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NEET-SS Exam Pattern : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- युवा डॉक्टर फुटबॉल नहीं, सत्ता के खेल में इस्तेमाल न करें - युवा डॉक्टर असंवेदनशील नौकरशाहों

सुप्रीम कोर्ट ने पोस्ट ग्रेजुएट नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट-सुपर स्पेशियलिटी (NEET-SS) 2021 के परीक्षा पैटर्न को लेकर सख्त टिप्पणी की है. शीर्ष अदालत ने कहा, 'युवा चिकित्सकों का सत्ता के खेल में फुटबॉल की तरह इस्तेमाल न करें.'

NEET-SS 2021 के परीक्षा पैटर्न को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
NEET-SS 2021 के परीक्षा पैटर्न को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
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Published : Sep 27, 2021, 5:51 PM IST

Updated : Sep 27, 2021, 8:38 PM IST

नई दिल्ली : शीर्ष अदालत ने परीक्षा में अंतिम समय में बदलाव करने के लिए केंद्र, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की खिंचाई की है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि युवा डॉक्टरों को असंवेदनशील नौकरशाहों की दया पर निर्भर नहीं छोड़ा जा सकता. उनके साथ फुटबॉल की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता है. न्यायालय ने केंद्र को चेतावनी देते हुए कि अगर वह राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा - अति विशिष्टता (नीट-एसएस) 2021 के पाठ्यक्रम में अंतिम समय में किये गये बदलाव के औचित्य से संतुष्ट नहीं हुआ तो वह प्रतिकूल टिप्पणियां करेगा.

बता दें कि इस मामले में याचिकाकर्ता देश भर से स्नातकोत्तर डॉक्टर हैं और नीट-एसएस 2021 को पास करके अति विशिष्टता धारण करने की इच्छा रखते हैं. याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि परीक्षा की तारीखों की घोषणा 23 जुलाई को की गई थी, लेकिन बदले हुए प्रारूप को 31 अगस्त को सार्वजनिक किया गया था.

सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह 'इन युवा चिकित्सकों को कुछ असंवेदनशील नौकरशाहों के हाथों में खेलने की अनुमति नहीं देगा', और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू), राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) से कहा कि वह अपना घर दुरुस्त करे.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को एक सप्ताह के भीतर अन्य दो अधिकारियों के साथ बैठक करने को कहा. पीठ ने कहा, 'आप बेहतर कारण बताइये क्योंकि यदि हम संतुष्ट नहीं हुए तो आपके बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां पारित करेंगे.

पीठ ने कहा, 'सत्ता के खेल में इन युवा चिकित्सकों का फुटबॉल की तरह इस्तेमाल न करे. बैठक करें और अपने घर को दुरुस्त करें. हम इन युवा चिकित्सकों के जीवन को कुछ असंवेदशील नौकरशाहों के हाथों में नहीं आने देंगे.'

शीर्ष अदालत उन 41 स्नातकोत्तर चिकित्सकों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने परीक्षा की अधिसूचना जारी होने के बाद पाठ्यक्रम में अंतिम समय में किए गए बदलाव को चुनौती दी थी.

शुरुआत में युवा चिकित्सकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि उन्होंने इस मामले में एक लिखित दलील भी दाखिल की है.

एनएमसी की ओर से पेश अधिवक्ता गौरव शर्मा ने कहा कि वे मामले में जवाब दाखिल करना चाहते हैं और एक सप्ताह के स्थगन का अनुरोध किया.

पीठ ने कहा, 'श्री शर्मा, एनएमसी क्या कर रही है? हम उन युवा चिकित्सकों के जीवन के बारे में बात कर रहे हैं जो सुपर स्पेशियलिटी कोर्स करेंगे. आपने 23 जुलाई को परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी की है और फिर 31 अगस्त को पाठ्यक्रम बदल दिया है. यह क्या है? उन्हें 13 और 14 नवंबर को परीक्षा में बैठना है.'

एनबीई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें अगले सोमवार तक जवाब दाखिल करने का समय दिया जाए, क्योंकि बदलाव करने के लिए उपयुक्त कारण थे और अधिकारी छात्रों की कठिनाइयों से अच्छी तरह वाकिफ थे और संबंधित तीन प्राधिकारियों के अनुमोदन के बाद इसे मंजूरी दी गई थी.'

पीठ ने कहा, 'फिर श्री सिंह को परीक्षा के लिए अधिसूचना क्यों जारी की गई? अगले साल ऐसा क्यों नहीं हो सकता? आप देखिए, छात्र इन महत्वपूर्ण चिकित्सा पाठ्यक्रमों की तैयारी महीनों पहले से शुरू कर देते हैं. अंतिम समय में बदलाव की क्या ज़रूरत थी?'

