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गंगा घाटों पर हुए अतिक्रमण पर हाई कोर्ट सख्त, परमार्थ निकेतन और सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल हाई कोर्ट अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम द्वारा गंगा के किनारे बने घाटों और सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर व्यवसायिक भवन का निर्माण किया गया है. साथ ही आश्रम के द्वारा घाटों में शादियां और पार्टी समेत व्यवसायिक गतिविधि कराई जा रही हैं.

गंगा घाटों पर हुए अतिक्रमण पर हाई कोर्ट सख्त.
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Published : Aug 9, 2019, 10:34 AM IST

Updated : Aug 9, 2019, 1:31 PM IST

नैनीताल: स्वामी चिदानन्द द्वारा गंगा किनारे घाटों पर किए गए अतिक्रमण के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद, राज्य सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीएम हरिद्वार, हरिद्वार विकास प्राधिकरण, अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते के भीतर अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

गंगा घाटों पर हुए अतिक्रमण पर हाई कोर्ट सख्त.
बता दें कि नैनीताल हाई कोर्ट के अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम द्वारा गंगा के किनारे बने घाटों और सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर व्यवसायिक भवन का निर्माण किया गया है. साथ ही आश्रम के द्वारा घाटों में शादियां और पार्टी समेत व्यवसायिक गतिविधि कराई जा रही है. साथ ही इस दौरान घाट पर होने वाली गंदगी को आश्रम के द्वारा गंगा जी में प्रवाहित किया जा रहा है, जिस पर उन्होंने रोक लगाने की मांग की है.

पढ़ें-ईद-राखी और 15 अगस्त को लेकर पुलिस सतर्क, संदिग्धों पर रखी जा रही विशेष नजर

साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि आश्रम के द्वारा घाटों के अलावा नदी में भी अतिक्रमण कर दो पुलों का निर्माण किया गया है. जिसके लिए उनके द्वारा किसी भी विभाग और सरकार से स्वीकृति नहीं ली गई. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीएम हरिद्वार, अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग, हरिद्वार विकास प्राधिकरण समेत अन्य लोगों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

नैनीताल: स्वामी चिदानन्द द्वारा गंगा किनारे घाटों पर किए गए अतिक्रमण के मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद, राज्य सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीएम हरिद्वार, हरिद्वार विकास प्राधिकरण, अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते के भीतर अपना जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

गंगा घाटों पर हुए अतिक्रमण पर हाई कोर्ट सख्त.
बता दें कि नैनीताल हाई कोर्ट के अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम द्वारा गंगा के किनारे बने घाटों और सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर व्यवसायिक भवन का निर्माण किया गया है. साथ ही आश्रम के द्वारा घाटों में शादियां और पार्टी समेत व्यवसायिक गतिविधि कराई जा रही है. साथ ही इस दौरान घाट पर होने वाली गंदगी को आश्रम के द्वारा गंगा जी में प्रवाहित किया जा रहा है, जिस पर उन्होंने रोक लगाने की मांग की है.

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साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि आश्रम के द्वारा घाटों के अलावा नदी में भी अतिक्रमण कर दो पुलों का निर्माण किया गया है. जिसके लिए उनके द्वारा किसी भी विभाग और सरकार से स्वीकृति नहीं ली गई. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीएम हरिद्वार, अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग, हरिद्वार विकास प्राधिकरण समेत अन्य लोगों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं.

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ऋषिकेश के परमार्थ आश्रम के स्वामी चिदानंद द्वारा गंगा नदी के किनारे घाटों में करें गए अतिक्रमण का मामला नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गया है।

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स्वामी चिन्मयानंद द्वारा गंगा किनारे घाटों में किए गए अतिक्रमण के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद, राज्य सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीएम हरिद्वार, हरिद्वार विकास प्राधिकरण, अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर अपना जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं।


Body:आपको बता दें कि नैनीताल हाई कोर्ट अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम द्वारा गंगा के किनारे बने घाटों और
सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर व्यवसायिक भवन का निर्माण किया गया है और आश्रम के द्वारा घाटों में शादियां और पार्टी समेत व्यवसायिक गतिविधि कराई जा रही हैं, साथ ही इस दौरान गंगा के घाट पर होने वाली गंदगी को आश्रम के द्वारा गंगा जी में प्रवाहित किया जा रहा है जिस पर रोक लगाई जाए।


Conclusion:साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि आश्रम के द्वारा घाटों के अलावा नदी में भी अतिक्रमण कर दो पुलों का निर्माण किया गया है जिसके लिए उनके द्वारा किसी भी विभाग और सरकार से स्वीकृति नहीं ली गई है।
आज मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीएम हरिद्वार, अधिशासी अभियंता सिंचाई विभाग, हरिद्वार विकास प्राधिकरण समेत अन्य लोगों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाइट- विवेक शुक्ला याचिकाकर्ता व अधिवक्ता।
Last Updated : Aug 9, 2019, 1:31 PM IST
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