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उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से है फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, ये है खासियत

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Published : May 31, 2019, 12:37 PM IST

Updated : May 31, 2019, 2:02 PM IST

फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (FRI) का शुद्ध वातावरण और मनमोहक सौंदर्य लोगों को बेहद आकर्षित करता है. प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देश-दुनिया से सैलानी एफआरआई कैंपस देखने खींचे चले आते हैं. साथ ही बॉलीवुड फिल्मकारों की यह पसंदीदा लोकेशन भी है. देश-दुनिया की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट का निर्माण अंग्रेजी हुकूमत के दौरान 7 नवंबर सन 1929 में हुआ था.

फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट.

देहरादून: फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (FRI) उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है. देहरादून के चकराता रोड पर स्थित यह ऐतिहासिक संस्थान 1200 एकड़ भूमि में फैला है, जो अपने आप में एक अलग ही पहचान रखता है. यह संस्थान इंडियन काउंसिल ऑफ रिसर्च एजुकेशन के अंतर्गत आता है. जिसमें पेड़-पौधों और सूक्ष्म जीव जंतुओं की लाखों प्रजातियों पर रिसर्च किया जाता है.

ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट.

यहां का शुद्ध वातावरण और मनमोहक सौंदर्य लोगों को बेहद आकर्षित करता है. प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देश-विदेश के सैलानी एफआरआई कैंपस देखने खींचे चले आते हैं. साथ ही बॉलीवुड फिल्मकारों की यह पसंदीदा लोकेशन भी है. बता दें कि अपनी भव्यता और प्राकृतिक सुंदरता के चलते एफआरआई अपनी सुंदरता को खुद ब खुद बयां करता है. चारों ओर खूबसूरत वन संपदा से घिरे होने के चलते FRI में तापमान शहर के अन्य हिस्सों से 2 से 3 डिग्री कम रहता है. पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र एफआरआई संस्थान बॉलीवुड व टॉलीवुड फिल्मकारों की पसंदीदा लोकेशनों में से एक है.

जिसके चलते आए दिन यहां फिल्मों की शूटिंग चलती रहती है. हाल फिलहाल में यहां स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 की शूटिंग हुई थी . एफआरआई दुनिया भर में हरबेरियम के लिए भी जाना जाता है. यहां तीन लाख तीस हजार प्रकार के स्पेशल हर्ब और विलुप्त प्रजातियों के टिम्बर यहां मौजूद है. यहां दुनिया भर के वृक्षों की लकड़ी की पहचान और उनकी उम्र पता कर लंबे समय तक उन्हें संरक्षित किया जाता है.

ब्रिटिश राज के समय रखी गई थी नीव

देश-दुनिया की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट का निर्माण अंग्रेजी हुकूमत के दौरान 7 नवंबर सन् 1929 में हुआ था. इसका उद्घाटन लॉर्ड इनवीन ने किया था. इस भवन की दीवारों को बनाते समय ईंटों को उड़द की दाल और चुने के पके हुए मिश्रण से जोड़ा गया है. जिसके चलते 90 वर्ष बाद भी FRI बेहद मजबूत स्थिति के साथ खड़ा है.

अन्तराष्ट्रीय योग दिवस का बन चुका है गवाह

फॉरेस्ट रिसर्च अनुसंधान केंद्र की भव्यता और प्राकृतिक सुंदरता के चलते वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस पर देश दुनिया को संबोधित किया था. इस दौरान लाखों लोगों ने अंतरराष्ट्रीय योग कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. पर्यटक अंजू सिंह ने बताया कि ऐसा अद्भुत नजारा और FRI का ऐतिहासिक भवन को देख मन प्रसन्न होता है. इसकी भव्य सुंदरता और प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर यहीं ठहरने का मन करता है.

