नहीं है. पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश के चलते नदियों के उफान पर आने और भूस्खलन के बीच ऑलवेदर रोड के कई हिस्से लगातार दरक रहे हैं. इस पर कई बार बड़ी दुर्घटनाएं भी होती रही हैं.जिसके कारण बार बार इस प्रोजेक्ट पर सवाल उठते रहते हैं.

PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर बरसात का 'कहर'

बारिश से परियोजना को नुकसान: इस योजना के तहत 12 बाईपास और 15 फ्लाईओवर के साथ ही 107 छोटे पुलों को भी बनाया जाना है. परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए इस प्रोजेक्ट को 53 हिस्सों में बांटा गया है. फिलहाल पिछले 48 घंटों से हो रही लगातार तेज बारिश के चलते इस परियोजना के तहत आने वाले बदरीनाथ और केदारनाथ हाईवे को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है.

पढ़ें- उत्तराखंड में आसमान से बरस रही आफत, जारी है जल 'प्रहार'

ये हैं ताजा हालात: उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश से ऑल वेदर रोड को टिहरी के फकोट में नुकसान हुआ है. सड़क पर न केवल पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर नीचे आएं हैं, बल्कि सड़क का एक बड़ा हिस्सा फट भी गया है. इस मार्ग को खोलने का काम शुक्रवार 27 अगस्त से ही जारी है. ऐसा ही हाल श्रीनगर जानने वाले मार्ग पर मलेथा के पास का भी है. यहां भी बार-बार सड़क पर बड़े बोल्डर नीचे गिर रहे हैं, जिन्हें समय-समय पर हटाया तो जा रहा है लेकिन सड़क को बंद करके गाड़ियों को वाया धनोल्टी, मसूरी या चंबा होते हुए नीचे उतारा जा रहा है.

चमोली जिले के बदरीनाथ मार्ग की भी स्थिति ऐसी ही है. यहां भी गोपेश्वर से आगे बदरीनाथ मार्ग लगभग 3 जगह बंद है, जिसे बार-बार खोला तो जाता है लेकिन भूस्खलन और बोल्डर आने के कारण ये रोड बार-बार बंद हो रही है, इसकी वजह से ग्रामीणों और सेना की गाड़ियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

क्या है ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट: ये केंद्र की मोदी सरकार का एक प्रोजेक्ट है, जिसे चारधाम प्रोजेक्ट भी कहते हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले दिसंबर 2016 में पीएम नरेंद्र मोदी ने इसका ऐलान किया था. इसके तहत उत्तराखंड के चारों धामों- गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ को आपस में जोड़ने की योजना है.

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900 किमी. का हाईवे किया जाना है तैयार: उत्तराखंड में चारधाम सड़क परियोजना प्रदेश के लिए बेहद अहम मानी जा रही है. यह परियोजना गढ़वाल क्षेत्र में सड़क का एक बड़ा जाल बिछा देगी. जिससे तमाम पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों को काफी फायदा होगा. बता दें लगभग 900 किलोमीटर के हाईवे प्रोजेक्ट को इस परियोजना के तहत तैयार किया जा रहा है. 900 किलोमीटर लंबी रोडों को चौड़ा किए जाने का प्रोजेक्ट है. इन सड़कों की मरम्मत कर हाइवे में बदला जा रहा है. चारधामों को जाने वाली सड़कों के आने और जाने, दोनों तरफ डबल लेन सड़कें बनाई जाएंगी. पुरानी सड़कों को ठीक किया जाएगा. जहां पर सड़कों की चौड़ाई कम है, वहां पर चौड़ाई बढ़ाकर 12 मीटर तक की जाएगी. यह परियोजना सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है. दरअसल, चीन से उत्तराखंड का एक बड़ा बॉर्डर क्षेत्र जुड़ता है. ऐसे में इस सड़क परियोजना से बॉर्डर क्षेत्र तक भी यातायात व्यवस्था को चालू करने में खासी मदद मिलेगी.

कहां-कहां से गुजरेगा प्रोजेक्ट: सबसे पहले प्रोजेक्ट में एक मुख्य सड़क है, जिस पर आगे बढ़ने के साथ चार अलग-अलग रास्ते निकलते हैं, जो चारों धाम को जाते हैं. यह सड़क ऋषिकेश से शुरू होकर उत्तर दिशा में माणा गांव तक जाती है. पहला रास्ता- ऋषिकेश से निकलेगा जो धारासु तक जाएगा. दूसरा रास्ता- धारासु से यमुनोत्री और दूसरा गंगोत्री जाएगा. तीसरा रास्ता भी ऋषिकेश से शुरू होगा और रुद्रप्रयाग तक जाएगा. रुद्रप्रयाग से एक रास्ता केदारनाथ के लिए गौरीकुंड तक निकल जाएगा और चौथा, रुद्रप्रयाग से एक रास्ता आगे बदरीनाथ के लिए माणा गांव तक जाएगा.

प्रोजेक्ट पर ₹12 हजार करोड़ खर्च हो रहे हैं: ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत बन रहे केदारनाथ और बदरीनाथ हाईवे पर कई ऐसे डेंजर जोन है जहां लैंडस्लाइड की घटनाएं देखी जाती हैं. यहां पर इस प्रोजेक्ट को बेहतर तरीके से तैयार करना काफी मुश्किल साबित हो रहा है. इस परियोजना के तहत करीब 12000 करोड़ रुपए खर्च कर करीब 900 किलोमीटर लंबे हाईवे को चौड़ा किया जाएगा. इसमें यमुनोत्री का नेशनल हाईवे 94, गंगोत्री का नेशनल हाईवे 108, केदारनाथ का नेशनल हाईवे 109 और बदरीनाथ का नेशनल हाईवे 58 शामिल है.

पढ़ें- 6 घंटे बाद नगुण के पास आवाजाही के लिए खुला गंगोत्री हाईवे, पहाड़ी से अभी भी गिर रहे बोल्डर

विपक्ष ने योजना पर उठाए सवाल: इसे लेकर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह कहते हैं कि इस परियोजना में बड़ी ही बेतरतीब तरीके से काम हुआ है. इसके मलबे को यहां वहां फेंका जा रहा है. ब्लास्टिंग के जरिए पहाड़ों को तोड़ा जा रहा है. जिससे भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं. बारिश के समय में इससे हालात और भी भयावह हो जाते हैं. उन्होंने कहा बरसात के समय इस प्रोजेक्ट में हुआ नुकसान कई तरह के सवाल खड़े करता है.

प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद होगा फायदेमंद: इसको लेकर सरकार का भी अपना ही अलग तर्क है. सरकार मान रही है कि मौजूदा नुकसान का कारण प्रोजेक्ट का अधूरा होना है. प्रोजेक्ट के पूरे होने के बाद इस तरह का नुकसान देखने को नहीं मिलेंगे. शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि उत्तराखंड में दुनिया का सबसे नया पहाड़ है. ऐसे में इसका टूटना भी लाजमी है. जहां तक प्रोजेक्ट का सवाल है तो अभी यह प्रोजेक्ट नया है और जब तक यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से सेट नहीं हो जाता तब तक इसके टूटने का खतरा बना रहेगा. उन्होंने कहा एक बार ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट पूरा हो जाये उसके बाद इससे लोगों को बहुत सी सहूलियतें होंगी.

Last Updated : Aug 28, 2021, 6:15 PM IST
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