देहरादून: फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (FRI) उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है. देहरादून के चकराता रोड पर स्थित यह ऐतिहासिक संस्थान 1200 एकड़ भूमि में फैला है, जो अपने आप में एक अलग ही पहचान रखता है. यह संस्थान इंडियन काउंसिल ऑफ रिसर्च एजुकेशन के अंतर्गत आता है. जिसमें पेड़-पौधों और सूक्ष्म जीव जंतुओं की लाखों प्रजातियों पर रिसर्च किया जाता है.
यहां का शुद्ध वातावरण और मनमोहक सौंदर्य लोगों को बेहद आकर्षित करता है. प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देश-विदेश के सैलानी एफआरआई कैंपस देखने खींचे चले आते हैं. साथ ही बॉलीवुड फिल्मकारों की यह पसंदीदा लोकेशन भी है. बता दें कि अपनी भव्यता और प्राकृतिक सुंदरता के चलते एफआरआई अपनी सुंदरता को खुद ब खुद बयां करता है. चारों ओर खूबसूरत वन संपदा से घिरे होने के चलते FRI में तापमान शहर के अन्य हिस्सों से 2 से 3 डिग्री कम रहता है. पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र एफआरआई संस्थान बॉलीवुड व टॉलीवुड फिल्मकारों की पसंदीदा लोकेशनों में से एक है.
जिसके चलते आए दिन यहां फिल्मों की शूटिंग चलती रहती है. हाल फिलहाल में यहां स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 की शूटिंग हुई थी . एफआरआई दुनिया भर में हरबेरियम के लिए भी जाना जाता है. यहां तीन लाख तीस हजार प्रकार के स्पेशल हर्ब और विलुप्त प्रजातियों के टिम्बर यहां मौजूद है. यहां दुनिया भर के वृक्षों की लकड़ी की पहचान और उनकी उम्र पता कर लंबे समय तक उन्हें संरक्षित किया जाता है.
ब्रिटिश राज के समय रखी गई थी नीव
देश-दुनिया की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट का निर्माण अंग्रेजी हुकूमत के दौरान 7 नवंबर सन् 1929 में हुआ था. इसका उद्घाटन लॉर्ड इनवीन ने किया था. इस भवन की दीवारों को बनाते समय ईंटों को उड़द की दाल और चुने के पके हुए मिश्रण से जोड़ा गया है. जिसके चलते 90 वर्ष बाद भी FRI बेहद मजबूत स्थिति के साथ खड़ा है.
अन्तराष्ट्रीय योग दिवस का बन चुका है गवाह
फॉरेस्ट रिसर्च अनुसंधान केंद्र की भव्यता और प्राकृतिक सुंदरता के चलते वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस पर देश दुनिया को संबोधित किया था. इस दौरान लाखों लोगों ने अंतरराष्ट्रीय योग कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. पर्यटक अंजू सिंह ने बताया कि ऐसा अद्भुत नजारा और FRI का ऐतिहासिक भवन को देख मन प्रसन्न होता है. इसकी भव्य सुंदरता और प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर यहीं ठहरने का मन करता है.
झारखंड रांची से आए संजय सिंह कहते हैं कि इतना खूबसूरत आर्किटेक्चर उन्होंने पहले नहीं देखा था. भवन के अंदर जाने के बाद बाहर आने का मन नहीं करता है. संस्थान के जनसंपर्क अधिकारी डॉ केपी सिंह के अनुसार संस्थान में पांच अलग-अलग तरह के म्यूजियम हैं. जहां वर्षों पुरानी वन संपदा से जुड़ी चीजों को संरक्षित कर रखा गया है. जिन्हें देखने देश-विदेश से लाखों पर्यटक यहां पहुंचते हैं.