झारखंड रांची से आए संजय सिंह कहते हैं कि इतना खूबसूरत आर्किटेक्चर उन्होंने पहले नहीं देखा था. भवन के अंदर जाने के बाद बाहर आने का मन नहीं करता है. संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी डॉ केपी सिंह के अनुसार संस्थान में पांच अलग-अलग तरह के म्यूजियम हैं. जहां वर्षों पुरानी वन संपदा से जुड़ी चीजों को संरक्षित कर रखा गया है. जिन्हें देखने देश-विदेश से लाखों पर्यटक यहां पहुंचते हैं.

देहरादून: फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (FRI) उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है. देहरादून के चकराता रोड पर स्थित यह ऐतिहासिक संस्थान 1200 एकड़ भूमि में फैला है, जो अपने आप में एक अलग ही पहचान रखता है. यह संस्थान इंडियन काउंसिल ऑफ रिसर्च एजुकेशन के अंतर्गत आता है. जिसमें पेड़-पौधों और सूक्ष्म जीव जंतुओं की लाखों प्रजातियों पर रिसर्च किया जाता है.

ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट.

यहां का शुद्ध वातावरण और मनमोहक सौंदर्य लोगों को बेहद आकर्षित करता है. प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देश-विदेश के सैलानी एफआरआई कैंपस देखने खींचे चले आते हैं. साथ ही बॉलीवुड फिल्मकारों की यह पसंदीदा लोकेशन भी है. बता दें कि अपनी भव्यता और प्राकृतिक सुंदरता के चलते एफआरआई अपनी सुंदरता को खुद ब खुद बयां करता है. चारों ओर खूबसूरत वन संपदा से घिरे होने के चलते FRI में तापमान शहर के अन्य हिस्सों से 2 से 3 डिग्री कम रहता है. पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र एफआरआई संस्थान बॉलीवुड व टॉलीवुड फिल्मकारों की पसंदीदा लोकेशनों में से एक है.

जिसके चलते आए दिन यहां फिल्मों की शूटिंग चलती रहती है. हाल फिलहाल में यहां स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 की शूटिंग हुई थी . एफआरआई दुनिया भर में हरबेरियम के लिए भी जाना जाता है. यहां तीन लाख तीस हजार प्रकार के स्पेशल हर्ब और विलुप्त प्रजातियों के टिम्बर यहां मौजूद है. यहां दुनिया भर के वृक्षों की लकड़ी की पहचान और उनकी उम्र पता कर लंबे समय तक उन्हें संरक्षित किया जाता है.

ब्रिटिश राज के समय रखी गई थी नीव

देश-दुनिया की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट का निर्माण अंग्रेजी हुकूमत के दौरान 7 नवंबर सन् 1929 में हुआ था. इसका उद्घाटन लॉर्ड इनवीन ने किया था. इस भवन की दीवारों को बनाते समय ईंटों को उड़द की दाल और चुने के पके हुए मिश्रण से जोड़ा गया है. जिसके चलते 90 वर्ष बाद भी FRI बेहद मजबूत स्थिति के साथ खड़ा है.

अन्तराष्ट्रीय योग दिवस का बन चुका है गवाह

फॉरेस्ट रिसर्च अनुसंधान केंद्र की भव्यता और प्राकृतिक सुंदरता के चलते वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस पर देश दुनिया को संबोधित किया था. इस दौरान लाखों लोगों ने अंतरराष्ट्रीय योग कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. पर्यटक अंजू सिंह ने बताया कि ऐसा अद्भुत नजारा और FRI का ऐतिहासिक भवन को देख मन प्रसन्न होता है. इसकी भव्य सुंदरता और प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर यहीं ठहरने का मन करता है.

झारखंड रांची से आए संजय सिंह कहते हैं कि इतना खूबसूरत आर्किटेक्चर उन्होंने पहले नहीं देखा था. भवन के अंदर जाने के बाद बाहर आने का मन नहीं करता है. संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी डॉ केपी सिंह के अनुसार संस्थान में पांच अलग-अलग तरह के म्यूजियम हैं. जहां वर्षों पुरानी वन संपदा से जुड़ी चीजों को संरक्षित कर रखा गया है. जिन्हें देखने देश-विदेश से लाखों पर्यटक यहां पहुंचते हैं.

