लखनऊ : विवादों में रहने वाले शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन (Former Chairman of Shia Waqf Board) वसीम रिजवी (Wasim Rizvi) ने इस्लाम धर्म छोड़कर आज (सोमवार) गाजियाबाद स्थित डासना मंदिर में हिन्दू धर्म को अपना लिया. वसीम रिजवी के प्रवक्ता प्रेम शंकर ने इससे पहले मीडिया को उनके धर्मांतरण की जानकारी दी थी.
सय्यद वसीम रिजवी गाजियाबाद स्थित डासना मंदिर में सोमवार सुबह 10.30 बजे सनातन धर्म को अपनाया. डासना देवी मंदिर में यति नरसिंहा नंद गिरी महाराज से धार्मिक रीति-रिवाज के साथ सनातन धर्म में वसीम रिजवी शामिल हुए. इसके साथ ही उन्होंने अपना नाम बदल दिया है. अब वे वसीम रिजवी नहीं बल्कि जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के नाम से जाने जाएंगे.
वसीम रिजवी (Wasim Rizvi) ने हिंदू बनने के बाद कहा कि मुझे इस्लाम से बाहर कर दिया गया है. हमारे सिर पर हर शुक्रवार को इनाम बढ़ा दिया जाता है. आज मैं सनातन धर्म अपना रहा हूं.
उनसे जब हिंदू धर्म को अपनाने का कारण पूछा गया तो, उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन की यहां पर कोई बात नहीं है. जब मुझको इस्लाम से निकाल ही दिया गया, तब यह मेरी मर्जी है, कि मैं किस धर्म को स्वीकार करूं. उन्होंने आगे कहा कि सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है और उसमें अच्छाइयां पाई जाती हैं. इंसानियत पाई जाती है. हम यह समझते हैं, किसी और दूसरे धर्म में नहीं है.
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बता दें, बीते दिनों वसीम रिजवी (Wasim Rizvi) ने अपनी वसीयत भी सार्वजनिक की थी. इसमें उन्होंने ऐलान किया था कि मरने के बाद उन्हें दफनाया न जाए, बल्कि हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाए और उनके शरीर को जलाया जाए. वसीम रिजवी ने कहा था कि यति नरसिम्हानंद उनकी चिता को अग्नि दें.
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वसीम रिजवी (Wasim Rizvi) ने कहा था कि कुछ लोग उन्हें मारना चाहते हैं और इन लोगों ने घोषणा कर रखी है कि उनके मौत के बाद उनके पार्थिव शरीर को किसी कब्रिस्तान में दफनाने नहीं दिया जाएगा. इसलिए उनके पार्थिव शरीर को श्मशान घाट में जलाया जाए.
बता दें कि बीते दिनों वसीम रिजवी ने मरने के बाद दफनाने की जगह जलाने की इच्छा जताई थी. एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान रिजवी ने कहा था कि उनकी चिता को मुखाग्नि डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहा नंद सरस्वती देंगे.
कुछ दिन पहले ही रिजवी ने जारी की थी वसीयत
वसीम रिजवी ने कुछ दिन पहले ही अपनी वसीयत जारी की थी, जिसमें उन्होंने एलान किया था कि मरने के बाद उन्हें दफनाया न जाए, बल्कि हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाए. उन्होंने कहा था कि यति नरसिम्हानंद उनकी चिता को अग्नि दें.
रिजवी ने एक वीडियो जारी कर कहा था कि मेरी हत्या करने और गर्दन काटने की साजिश रची जा रही है. मेरा गुनाह सिर्फ इतना है कि मैंने कुरान की 26 आयतों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. मुसलमान मुझे मारना चाहते हैं और एलान किया है कि मुझे किसी कब्रिस्तान में जगह नहीं देंगे. इसलिए मरने के बाद मेरा अंतिम संस्कार कर दिया जाए.
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उल्लेखनीय है कि रिजवी अक्सर कट्टरपंथी मुस्लिमों के निशाने पर रहते हैं. उन्होंने कुरान से 26 आयतें हटाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था. इसके बाद से ही रिजवी मुस्लिम संगठनों के निशाने पर हैं. मुस्लिम संगठनों का ये भी कहना है कि रिजवी का इस्लाम और शिया समुदाय से कुछ लेना-देना नहीं है. मुस्लिम संगठन रिजवी को मुस्लिम विरोधी संगठनों का एजेंट बताते हैं.
वसीम रिजवी के विवादित बयान
रिजवी पहली बार विवादों में नहीं हैं, बल्कि सूबे में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से लगातार चर्चा के केंद्र में बने हैं. उन्होंने देश की नौ मस्जिदों को हिंदुओं को सौंप दिए जाने की बात कही थी. रिजवी ने विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे और कुतुब मीनार की मस्जिद का नाम भी लिया था और कहा था कि ये हिंदुस्तान की धरती पर कलंक है. उन्होंने कोर्ट के फैसले से पहले विवादित जमीन को राम मंदिर को सौंपने की बात की भी कही थी.
ऐसे ही रिजवी देशभर के मदरसों में चल रही इस्लामिक पढ़ाई को बंद करने की सरकार से मांग की थी और कहा था कि इन मदरसों में आतंक की तालीम दी जाती है. ऐसे में इन मदरसों में ताले लगा दिए जाने चाहिए. इसके अलावा उन्होंने इस्लाम के झंडे की तुलना पाकिस्तानी झंडे से करते हुए कहा था कि ये हरा झंडा पाकिस्तान से जुड़ा है और इसे फहराने वालों पर कार्रवाई की जानी चाहिए.