सिंह ने कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव काफी समय से चल रहा था और 2018 से तैयारी चल रही थी और संबंधित अधिकारियों ने कठिनाइयों का ध्यान रखने की कोशिश की है. उन्होंने कहा, 'कृपया हमें एक सप्ताह का समय दें, हम सब कुछ समझा देंगे.'

इससे पहले गत 20 सितंबर को न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने 41 स्नातकोत्तर डॉक्टरों की याचिका पर केंद्र, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था.

गत 20 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि नीट-एसएस 2021 की परीक्षाएं 13-14 नवंबर को होनी हैं और शैक्षिक मामलों में यह स्पष्ट तौर पर तय सिद्धांत है कि एक बार कैलेंडर (परीक्षा कार्यक्रमों) की घोषणा हो जाने के बाद परीक्षा योजना (प्रारूप) में बदलाव का कोई सवाल ही नहीं है.

अधिवक्ता जावेदुर रहमान के माध्यम से दायर याचिका में एनबीई द्वारा अधिसूचित और एनएमसी द्वारा अनुमोदित 31 अगस्त के सूचना बुलेटिन में निहित नीट-एसएस 2021 की परीक्षा योजना को रद्द करने की मांग की गई है. याचिका में इसे अवैध बताते हुए किसी कानूनी अधिकार के बगैर किया गया बताया गया है.

यह भी पढ़ें- NEET-SS 2021 : परीक्षा प्रारूप में 'आखिरी समय' बदलाव का विरोध, सुप्रीम कोर्ट में मामला

इसमें कहा गया मौजूदा/पूर्व के प्रारूप के अनुसार 40 अंक मूल विषय से आते थे और 60 अंक उम्मीदवार द्वारा चुने गए दो वैकल्पिक पाठ्यक्रमों के सवालों के होते थे. यह बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि उम्मीदवार स्वयं अपनी रुचि के क्षेत्रों का चयन करेगा और न केवल इसका सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त करेंगे बल्कि इसका व्यावहारिक ज्ञान भी लेंगे.

याचिका में दावा किया गया है कि सूचना बुलेटिन के मुताबिक प्रवेश परीक्षा को पूरी तरह से बदल दिया गया और एनबीई ने कहा है कि परीक्षा स्नातकोत्तर की निकास परीक्षा के स्तर की होगी. इसमें कहा गया ऐसे में विभिन्न व्यापक विशेषज्ञता के स्नातकोत्तर एकल अति-विशिष्टता परीक्षा में उपस्थित हो सकेंगे.

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली : शीर्ष अदालत ने परीक्षा में अंतिम समय में बदलाव करने के लिए केंद्र, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की खिंचाई की है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि युवा डॉक्टरों को असंवेदनशील नौकरशाहों की दया पर निर्भर नहीं छोड़ा जा सकता. उनके साथ फुटबॉल की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता है. न्यायालय ने केंद्र को चेतावनी देते हुए कि अगर वह राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा - अति विशिष्टता (नीट-एसएस) 2021 के पाठ्यक्रम में अंतिम समय में किये गये बदलाव के औचित्य से संतुष्ट नहीं हुआ तो वह प्रतिकूल टिप्पणियां करेगा.

बता दें कि इस मामले में याचिकाकर्ता देश भर से स्नातकोत्तर डॉक्टर हैं और नीट-एसएस 2021 को पास करके अति विशिष्टता धारण करने की इच्छा रखते हैं. याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि परीक्षा की तारीखों की घोषणा 23 जुलाई को की गई थी, लेकिन बदले हुए प्रारूप को 31 अगस्त को सार्वजनिक किया गया था.

सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह 'इन युवा चिकित्सकों को कुछ असंवेदनशील नौकरशाहों के हाथों में खेलने की अनुमति नहीं देगा', और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू), राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) से कहा कि वह अपना घर दुरुस्त करे.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को एक सप्ताह के भीतर अन्य दो अधिकारियों के साथ बैठक करने को कहा. पीठ ने कहा, 'आप बेहतर कारण बताइये क्योंकि यदि हम संतुष्ट नहीं हुए तो आपके बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां पारित करेंगे.

पीठ ने कहा, 'सत्ता के खेल में इन युवा चिकित्सकों का फुटबॉल की तरह इस्तेमाल न करे. बैठक करें और अपने घर को दुरुस्त करें. हम इन युवा चिकित्सकों के जीवन को कुछ असंवेदशील नौकरशाहों के हाथों में नहीं आने देंगे.'

