नई दिल्ली: देश में बेरोजगारी की दर घटकर लॉकडाउन से पहले के स्तर पर आ गई है. कोरोना महामारी के कारण 25 मार्च से 31 मई तक चले लॉकडाउन के बाद भारत जैसे ही अनलॉक हुआ वैसे ही जून के तीसरे सप्ताह में बेरोजगारी दर में भारी कमी देखने को मिली.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 21 जून को समाप्त सप्ताह में 8.5 प्रतिशत तक गिर गई. बता दें कि 22 मार्च को देश मे बेरोजगारी दर 8.41 फीसद थी, जो कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन में 5 अप्रैल को बढ़कर 23.38 फीसद हो गई थी. वहीं, 11 मई को यह 24 फीसदी पर पहुंच गई थी.
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गांवों के लोगों को मिला शहर से ज्यादा रोजगार
शहरी इलाकों में बेरोजगारी की दर अब भी लॉकडाउन से पहले के स्तर से ऊंची बनी हुई है जबकि ग्रामीण इलाकों में इसमें भारी कमी आई है.
जून में बेरोजगारी दर
- पहला हफ्ता - 17.5 प्रतिशत
- दूसरा हफ्ता - 11.6 प्रतिशत
- तीसरा हफ्ता - 8.5 प्रतिशत
भारत में बेरोजगारी दर
- 22 मार्च - 8.41 प्रतिशत
- 5 अप्रैल - 23.38 प्रतिशत
- 17 मई - 24 प्रतिशत
- 21 जून - 8.5 प्रतिशत
शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर
- 22 मार्च - 8.66 प्रतिशत
- 05 अप्रैल - 30.93 प्रतिशत
- 17 मई - 26.95 प्रतिशत
- 21 जून - 11.2 प्रतिशत
ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर
22 मार्च - 8.3 प्रतिशत
05 अप्रैल - 20.21 प्रतिशत
17 मई - 22.79 प्रतिशत
21 जून - 7.26 प्रतिशत
मनरेगा के तहत 3.3 करोड़ परिवारों को मिला लाभ
सीएमआईई के मुताबिक मई में मनरेगा के तहत मानव कार्यदिवसों की संख्या बढ़कर 56.5 करोड़ रही जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 53 फीसदी अधिक है. साथ ही यह 2019-20 के मासिक औसत से 2.55 गुना अधिक है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन में छूट से बेरोजगारी कम करने में मदद मिली. ग्रामीण क्षेत्रों को मनरेगा के तहत होने वाले काम और खरीफ की बुआई से ज्यादा फायदा मिला.
रिपोर्ट के मुताबिक इस साल मई में 3.3 करोड़ परिवारों को मनरेगा से फायदा हुआ जो पिछले साल की तुलना में 55 फीसदी अधिक है.
मनरेगा और गरीब कल्याण योजना में ओवरलैप
सीएमआईई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गरीब कल्याण योजना का मनरेगा के साथ ओवरलैप साफ नहीं है. फिर भी कम से कम अक्टूबर तक ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर कम रहने की उम्मीद है. इससे ग्रामीण इलाकों में मांग बढ़ सकती है.