Intro:pls डेस्क यह स्पेशल स्टोरी है.

देहरादून: उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से विश्वविख्यात "फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट"(FRI) का ऐतिहासिक संस्थान अपनेआप एक अलग ही पहचान रखता है... देहरादून के चकराता रोड से सटा यह वन अनुसंधान केंद्र (फॉरेस्ट रिसर्च सेंटर) लगभग 1200 एकड़ भूमि में फैला हुआ हैं....जहां लाखों प्रजातियों के पेड़ पौधे और सूक्ष्म जीव जंतु से लेकर तमाम वन संपदा को लेकर रिसर्च कार्य किया जाता है। इंडियन काउंसिल ऑफ रिसर्च एजुकेशन के अंतर्गत आने वाले इस फॉरेस्ट रिसर्च सेंटर का केंपस इतना स्वच्छ और सुंदर है जिसे देखते ही बनता है... लाखों प्रजाति के सुंदर पेड़ पौधे की वजह से यहां का शुद्ध वातावरण हर किसी को अपनी और मनमोहक देने वाले सौंदर्य की वजह से अपनी ओर बेहद आकर्षित करता है। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देश दुनिया से पर्यटक एफआरआई कैंपस को देखने खींचे चले आते हैं।


Body:एफआरआई बॉलीवुड फिल्मकारों की पसंदीदा लोकेशन

देहरादून स्थित एफआरआई संस्थान बॉलीवुड व टॉलीवुड फिल्मकारों के प्रमुख पसंदीदा लोकेशनों में से एक है, जिसके चलते साल के कुछ महीने FRI कैंपस के अलग-अलग हिस्सों में फिल्मों की शूटिंग चलती रहती है। हाल फिलहाल में स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 की शूटिंग यहां संपन्न हुई है। अपनी भव्य प्राकृतिक सुंदरता के चलते एफआरआई का हर हिस्सा अपनी सुंदरता को ख़ुद ब खुद बयां करता है...चारों ओर वन संपदा की खूबसूरती से घिरा होने के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनने वाले इस फॉरेस्ट रिसर्च सेंटर (FRI) का तापमान शहर के अन्य हिस्सों से 2 से 3 डिग्री कम रहता है।

दुनिया के हर टिंबर को उम्र व पहचान करने के साथ उसे ट्रीटमेंट के जरिए संरक्षित करने का संग्रहालय सुविधा--

एफआरआई दुनिया में हरबेरियम के लिए भी अपनी एक पहचान रखता है जिसके चलते तीन लाख 30 हजार विश्वविख्यात स्पेशल हर्ब के पेड़ पौधे यहां मौजूद है। इसके अलावा देश दुनिया अलग-अलग स्थानों में पाए जाने वाले विलुप्त प्रजातियों के टिम्बर मौजूद है जिनकी वजह से विश्व के सभी लकड़ियों की पहचान व उनकी उम्र का पता कर उनका ट्रीटमेंट कर उसे लंबे समय तक तक संरक्षित किया जा सकता है।


अन्तराष्ट्रीय योग दिवस का गवाह भी बन चुका हैं एफआरआई

फॉरेस्ट रिसर्च अनुसंधान केंद्र की भव्यता और संजोकर रखी गई प्राकृतिक सुंदरता इस कदर मन मोह लेने वाली है कि वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस के लिए एफआरआई केंपस को ही चुना। स्वच्छ सुंदर वातावरण में लाखों लोगों ने अंतरराष्ट्रीय योग कार्यक्रम में यहाँ भाग लिया, इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने ऐतिहासिक एफआरआई कैंपस से ही देश दुनिया को अंतरराष्ट्रीय योगा को लेकर अपना संबोधन भी दिया था।