शीर्ष अदालत उन 41 स्नातकोत्तर चिकित्सकों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने परीक्षा की अधिसूचना जारी होने के बाद पाठ्यक्रम में अंतिम समय में किए गए बदलाव को चुनौती दी थी.

शुरुआत में युवा चिकित्सकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि उन्होंने इस मामले में एक लिखित दलील भी दाखिल की है.

एनएमसी की ओर से पेश अधिवक्ता गौरव शर्मा ने कहा कि वे मामले में जवाब दाखिल करना चाहते हैं और एक सप्ताह के स्थगन का अनुरोध किया.

पीठ ने कहा, 'श्री शर्मा, एनएमसी क्या कर रही है? हम उन युवा चिकित्सकों के जीवन के बारे में बात कर रहे हैं जो सुपर स्पेशियलिटी कोर्स करेंगे. आपने 23 जुलाई को परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी की है और फिर 31 अगस्त को पाठ्यक्रम बदल दिया है. यह क्या है? उन्हें 13 और 14 नवंबर को परीक्षा में बैठना है.'

एनबीई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें अगले सोमवार तक जवाब दाखिल करने का समय दिया जाए, क्योंकि बदलाव करने के लिए उपयुक्त कारण थे और अधिकारी छात्रों की कठिनाइयों से अच्छी तरह वाकिफ थे और संबंधित तीन प्राधिकारियों के अनुमोदन के बाद इसे मंजूरी दी गई थी.'

पीठ ने कहा, 'फिर श्री सिंह को परीक्षा के लिए अधिसूचना क्यों जारी की गई? अगले साल ऐसा क्यों नहीं हो सकता? आप देखिए, छात्र इन महत्वपूर्ण चिकित्सा पाठ्यक्रमों की तैयारी महीनों पहले से शुरू कर देते हैं. अंतिम समय में बदलाव की क्या ज़रूरत थी?'

सिंह ने कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव काफी समय से चल रहा था और 2018 से तैयारी चल रही थी और संबंधित अधिकारियों ने कठिनाइयों का ध्यान रखने की कोशिश की है. उन्होंने कहा, 'कृपया हमें एक सप्ताह का समय दें, हम सब कुछ समझा देंगे.'

इससे पहले गत 20 सितंबर को न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने 41 स्नातकोत्तर डॉक्टरों की याचिका पर केंद्र, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था.

गत 20 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि नीट-एसएस 2021 की परीक्षाएं 13-14 नवंबर को होनी हैं और शैक्षिक मामलों में यह स्पष्ट तौर पर तय सिद्धांत है कि एक बार कैलेंडर (परीक्षा कार्यक्रमों) की घोषणा हो जाने के बाद परीक्षा योजना (प्रारूप) में बदलाव का कोई सवाल ही नहीं है.

अधिवक्ता जावेदुर रहमान के माध्यम से दायर याचिका में एनबीई द्वारा अधिसूचित और एनएमसी द्वारा अनुमोदित 31 अगस्त के सूचना बुलेटिन में निहित नीट-एसएस 2021 की परीक्षा योजना को रद्द करने की मांग की गई है. याचिका में इसे अवैध बताते हुए किसी कानूनी अधिकार के बगैर किया गया बताया गया है.

यह भी पढ़ें- NEET-SS 2021 : परीक्षा प्रारूप में 'आखिरी समय' बदलाव का विरोध, सुप्रीम कोर्ट में मामला

इसमें कहा गया मौजूदा/पूर्व के प्रारूप के अनुसार 40 अंक मूल विषय से आते थे और 60 अंक उम्मीदवार द्वारा चुने गए दो वैकल्पिक पाठ्यक्रमों के सवालों के होते थे. यह बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि उम्मीदवार स्वयं अपनी रुचि के क्षेत्रों का चयन करेगा और न केवल इसका सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त करेंगे बल्कि इसका व्यावहारिक ज्ञान भी लेंगे.

याचिका में दावा किया गया है कि सूचना बुलेटिन के मुताबिक प्रवेश परीक्षा को पूरी तरह से बदल दिया गया और एनबीई ने कहा है कि परीक्षा स्नातकोत्तर की निकास परीक्षा के स्तर की होगी. इसमें कहा गया ऐसे में विभिन्न व्यापक विशेषज्ञता के स्नातकोत्तर एकल अति-विशिष्टता परीक्षा में उपस्थित हो सकेंगे.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Sep 27, 2021, 8:38 PM IST
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