Conclusion:भवन की पतली ईटों को उड़द व चुने के मिश्रण से लगाया गया है

फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) की भव्य ऐतिहासिक बनावट अपनेआप देश दुनिया के अद्भुत और बेमिसाल इमारतों में से एक गिनी जाती है, पतली एक समान आकार की ईंटों को दीवारों पर उड़द की दाल और चुने के पके हुए मिश्रण से इस हिसाब से लगाया गया है कि 90 वर्ष से ज्यादा का समय गुजर जाने के बाद भी दीवारें आज भी बेहद मजबूत स्थिति पर टिकी हुई है। एफआरआई भवन गलियारों की छतों में ईटों को कदर गोलाकार को लगाया गया है कि जो देखते ही बनते हैं.


देश के अलग-अलग राज्यों से फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट को देखने आने वाले पर्यटकों की माने तो ऐसा अद्भुत नजारा और FRI का ऐतिहासिक भवन को देख मन प्रसन्न होता है इसकी भव्य सुंदरता और प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर मानो यही ठहरने का मन करता है। झारखंड रांची से आए संजय सिंह कहते हैं कि इतना खूबसूरत आर्किटेक्चर उन्होंने पहले नहीं देखा भवन के अंदर जाने के बाद बाहर आने का मन नहीं करता।

बाईट- संजय सिंह ,पर्यटक रांची

बाइट- अंजू सिंह पर्यटक


वही एफआरआई भवन में 20 हजार से ज्यादा टिंबर के ऐसे सैंपल ट्रीटमेंट कर दशकों से संरक्षित किए गए हैं जो दुनिया के विलुप्त प्रजातियों में भी गिनी जाती है इसके अलावा एफ आर आई संस्थान हर तरह की लकड़ी की उम्र उसकी पहचान और उसे संरक्षित करने में सक्षम है संस्थान के डॉ केपी सिंह के अनुसार संस्थान में पांच अलग-अलग तरह के म्यूजियम है जहां वर्षों पुरानी वन संपदा से जुड़ी चीजों को संरक्षित कर रखा गया है जिन्हें देखने देश-विदेश से लाखों पर्यटक यहां पहुंचते हैं।

बाइट- डॉक्टर -के पी सिंह, जनसंपर्क अधिकारी, एफ आर आई

सन 1929 में ब्रिटिश साम्राज्य के समय रखी गई थी एफआरआई की नीव....

देश दुनिया की ऐतिहासिक धरोवरों में से एक अलग पहचान रखने वाला देहरादून स्थित भवन "फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट" (FRI) का निर्माण अंग्रेजी हुकूमत के दौरान 7 नवंबर सन 1929 में लॉर्ड इनवीन द्वारा उद्घाटन कर किया गया था।
इस वन अनुसंधान केंद्र परिसर में लाखों प्रजातियां की पेड़ पौधे मौजूद है जिन पर हर तरह से रिसर्च का कार्य होता है ... यहां दशकों पुरानी बेशकीमती कीमती लकड़ियों को ट्रीटमेंट कर संरक्षित कर रखा गया है। इस एफआरआई संस्थान में देश दुनिया के आईएफएस ( इंडियन फॉरेस्ट सर्विस) की ट्रेनिंग लेते हैं और प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद एफआरआई की मुख्य भवन में ही आईएफएस अफसरों का दीक्षांत कार्यक्रम संपन्न होता है। इस भव्य बिल्डिंग में 5 म्यूजियम है जहां भारी संख्या में वन सामग्री से लेकर अलग-अलग तरह के पेड़ पौधों जीव जंतुओं को संरक्षित कर रखा गया है। प्रतिवर्ष लाखों देश-विदेश के पर्यटक एफआरआई के इस कैम्पस में ज्ञान विज्ञान से जुड़ी जानकारियों को देखने उत्सुक रहते हैं।

पीटीसी - परमजीत लाम्बा



Last Updated : May 31, 2019, 2:02 PM IST
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